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Saturday, December 8, 2012

"हिंदी - हिन्दू - हिन्दुस्तान!"

ऐसी भाषा का क्या फायदा जिसके लिए हर वक़्त डिक्शनरी खोल कर रखना पड़ता है!? जिसे आप खूब जतन से लिखें और बोलें पर उसका कोई कद्र न करे!????

अच्छा है। हमारे पास विकल्प है अपनी पसंदीदा भाषा में अपनी बात कहने का मौका है। इस सुविधा के लिए जो इंजिनियर जिम्मेवार है उसका कोटि-कोटि नमन और अभिवादन।

नमस्ते महोदय !!

अंग्रेजी भले भाँड में न जाये, पर हिंदी पर ऐतराज़ बंद करे।

सबसे अच्छी भाषा वोही है जो आपको अपने आपको अभिव्यक्त करने का सबसे शानदार और सबसे आसान अवसर देता हो। मैं अंग्रेजी नहीं जानता, जानना चाहता भी नहीं, इसका ये मतलब नहीं कि मैं बेवक़ूफ़ हूँ।

भारतेंदु हरिश्चंद्र ने नारा दिया था "हिंदी - हिन्दू - हिन्दुस्तान!" आज के परवेश में इसे सेक्युलरवाद से जोड़कर इसकी खिल्ली उडाना सबसे आसन काम है, पर इसकी मजबूती, गरिमा और विशालता को चुनौती देना इतना आसान नहीं है।

ध्यान रखियेगा, अगर आप हिन्दुस्तानी हैं।

जय हिन्द!!!

रवीश कुमार को मैसेज

 NDTV india के एंकर रवीश कुमार को मैंने facebook पर मैसेज भेजा है:

टीवी पर आप बड़े भाई लगते हैं, लेकिन आपको भईया कहूँ या "सर" मैं निर्णय नहीं ले पा रहा हूँ। भईया कहने से इसलिए हिचक रहा हूँ कि कहीं आप ये न समझ लें कि कौन ज़बरदस्ती गले पड़ रहा है। और सर कहने से इसलिए हिचक रहा हूँ कि सर हमलोग स्कूल में मास्टर साहेब को कहते थे या आजकल डॉक्टर या अपने एम्प्लोयर को कहते हैं जो आप नहीं हैं। सर को श्रीमान कहने का रिवाज ख़तम हो गया है। आपको आपके नाम से संबोधित करने की क्षमता शायद मुझमे नहीं है। क्योंकि मैं कोई ख़ास क्या बढ़िया से आम आदमी भी नहीं हूँ। ट्विटर पर आपको पढ़ा। टीवी पर आपको पहली बार "रवीश की रिपोर्ट" में देखा। तभी से आपकी बातें बड़े मनोयोग से सुनता हूँ। NDTVindia पर prime-time, या "हमलोग" जब आप प्रस्तुत कर रहे होते हैं तब ज़रूर देखता हूँ।

facebook पर Add Friend पर क्लिक किया तो ये मैसेज प्रकट हुआ:
Friend requests are for connecting with people you know well, like classmates, friends, family and coworkers. Please don’t send this friend request unless you know this person personally. फलतः घबरा गया। कस्बा नाम से आपके ब्लॉग को पढता हूँ। आपसे प्रभावित हुआ, लगता है आप मेरी भाषा में मेरी शैली में मेरे लहजे में बोल रहे हैं। अतः आपसे जुड़ना चाहता हूँ। अगर आपको मेरा आपसे जुड़ने का ये प्रयास मेरी धृष्टता लगे तो क्षमा कीजियेगा। मैं facebook पर आपसे जुड़ना चाहता हूँ। मैं बहुत मामूली आदमी हूँ, या शायद फालतू। जो भी आपका निर्णय हो बताइयेगा ज़रूर। क्योंकि उत्तर न देना मेरा भ्रम तोड़ देगा कि....
वैसे मेरा नाम श्रीकांत तिवारी है। मैं लोहरदगा, झारखण्ड का निवासी हूँ। भोजपुरी भाषी हूँ। हिंदी में मैं अपनी अभिव्यक्ति को, स्वयं को अच्छी तरह लिख-बोल सकता हूँ। अंग्रेजी मुझे कम आती है, किसी तरह काम चला लेता हूँ।

