#२४
लोहरदगा थाना टोली/Quarter २७/सप्त/२०१० ०९:३३ सायं
श्री अमित भैआ! सदर प्रणाम,
२००४ की अन्य फिल्मो 'रुद्राक्ष', 'इन्साफ' में अमित जी की आवाज़ थी.
लोहरदगा थाना टोली/Quarter २७/सप्त/२०१० ०९:३३ सायं
श्री अमित भैआ! सदर प्रणाम,
देवाधिदेव-देव-महादेव साम्ब-सदाशिव भगवान् भोले नाथ जी की कृपा से कल शाम फ़ोन द्वारा समाचार मिला की हमारी उर्मिला दीदी "दादी" बन गयी-!! बड़े जीजाजी ने फ़ोन पर अपने सदाबहार उल्लास भरे ठहाकों के साथ मुझे यह शुभ-संवाद सुनाया क़ि उनकी बड़ी बहु कंचन ने पुत्र को जन्म दिया है-!! यह समाचार सुनकर हमारे पुरे घर में प्रसन्नता फ़ैल गई-!!!
______________________________________________ २००४ की अन्य फिल्मो 'रुद्राक्ष', 'इन्साफ' में अमित जी की आवाज़ थी.
"_देव_" को देखना लाजिमी था क्योंकी यह हमारे देश के ख्याति प्राप्त फिल्म निर्देशक श्री गोविन्द निहालानी जी की फिल्म थी जिसमे अमिताभ बच्चन मुख्य पात्र डी.सी.पी. देव प्रताप सिंह की भूमिका में थे, को-स्टार्स भी सभी नामी कलाकार थे. सबकी अच्छी मेहनत के बावजूद फिल्म आम दर्शकों में नहीं चली. लेकिन इस फिल्म को Critics Award Best Movie
से सम्मानित किया गया, और फिल्म की नायिका करीना कपूर को Critics Award Best Performance का अवार्ड मिला
२००४ की अगली अमित जी मोजूदगी वाली फिल्म "_लक्ष्य_" थी, जो कारगिल/(कर्गिल) युद्ध पर आधारित थी. इस फिल्म से भी भारी उम्मीद थी - फिल्म की कहानी, कलाकारों का अपना-अपना प्रदर्शन, निर्देशक का निर्देशन, गीतकार के गीत, संगीतकार का संगीत - एक सफल और हिट फिल्म होने के बावजूद यह फिल्म भी कोई कीर्तिमान स्थापित नहीं कर सकी. - प्रीतीश -(मेरे सुपुत्र जिम्मी)- को इस फिल्म का गाना "...कन्धों से मिलते हैं कंधे , क़दमों से कदम मिलते हैं, -हम चलते हैं जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं...!" खूब पसंद आया, जिसे वह उस वक़्त हमेशा सुना करता था. इस फिल्म में अमित जी ने -कर्नल सुनील दामले- की भूमिका निभाई थी.
२००४ की अगली अमित जी मोजूदगी वाली फिल्म "_लक्ष्य_" थी, जो कारगिल/(कर्गिल) युद्ध पर आधारित थी. इस फिल्म से भी भारी उम्मीद थी - फिल्म की कहानी, कलाकारों का अपना-अपना प्रदर्शन, निर्देशक का निर्देशन, गीतकार के गीत, संगीतकार का संगीत - एक सफल और हिट फिल्म होने के बावजूद यह फिल्म भी कोई कीर्तिमान स्थापित नहीं कर सकी. - प्रीतीश -(मेरे सुपुत्र जिम्मी)- को इस फिल्म का गाना "...कन्धों से मिलते हैं कंधे , क़दमों से कदम मिलते हैं, -हम चलते हैं जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं...!" खूब पसंद आया, जिसे वह उस वक़्त हमेशा सुना करता था. इस फिल्म में अमित जी ने -कर्नल सुनील दामले- की भूमिका निभाई थी.
