Powered By Blogger

Monday, January 28, 2013

मेरे दुश्मनन्न्न्न!

मेरे दोस्त! अगर तू दुखी तो तेरा ये दोस्त भी दुखी।
जी हल्का करने को थोडा इसे गुनगुना लीजिये ::::::>>>

'...मेरे दिल से, सितमगर, तूने अच्छी दिल्लगी की है,
के बन के दोस्त, अपने दोस्तों से, दुश्मनी की है,.......
मेरे दुश्मनन्न्न्न! तू मेरी दोस्ती को तरसे,.............
मेरे दुश्मनन्न्न्न! तू मेरी दोस्ती को तरसे,
मुझे गम देने वाले, तू ख़ुशी को तरसे,.....
मेरे दुश्मनन्न्न्न!
.................!'
'तू फूल बने पतझड़ का, तुझपे बहार ना आये कभी,
मेरी ही तरह तू तडपे, तुझको करार न आये कभी,...
तुझको करार न आये कभी।
जिए तू इस तरह के, ज़िन्दगी को तरसे,....
मेरे दुश्मनन्न्न्न! तू मेरी दोस्ती को तरसे,
मुझे गम देने वाले, तू ख़ुशी को तरसे,.....
मेरे दुश्मनन्न्न्न!
.................'
'इतना तो असर कर जाएँ,...मेरी वफायें ओ बेवफा,....
एक रोज तुझे याद आएँ,...अपनी ज़फायें ओ बेवफा,...
अपनी ज़फायें ओ बेवफा,
पशेमाँ हो के रोये, तू हंसी को तरसे,...
मेरे दुश्मनन्न्न्न! तू मेरी दोस्ती को तरसे,
मुझे गम देने वाले, तू ख़ुशी को तरसे,.....
मेरे दुश्मनन्न्न्न!
................'
'तेरे गुलशन से जियादा,...वीरान कोई विराना न हो,
इस दुनिया में कोई तेरा,... अपना तो क्या!_बेगाना न हो!!
ओ, अपना तो क्या!_बेगाना न हो,
किसी का प्यार क्या तू, बेरुखी को तरसे,...
मेरे दुश्मनन्न्न्न! तू मेरी दोस्ती को तरसे,
मुझे गम देने वाले, तू ख़ुशी को तरसे,.....
मेरे दुश्मनन्न्न्न ............................................'


टूटे दिल से निकली श्राप!
किसी का दिल इतना न दुखाओ उसकी ये हाय तुम्हें ख़ाक कर दे .....!

(हैट्स ऑफ टू 'धरम-पा जी)
_श्री .