मैं हिंदी को मानने वाला व्यक्ति हूँ।

मैं हिंदी को मानने वाला व्यक्ति हूँ। अपनी उपासना मैं हिंदी में करता हूँ। असली बात तो ये है कि मुझे ठीक से अंग्रेजी नहीं आती। आप में से कुछ लोगों के लिए मुझ जैसे अंग्रेजी न जानने वालों के लिए अस्पृश्यता (Untouchabilty / Untouchable) का आभास होता होगा। पर मुझे इस बात की ज़रा भी परवाह नहीं है। अन्य साधनों की तरह अंग्रेजी का प्रयोग मैं कम करता हूँ। और मेरा हमेशा ये प्रयास रहेगा कि में हिंदी "देवनागरी" में ही लिखुँ , और लिखुँगा। किन्हीं को ऐतराज़ हो तो पहले अपनी स्थिति और अवस्था को पहले जांच लेवें, और आईने में अपनी शक्ल देख लेंवें। अगर हिंदी भाषी भारतीय हैं, तो आपकी मोनोदशा खेदजनक है, पर शायद इससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ता _ये ज्यादा खेदजनक है।

मुझे अंग्रेजी नहीं आती पर आप लोगों के लेखन के खिलाफ मैं बिलकुल नहीं हूँ। कुछ जतन कर के काम चला लेता हूँ। क्योंकि चलाने की मजबूरी है। श्रीमान को सर हिंदीवाले भी बोलते हैं, इसलिए ज्यादा माथा खराब करने की आवश्यकता नहीं पड़नी चाहिए।

आप जारी रहिये। हिंदी की कद्र करने की कोशिश कीजिये। वैसे ये आपलोगों के लिए मुश्किल काम है।

अंग्रेजी का जामा पहनकर आप खुद को परिष्कृत समझें। पर हिंदी लेखन को हिकारत से देखने की धृष्टता न करें।

जय हिन्द


दिसंबर 2012 की शुरुआत :

दिसंबर 2012 की शुरुआत : पहला सप्ताह:

दिसंबर 2012 की शुरुआत होते ही अनेक तरह की बातें, घटनाएँ, शुरू हुईं।

जेम्स बोंड की नयी फिल्म SKYFALL नहीं देख सका। पर ....

1. वीणा के हाथ का ऑपरेशन, क्लिप और स्क्रूज निकलवाने राँची गया। 2 दिसंबर को कमल के साथ पुराने "उपहार सिनेमा", जो एक नए भब्य रूप "गैलेक्सिया मौल" में परिवर्तित हो चुका है, हमने आमिर , रानी, और करीना से सजी बहुप्रतीक्षित फिल्म "तलाश" देखी। उं हूं !! नहीं पसंद आया। इसमें दो ख़ास बातें अच्छी लगी: पहली - खाखी वर्दी में पहली बार आमिर और उनकी दमदार अदाकारी, दूसरी - नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का परफोर्मेंस। फिल्म सुपरनेचुरल विषयक है पर हॉरर मूवी नहीं! सस्पेंस थ्रिलर है पर रोमांचक नहीं! कोई षड्यंत्र नहीं! कोई खलनायक नहीं! कोई मनोरंजन नहीं।

2. 3-दिसंबर को वीणा के हाथ का ओप्रशन हो गया। क्लिप और स्क्रूज निकाल दिए गए।

3. धीरू को मैंने डांटा। शराब का दखल मेरे लिए, मेरे परिवार के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है।