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इसी साल ०७, नवम्बर`२००४ को हमारी मुनिया रानी नन्ही शरिष्ठा का जन्म रांची में हुआ. जन्म लेने कुछ ही मिनटों के बाद उसकी फोटो मेरे भाई ने खीची थी जिसमे उसका एक देवी-सा स्वरुप दिखता है.वह फोटो अभी मिल नहीं रहा, शायद कहीं दूसरी जगह पर रख कर भूल गया हूँ फिर भी उस तस्वीर की अनेकों कॉपीयां हैं, मिलते ही यहाँ शामिल करूँगा. स्व.बाबूजी की बेटियों के बाद, ४० वर्षों के अंतराल के बाद हमारे घर में बेटी ने जन्म लिया. मैंने उसी समय अपना नया डिजिटल कैमरा ख़रीदा था जिससे मैंने अपनी बिटिया, जिसे मैं प्यार से बगुना या फ़गुनी कह कर पुकारता हूँ, की अनेकों तस्वीरे खींची जिसमे से सबसे ज्यादा हसोड़ (most humerus) फोटो मैं यहाँ जोड़ रहा हूँ. इस तस्वीर में बाबूजी, कमल एवं मेरे बेटे क्षितिज (-सन्नी-) की मिलीजुली-सी झलक है, और हंसी तो बिलकुल बाबूजी सी ही मजाकिया स्टाइल में है - जरा देखिये :-
अब तो यह काफी बड़ी हो गयी है, और बहूत ही खूबसूरत गुडिया सी हंसी के साथ हमें भी हंसाती रहती है. रांची के विशोप-वेस्टकॉट स्कूल में इसका दाखिला कमल ने करवा दिया है जहाँ वो अभी अपने डेरे से ही स्कूल-बस से ही जाती-आती है. इसी के जन्म के कुछ दिन पहले मैंने घर के लिए एक डेस्कटॉप कंप्यूटर ख़रीदा था.
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२००४ की फिल्म "_दीवार_" !!
अमिताभ बच्चन (मेजर रणवीर कॉल) ने मनोवांछित अभिनय के द्वारा हमें प्रसन्न कर दिया. यह फिल्म पाकिस्तान में फंसे पुराने हिन्दुस्तानी युद्धबंदियों की कहानी थी, जिन्हें हर हालत में अपने वतन 'भारत' वापस लौटना था.
इसी समय अमित जी की एक और फिल्म आई '_क्यों ! हो गया न !_' और चली गयी, मैंने देखा नहीं है.
अमित जी की अगली फिल्म थी "_हम कौन हैं_" यह फिल्म एक प्रायोगिक फिल्म थी जिसकी कहानी को आम जनता जब तक समझती फिल्म ख़त्म हो जाती है.[On the whole, HUM KAUN HAI? is more of an experiment that may find its share of believers and non-believers. At the box-office, the film caters to the multiplex-going audience completely. However, the sudden release and lack of promotional build-up will curtail its prospects largely. Ratiing >1 &1/2] इस फिल्म के थोड़े से हिस्से में धरम पा जी के दुर्लभ दर्शन होते हैं, बस्स... उसी से थोड़ी ख़ुशी मिलती है.
अमिताभ बच्चन (मेजर रणवीर कॉल) ने मनोवांछित अभिनय के द्वारा हमें प्रसन्न कर दिया. यह फिल्म पाकिस्तान में फंसे पुराने हिन्दुस्तानी युद्धबंदियों की कहानी थी, जिन्हें हर हालत में अपने वतन 'भारत' वापस लौटना था.
इसी समय अमित जी की एक और फिल्म आई '_क्यों ! हो गया न !_' और चली गयी, मैंने देखा नहीं है.
अमित जी की अगली फिल्म थी "_हम कौन हैं_" यह फिल्म एक प्रायोगिक फिल्म थी जिसकी कहानी को आम जनता जब तक समझती फिल्म ख़त्म हो जाती है.[On the whole, HUM KAUN HAI? is more of an experiment that may find its share of believers and non-believers. At the box-office, the film caters to the multiplex-going audience completely. However, the sudden release and lack of promotional build-up will curtail its prospects largely. Ratiing >1 &1/2] इस फिल्म के थोड़े से हिस्से में धरम पा जी के दुर्लभ दर्शन होते हैं, बस्स... उसी से थोड़ी ख़ुशी मिलती है.
इसके बाद वीर-ज़ारा के चौधरी सुमेर सिंह [अमिताभ बच्चन] ने अपनी पत्नी सरस्वती कौर [हेमा मालिनी] के संग तो अपनी पूरी audience को झुमा कर मस्त कर दिया.
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क्षमा करेंगे, अतुल [लड्डू] महादेवी वर्मा जी की ३ कविताये मुझसे पूछ रहा है, उसकी क्लास-टीचर ने घर से इन्हें लिख कर लाने का टास्क दिया है. उनमे से एक आपके लिए_
"_आंधी आई जोर-जोर से
डाली टूटी है झकोर से
उड़ा घोंसला बेचारी का
किस-से अपनी बात कहेगी
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी?
घर में पेड़ कहाँ से लायें
कैसे यह घोंसला बनायें
कैसे फूटे अंडे जोड़ें
किससे यह सब बात कहेगी
अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी?"
- महादेवी वर्मा.
-शेष कल,
आपका कल आज से बेहतर हो!!
(मैं गरीब और कुछ आपको क्या दे सकता हूँ!)
सुदामा-! जो अर्जुन बनना चाहता है-!!!
-आपका अपना ही भाई,