सचिन तेंदुलकर का राजनितिक निर्णय; हैरतपूर्ण !!!
२८ अप्रैल, २०१२ थाना टोली लोहरदगा
NEWS FLASH ! सचिन तेंदुलकर "राज्य-सभा" के सदस्य मनोनित!
सचिन तेंदुलकर पर सारी दुनिया यूँ ही नेयौछावर नहीं है. उनकी काबिलियत को सबने सलाम किया, और मैंने भी. सचिन एक INDIVIDUAL (=एक अदद, एक व्यक्ति) न होकर अपनी एक निष्पक्ष और देश के लिए निष्ठावान सर्वमान्य, सर्वसम्मानित, सार्वजनिक व्यक्तित्व है, क्योंकि वे एकनिष्ठ भाव से देश का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनके लिए "भारत-रत्न" के सम्मान की अभिलाषा पुरे देश की जनता का निर्णय है, जिसे पूरा न कर पाने के लिए सरकार को नियमो में फेर-बदल करने की सलाह दी जा रही है. सचिन जैसा व्यक्तित्व INDIVIDUAL हो ही नहीं सकता, ...फिर भी उनके समस्त योगदान के बावजूद उनकी अपनी व्यक्तिगत ज़िन्दगी है जिसके लिए वे स्वयं निर्णय लेने की क्षमता रखते हैं, और वो निर्णय लेने के लिए वे आज़ाद हैं और उस निर्णय के नफे-नुकसान के लिए जिम्मेवार भी, जैसे की हम और आप. ऐसे में उनके किसी निर्णय से हैरानी नहीं होनी चाहिए, ...फिर भी हैरानी है. मैं हैरान हूँ कि उन्होंने इतनी जल्दी ये निर्णय लिया!
सचिन वोट तो ज़रूर देते होंगे?
हाँ न!
किस पार्टी को? ...
पहले ये सवाल नहीं उठा, पर उनके अब के निर्णय ने ये बहस, ये सस्पेंस खत्म कर दिया है. सचिन के POLITICAL VIEW से अब तक हम अनजान थे. अब जान गए है. और सवाल का जवाब भी मिल गया है कि सचिन कांग्रेसी हैं. कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी ने सचिन तेंदुलकर का नाम राज्य-सभा के सदस्य के लिए सचिन के सामने प्रस्ताव रखा जिसे सचिन ने सहर्ष स्वीकार कर लिया. फिर बाद में सचिन तेंदुलकर का नाम राज्य-सभा के लिए (भारत के राष्ट्रपति द्वारा) मनोनित कर दिया गया. आनन्-फानन लिया गया ये निर्णय हैरतपूर्ण है, क्योंकि नामित या मानोनित सदस्य को राष्ट्रपति के लिए वोट करने का प्रावधान नहीं है! और मुझे हैरानी है.
सचिन कांग्रेसी हैं, ये कहने से ऐसा लगता है जैसे उन्हें किसी ख़ास 'जात' का आदमी बना दिया गया हो.
ऐसी बातें दिल को चोट पहुंचती हैं. लगता है जैसे सचिन अब हमारे अपने नहीं रहे, ...वो सचिन जिसे मैं अपने 'तिरंगे' का एक 'रंग' समझता रहा हूँ. अब वे किसी और के ख़ास हो गए! ...ये बात मुझे हैरान करती है. क्योंकि अब देश के अलावे अब उन्हें पार्टी के हित के लिए भी सोचना होगा. विभिन्न मुद्दों पर संकट के समय पार्टी को पार्टी के लिए पार्टी के तरफदार की भूमिका निभानी पड़ेगी जिसकी आलोचना की जाएगी, क्योंकि आज कांग्रेस खुद अपने वजूद के लिए लड़ रही है. ये एक पोलिटिकल चाल है कि सचिन को कांग्रेस पार्टी में लाने से पार्टी का जनाधार सुधरेगा! क्या सचिन कांग्रेस की डूबती नैया को अपने बल-बूते पर पार लगावेंगे, जबकि कांग्रेसी आलाकमान खुद ही संशयग्रस्त है? आज पूरे देश में कांग्रेस की फजीहत हो रही है. क्या गारंटी है कि कांग्रेस सचिन को अपने प्यादे (PAWN) के रूप में इस्तेमाल नहीं करेगी? क्या सचिन को कांग्रेसी हुक्म का "जो आज्ञा" कह कर सबकुछ क़ुबूल होगा? या फिर वे एक निष्पक्ष सदस्य मात्र बने रहेंगे. तब कांग्रेस का उनके प्रति क्या रूख होगा? कभी अमिताभ बच्चन ने भी समाजवादी पार्टी के प्रचार कार्यक्रम में मुलायम सिंह को अपने "पिता सामान" की संज्ञा दे दी थी ...ये नैतिक पतन है, और ...मुझे हैरानी होती है कि अमित जी जैसे मकबूल शख्शियत के आदमी ऐसा भी कर सकते हैं, बचपन से जिनमे हम अपना अक्स देखते बड़े हुए हैं! लानत है ऐसी राजनीति पर!! सचिन के कांग्रेस ज्वाइन करने पर मैं उतना हैरान नहीं हूँ जितना कि "पोलिटिक्स" ज्वाइन करने पर!! सचिन किसी और दूसरी पार्टी को भी ज्वाइन करते तो मुझे इसी प्रकार की हैरानी होती. हैरानी ही होती "ऐतराज़" नहीं, क्योंकि ये सचिन का व्यक्तिगत मामला है.