4.  डुग्गु  और गुनगुन के साथ का आनंद मिला।

5.  मैंने अपने लिए कुछ रेडीमेड कपडे ख़रीदे।

6.  वीणा के नर्सिंग होम से छुट्टी मिलते ही मैं उसे लेकर लोहरदगा वापिस आ गया।

7. लोहरदगा पहुँचते ही बिजली संकट का सामना करना पड़ा।

8.  facebook पर लिखने के लिए मोबाइल का सहारा लेना पड़ा।

9. 5-दिसंबर से 7-दिसंबर तक बिजली गुल रही।

10. 6-दिसंबर का समाचार पत्र पढ़ कर पता लगा कि झारखण्ड सरकार द्वारा बिजली व्यवस्था निजी कंपनियों को सौंपने के विरोध में राज्यभर के विद्युतकर्मियों ने लाइटनिंग स्ट्राइक की घोषणा कर दी है।

11. बिजली न रहने के कारण मैं इस पृष्ठ पर न लिख सका और मुझे मोबाइल का सहारा लेना पड़ा। ये थोडा कठिन लगा।

12. बिजली कि ये कटौती काफी कष्टदायक रही। सभी बिजली के उपकरण ठप्प पद गए।

13. 7-दिसंबर को बिजली आ गई।

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लोहरदगा, 08, दिसंबर, 2012 शनिवार : प्रातः  06 बजे सुबह :

अभी-अभी  समाचार पत्र के माध्यम से पता चला कि बिजली विद्युतकर्मियों की "कृपा" से नहीं बल्कि झारखण्ड हाईकोर्ट के सख्ती और धमकी और कड़े आदेश के बाद आई!

हाईकोर्ट ने जो टिपण्णी की, जो आदेश दिए समाचारपत्र के मुताबिक इस प्रकार है:
          "बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को मनमानी करने की छूट नहीं है। बिजली आवश्यक सेवा है। इस वजह से कर्मचारियों को हड़ताल करने की इजाज़त नहीं दी जा सकती।
          हड़ताल कर आम लोगों को उनके हाल पर छोड़ने वालों के खिलाफ लोगों का आक्रोश साफ़ है। यदि जनता जागी तो उन्हें (विद्युतकर्मियों को) बंगाल की खाड़ी में भी जगह नहीं मिलेगी। ऐसे लोगों को बिजली बोर्ड में रहने का अधिकार नहीं है।
          चीफ जस्टिस पीसी टाटिया और जया राय की अदालत ने शुक्रवार को बिजली कर्मियों की हड़ताल पर यह कड़ी टिपण्णी की। उन्होंने कहा कि यदि 10 मिनट में हड़ताल समाप्त नहीं हुई तो कर्मचारियों को बर्खास्त कर उन्हें दोबारा वापस नहीं लेने का आदेश भी दिया जा सकता है। अदालत का सख्त रूख देखने के बाद हडताली यूनियन ने 10 मिनट में हड़ताल समाप्त करने की बात कही। यूनियन ने कहा कि 10 मिनट में हड़ताल समाप्त हो जाएगी। ......
          कोर्ट ने कहा कि अपनी मांगे मनवाने के और भी तरीके हैं। बोर्ड के लोग भूख-हड़ताल कर सकते हैं। लेकिन बिजली जैसी आवश्यक सेवा ठप्प करने का उन्हें किसी ने अधिकार नहीं दिया। यह आवश्यक सेवा है। हड़ताल को जायज़ नहीं ठहराया जा सकता।
          कोर्ट ने कहा कि कोई डॉक्टर किसी को ओक्सिजन लगाता है, उसके बाद कोई आदमी कहे कि ओक्सिजन मशीन उसकी है इस कारण वह इसे ले जायेगा, तो क्या उसे मशीन ले जाने की इजाज़त दी जा सकती है? इसीप्रकार बिजली बोर्ड के कर्मचारी जब चाहें बिजली की आपूर्ति करें, और जब चाहें बंद कर दें, तो इसे बर्दास्त नहीं किया जा सकता। मनमानी नहीं करने दी जा सकती।
      ****वाह!
जागो ग्राहक जागो!!!

-श्रीकांत तिवारी