Powered By Blogger

Thursday, February 21, 2013

बचपन के कॉमिक्स मित्र और हीरो

जरा याद करके देखता हूँ कि मुझे मेरे बचपन के कितने (कॉमिक्स) मित्र और हीरो याद हैं : मेरे दोस्त ज़रा मदद करना कि सभी याद या जाएँ __ वो क्या है कि आज १९७१-से-१९८० के दौर की बात है, और निम्नलिखित में से आज एक भी, कोई भी मेरे साथ नहीं, मेरे पास नहीं... कभी था तो (...वो किस्सा फिर कभी)
"लोटपोट" के माध्यम से >>


 १.चाचा चौधरी   <<<कॉमिक्स से सबसे पहला प्रेम +चाची+दीपू; और बाद में हमसे आन मिले अभिन्न दोस्त, दूसरे ग्रह के वासी, महाबली अतिविशाल 'साबु"!<<(कार्टूनिस्ट प्राण)

२. (i )मोटू-पतलू! <<<ये मेरे सबसे पहले साथी थे;  

    (ii )मास्टर घसीटाराम
    (iii)चेलाराम

    (iv)डॉक्टर झटका!<<(इनके कार्टूनिस्ट ज्ञात नहीं).
"चंपक" के माध्यम से>>
३. चीकू (खरगोश)!<<(कार्टूनिस्ट प्राण)
"पराग" के माध्यम से>>(यहाँ यादास्त थोड़ी लडखडा रही है)
४. दीपू!<<(कार्टूनिस्ट प्राण)
"नंदन" के माध्यम से>>
५. मंगलू मदारी और बन्दर बिहारी!<<(कार्टूनिस्ट शोहाब) दो और हसोड़ बन्दे शोहाब द्वारा ही प्रस्तुत होते थे अभी याद नहीं आ रहे...कौन थे...
"धर्मयुग" पत्रिका के माध्यम से>>जिसके आखिर में ...कार्टून कोना!> ज्यादा-से-ज्यादा कार्टून की ३ या ४ स्लाइडें होती थी>>
६. ढब्बू जी!<<(कार्टूनिस्ट का नाम 'आबिद सुरती' था! ये नाम मुझे मेरे fb मित्र हरमिंदर छाबरा जी से पता चला।) आबिद सुरती का नाम याद दिलाने के लिए हरमिंदर छाबरा सर, आपका धन्यवाद! 'सिलबिल और पिलपिल' नाम से कोई घंटी जरूर बजी 'दीवाना' की भी टन-टन सुनाई दे रही है लेकिन कोई अक्स जेहन में नहीं उतर रहा। हाँ सर याद आ रहा है पर उनकी फोटो जेहन के कहीं अटक गई है, ऊपर जो भी लिखा है यादास्त से लिखा है, मेरे पास से ये खजाने कब के लुप्त हो चुके हैं, अब शायद इसमें ज़हीर भाई ही कुछ मदद करें ...
"मधु मुस्कान" के माध्यम से>>
७. (i)पोपट-चौपट!<<<कॉमिक्स की दुनिया के मेरे दुसरे नंबर के लेकिन सबसे प्यारे और सबसे लम्बे समय तक के प्यारे दोस्त।
    (ii) सुस्तराम-चुस्तराम!
    (iii) जासूस चक्रम और चिरकुट(डॉग)!

    (iv) भारत कुमार!<<(सुपर हीरो)
    (v) भूतनाथ और जादुई तूलिका!+मालिक साहब।<<(सभी के कार्टूनिस्ट जगदीश)
८. (vi) डाकू पानसिंह
    (vii) कलमदास।<<एक असली चरित्र का कार्टून वर्शन।<<(इनके कार्टूनिस्ट का  ज्ञात नहीं)
...और भी कई मित्र जरूर होंगे जो छूट रहें हैं ...




"इंद्रजाल" कॉमिक्स (वाह!वा!वाह!वा!) के माध्यम से>> 
९. (i) वेताल <<इसके ओरिजिनल कार्टूनिस्ट का नाम मुझे नहीं मालूम, वैसे भारत में इंद्रजाल कॉमिक्स वाले कभी-कभी भांजी मारते थे और लोकल आर्टिस्ट द्वारा निर्मित देसी कार्टून, देसी कहानी के साथ भी परोस देते थे जिसके साथ एक संगत के बाद दूसरी मिलन की इच्छा मर जाती थी। ओरिजिनल__जंगल में वेताल! फैटम!! चलता-फिरता प्रेत!!! शहर में ब्लू ओवर कोट घारी _मिस्टर (मिस्टीरियस) वॉकर !!! 
 जिसकी शायद २८वीं पीढ़ी का वंशज हमारा हीरो है, बहादुर, महाबली, महाज्ञानी, महान इंसान, महानायक, दोस्तों का दोस्त, दुश्मनों का दुश्मन! इतना ज्यादा! इतना कुछ कि अपने घर के लोगों से भी प्यारा! यार!! इतना प्यारा की इससे प्यारा और कोई न हुआ न होगा(...अब क्या होगा!)!!! इसके बारे में कोई भी व्याख्या छोटी होगी। ये एक अकेला हमारे साथ, हमारे पक्ष में, सदा-सर्वदा खडा, सब-पे भारी! सबसे बड़ा, सबसे पहला सुपर हीरो। फैंटम!! -हिंदी में वेताल के सफ़ेद घोड़े का नाम 'तूफ़ान' हुआ करता था, कुत्ते का नाम यद् नहीं ..., 
वेताल के दाहिने हाथ में खोपड़ी के निशान वाली अंगूठी से दुश्मन पूरी दुनिया में खौफ खाते हैं, जिसके चेहरे पर इस अंगूठी द्वारा, वेताल के घूंसे के मार्फ़त, इस खोपड़ी का निशान/छाप बन जाता है वो सारी दुनिया में हमेशा केलिए तस्दीकशुदा खलनायक और बुरे चरित्र वाला माना जाता है, जबकि बाएं हाथ की अंगूठी का निशान/छाप वेताल की अटूट मित्रता का सुबूत माना जाता है..., हॉलीवुड ने एक फैंटम मूवी बनाई है लेकिन उससे लगाव नहीं होता जितना की कॉमिक्स से है...वेताल का घर, उसका खोपड़ीनुमा दरवाजा, उसतक पहुँचने का रोमांचक रास्ता, वेताल के पुरखे के चेहरे वाली पहाड़ की चोटी, कला-वी का सुनहरा तट, पिरान्हा मछलियों से भरी नदी में वेताल की डोल्फिन दोस्त, और मंगेतर डायना ...इनकी याद से अभी रोमांच हो रहा है, लेकिन इनकी गैर-मौजूदगी से मन उदास है... 


