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Thursday, December 13, 2012

झुलसे हुए कान

एक आदमी अपने दोनों झुलसे हुए कानों के साथ कराहता हुआ डॉक्टर के पास पहुंचा। डॉक्टर उसकी उस दशा पर बहुत हैरान हुआ। उसने बड़ी सहनुभूति से उसे पास बिठाया और पूछा : " ये कैसे हुआ!?"
मरीज़ ने दयनीय स्वर में अपना दुखड़ा सुनाया : " सर, शाम को जब मैं ऑफिस से लौटा तो देखा मेरी बीबी बच्चों के कपड़े प्रेस कर रही थी। मैंने उससे चाय बना कर लाने को कहा और वहीं पास में रखे टेलीफोन के बगल की कुर्सी पर बैठ गया। देर होते देख मैंने बीबी से फिर कहा :"अरे, जल्दी चाय कहे नहीं देती है?"  बीबी झुंझलाती हुई गर्म आइरन को टेलीफोन के बगल में रखकर किचन में चली गई। थोड़ी देर में ही टेलीफोन की घंटी बजी और बेध्यानी में गलती से गर्म आइरन के हैंडल को टेलीफोन का रिसीवर समझ कर मैंने उठाया और दाहिने कान से सटा लिया, जिसके कारन मेरा दाहिना कान झुलस गया! मेरी चीख सुनकर बीबी भागती हुई किचन से आई और मेरी हालत देखकर उल्टा मुझी को फटकारने लगी कि मुझे बिकुल अकल नहीं है। उसने टेलीफोन को आयरन के दुसरे बगल में रख दिया फिर मेरे कान पर बरनौल लगाया और मेरी कुर्सी को घुमाकर मुझे बिठाया और वापस किचन में चली गई।"

डॉक्टर :"च! च!! च!!! लेकिन दूसरा कान कैसे जला??"
मरीज़ :"उसी कमीने ने दुबारा फोन कर दिया !!!"

 लेखक : श्री सुरेन्द्रमोहन पाठक.