पर हमारे लिए नहीं.
पर हमारे लिए नहीं.
अब तक किसी और दूसरी राजनितिक पार्टी ने सचिन को अपनी पार्टी की मेम्बरशिप क्यों नहीं ऑफर किया? पहले के अनेक क्रिकेटर आजकल या तो कमेंट्री करते हैं या पोलिटिक्स, इससे जनता को कोई फर्क नहीं पड़ा. लेकिन सचिन की बात दूसरी है. क्योंकि अभी हम सचिन को उतना 'बूढा' नहीं मानते कि वे क्रिकेट के अलावे पोलिटिक्स जैसे कार्यक्षेत्र में कूद पड़ें. इसलिए मुझे हैरानी है. अभी इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी इसलिए मुझे हैरानी है. क्रिकेट की कैप और हेलमेट की जगह सचीन अब सफ़ेद गाँधी टोपी पहनेंगे! किसने सचिन को प्रेरित किया? क्या राहुल गाँधी ने? ...मुझे हैरानी है.
अभी सचिन राज्य-सभा के लिए मनोनीत हुए हैं, पर आगे क्या? क्या आगे चल कर सचिन "लोक-सभा" का चुनाव लड़ेंगे?
सचिन अभी क्रिकेट के साथ ही बने रहें तो सबका भला रहेगा. सचिन को पोलिटिक्स ही ज्वाइन करना है तो थोडा ठहर कर करें. अभी कोई वक़्त नहीं हुआ है. अभी उनमे बहुत क्षमता है. सचिन क्रिकेट ही खेलें.
सचिन अभी क्रिकेट के साथ ही बने रहें तो सबका भला रहेगा. सचिन को पोलिटिक्स ही ज्वाइन करना है तो थोडा ठहर कर करें. अभी कोई वक़्त नहीं हुआ है. अभी उनमे बहुत क्षमता है. सचिन क्रिकेट ही खेलें.
लता मंगेशकर ने उन्हें शुभकामना दी है और कहा है की सचिन ने क्रिकेट के मैदान में अच्छा किया है वे राज्य-सभा में भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे. इसे ममता में डूबी भावनात्मक नजरिया ही समझता हूँ, कोई ताक़तवर तर्क नहीं.
नवजोत सिंह सिद्धू तो इस समाचार से इतने प्रसन्न हो गये कि क्या कहना! उनका कहना है कि कांगेस में अब तक चोर-उच्चक्के भरे पड़े थे, अब जा कर एक सच्चा इसान उनमे शामिल हुआ है! जी हाँ! जी हाँ!!
इस विषय में अमिताभ बच्चन की कोई प्रतिक्रिया अभी तक सामने नहीं आई है. न TWITTER पे न उनके BLOG पे!! अमिताभ बच्चन खुश हैं कि जोहरा सहगल ने १०० वर्ष की उम्र निरोग पार कर ली. अमिताभ बच्चन ने शायद जानबूझ कर सचिन के पोलिटिक्स ज्वाइन करने पर कमेन्ट नहीं किया, (इसके बावजूद कि सचिन तेंदुलकर को अमित जी आपसे, मुझसे ज्यादा जानते और मानते हैं), क्योंकि जया जी समाजवादी पार्टी के तरफ से राज्य-सभा सांसद हैं. मुझे कोई हैरानी नहीं.
यहाँ मैं एक प्रश्न खुद से और आपलोगों से भी पूछना चाहूँगा: सचिन जैसे सच्चे लोगों को पोलिटिक्स क्यों नहीं ज्वाइन करना चाहिए? क्यों न सचिन आगे चल कर प्रधान-मंत्री बने?
-श्रीकांत तिवारी