*_मुझे नाचना और गाना नहीं आता। क्या करूँ?
*_कहते हैं 'रेस्ट इन पीस'! सभी "पीस: में ही -रेस्ट- करना चाहते हैं! जबकि भारी कोलाहल है। पीस-पीस कर टुकड़े-टुकड़े होकर भी पीस नहीं। क्या करूँ?
*_आज भी हमारे (राँची) अपार्टमेंट में हमारे पड़ोसी की माताजी का निधन का समाचार मिला! मैंने मेरे छोटे भ्राता कमल को फोन किया कि मुझे पटना की टिकट कटवा दे, तो प्रत्युत्तर में यह सुनने को मिला कि वह भी एक मईयत में व्यस्त है, बाद में बतियायेगा! क्या करूँ?
*_चुप-चाप बैठा था कि फोन आया :"आज बहुरानी" (शिव बाबु के पोते, संजय बाबु के सुपुत्र की वधु) का गृहप्रवेश है! माँ और वीणा के साथ भोजन का निमंत्रण है, और महिलाओं को भोजन के साथ मुँह दिखाई का बुलाहटा है! (वीणा राँची में है) माँ पूछती है मुँह दिखाई में क्या दे? मेरी अक्ल (वीणा) तो रांची में है, हो! क्या करूँ?
*_ये ज़िन्दगी के मेले दुनियाँ में कम न होंगे, अफ़सोस हम न होंगे। क्या करूँ?
*_कहते हैं 'रेस्ट इन पीस'! सभी "पीस: में ही -रेस्ट- करना चाहते हैं! जबकि भारी कोलाहल है। पीस-पीस कर टुकड़े-टुकड़े होकर भी पीस नहीं। क्या करूँ?
*_आज भी हमारे (राँची) अपार्टमेंट में हमारे पड़ोसी की माताजी का निधन का समाचार मिला! मैंने मेरे छोटे भ्राता कमल को फोन किया कि मुझे पटना की टिकट कटवा दे, तो प्रत्युत्तर में यह सुनने को मिला कि वह भी एक मईयत में व्यस्त है, बाद में बतियायेगा! क्या करूँ?
*_चुप-चाप बैठा था कि फोन आया :"आज बहुरानी" (शिव बाबु के पोते, संजय बाबु के सुपुत्र की वधु) का गृहप्रवेश है! माँ और वीणा के साथ भोजन का निमंत्रण है, और महिलाओं को भोजन के साथ मुँह दिखाई का बुलाहटा है! (वीणा राँची में है) माँ पूछती है मुँह दिखाई में क्या दे? मेरी अक्ल (वीणा) तो रांची में है, हो! क्या करूँ?
*_ये ज़िन्दगी के मेले दुनियाँ में कम न होंगे, अफ़सोस हम न होंगे। क्या करूँ?