(ii) मैन्ड्रेक<<जादूगर>>,  और इसका साथी (हमारा साथी)महाबली, सर्वशक्तिशाली "लोथार!"  मैन्ड्रेक! वेताल के बाद दूसरा प्यारा दोस्त, जो "जनाडू" नाम के अजीबोगरीब घर में रहता है! जो एक पहाड़ की छोटी पर स्थित है। जिसके रास्ते पहाड़ के चारों तरफ सांप की तरह लिपटे नीचे से ऊपर की ओर चले गए हैं। जिस रास्ते में पग-पग पर इलेक्ट्रानिकली कंट्रोल्ड गज़ब-गज़ब की बाधाएं हैं,  ...जिसमे अवांछित प्रवेश नामुमकिन है। ...फिर भी दुश्मन दुस्साहस कर बैठते हैं जिसे मैन्ड्रेक और लोथार की जोड़ी मजेदार जादू और ताक़त से मज़ा चखाते हैं..., हर बार रूह कंपा देनी वाली विलक्षण कहानी, हर बार नए-नए  विलक्षण विलैंस... 

(iii) गार्थ

(iv) फ़्लैश गोर्डन
और अदभुद मानसिक शक्तियों का स्वामी, -बालक "बिली!" अंतरिक्ष में "बाहरी दुश्मनों" से "बाहरी दोस्तों" से रोमांचक मुलाक़ात, रोमांचक कहानी, वो तकनीक जो "आज" हम यूज़ कर रहे हैं, १९७५ में ही कॉमिक्स में पढ़ चुके थे और सपनाते थे...
(v) बहादुर (भारतीय चरित्र) 'नागरिक सुरक्षा दल' (नासुद) का नायक -बहादुर!'
(vi)रिप किर्बी (जासूस) और इसका साथी डेसमंड (बटलर-/पीर,बावर्ची,भिश्ती,खर)
इनके बाद अमेरिकन सुपर हीरो "सुपर-मैन" को ही हम जानते थे, ...फिर मर्द बनते बच्चों के बीच टपके "बैटमैन", "स्पाइडर-मैन" वगैरह... टीवी पे देखा "ही-मैन" जिनकी कोई कॉमिक्स हमने नहीं पढ़ी। अब हॉलीवुड की किरपा से 'मैन-ही-मैन" हैं ... देखते जाइये लेकिन मैन्ड्रेक और वेताल से प्यारा मोटू-पतलू, और पोपट-चौपट सा दुलारा अब कोई क्या होगा!
 "अमर चित्र कथा के माध्यम से >>>
पूरी भारतीय संस्कृति एवं सभी देवी-देवताओं सहित समूचा राक्षस वर्ग! पौराणिक से लेकर इतिहास के साथ सम्पूर्ण ऐतहासिक पुरुषों की चित्र कथाएं, साथ में आधुनिक भारत के निर्माता भी! पहले हिंदी में, अब सिर्फ इंग्लिश में उपलब्ध! इसी के अन्य प्रकाशन में हमारे वक़्त टिंकल और सुपंदी के कारनामें आ गए थे। हिंदी 'अमर चित्र कथा' के सिर्फ ३० ही कॉमिक्स मेरे पास अभी हैं। ...कभी ऊपर से नीचे तक सभी थे ...और सारी क्रिकेट टीम थी ...मेरी लाइब्रेरी के हर वक़्त निःशुल्क सदस्य थे ...जो जिंदा हैं, उपलब्ध हैं पर बचपन की वह निश्छलता कहीं खो गई है, और नेतागिरी के इस दौर में उनकी यादास्त कहीं नेपथ्य में चली गई है ...जिन्हें अब कभी "वेताल" की याद नहीं आती ... 

और कुछ याद नहीं अभी, बाकी आप याद दिलाइये .........
_श्री .

जिम कॉर्बेट की किताब 'मेरा हिन्दुस्तान' से

'ज़िन्दगी में तदवीरें तो हम बहुत करते हैं लेकिन उनमें से कुछ अगर तकदीर के हाथों ख़त्म हो जातीं हैं तो मुझे पता नहीं कि इस बात से हमें दुखी होना चाहिए या नहीं।'

---जिम कॉर्बेट की किताब 'मेरा हिन्दुस्तान' (page 70) से...
_श्री .