इललीगल लैंड-ग्रैब
के टॉप टेन
भगवान् के कलर्क मुंशी ऑडिटर और घोटाला खोजी दल वापस इंडिया आकर भूमि मतलब जमीन की जबरिया कब्जा यानी "इललीगल लैंड-ग्रैब" की जांच करेगा तो भारी पेशोपेश में पड़ जायेगा! जिसे कौन ठीक करे और किसे दण्डित करे की भारी द्विविधा खड़ी हो जावेगी!
_केड़े? मतलब कईसे???????????
*_इंसानों की वजह से सबसे बड़े घोटालेबाज और सबसे ज्यादा इललीगल जमीन को कब्जाने वाले तो, महाराज :
_नंबर-1. हनुमान जी हैं,जी! जिनकी पूँछ अधिक की सीमा लांघे जा रही हैं, सबसे ज्यादा ज़मीन ये ही कब्जाये बैठें हैं! इनको बिहार में खूब मन लगता है! ईहैं समुच्चे राज्य में तो फैले ही हैं! पूरे देस में भी इनकी धाक है, जिसके नीचे दारु के अड्डे, गुटखा पान के खोमचे और ढाबा हैं जिसमे जो मन करे मनमानी करते हुए बजरंग बलि की जय -"गोलिये"- से बोलिए! कान फाडू लाउडस्पीकर की आवाज में फूहड़ गंदे भद्दे भोजपुरी गाने बजाईये, खुद तो बेईज्ज़त होईये ही, अपनी बहन को भी मत छोडिये ~ अर्ज़ है :
"धान कूटअ हो दुलहा धान कूटअ हो
अपना बहिनी के ओखरी में धान कूटअ हो!"
गाँजा की चिलम सुल्गाईये, खींचिए सूटा और आठ फुट की लम्बाई जिनती लम्म्म्मबी धुंवें की पिचकारी छोड़िये! खैनी मलिए, रगड़िये, ठोकिये, ओठ के नीचे रखिये, और थूक की पहली पिचकारी बजरंग बलि को अर्पित कीजिये! एक छोकरे की माँ की पैदाईश पर सवालिया निशान लगाते हुए उसे हँकाईये, और एक बियर की बोतल और चिल्ली चाउमिन मंगवाईये! CD बदलिये दूसरा भाँड़ खोलिए और बिसर बास मारता कोई और बुरी बेईज्ज़ती के आलाप में खो जाईये!
बोलिए जय श्री राम!
जय माता दी!
जय बिहार!
जय नेता जी!
चरका बोलेरो वाले जी की जय!
लाल बत्ती वाले जी की जय!
लाल गमछा वाले की जय !
_"ए हो, लभली ?"
_"का ह ?"
_"देबू ना का?"
_"का दीहीं ?"
_उहै !"
_"जा जा !"
_"हाय हाय !! मन त करत बा कि "-चापाकल में-" कूद के जान दे दिहीं! अरे, गे छिनरी, हमरा "हउ" चाहीं !!"
(तौबा!)
_नंबर 2. गान्ही बाबा! समुच्चे देस में जमीन कब्जाए हुए हैं
_नंबर 3. आम्बेडकर बाबा! समुच्चे देस में जमीन कब्जाए हुए हैं
_नंबर 4. सुभाषचंद्र बोस! समुच्चे देस में जमीन कब्जाए हुए हैं
_नंबर 5. ज्ञात भारतीय स्वतंत्रता सैनानी! समुच्चे देश में जमीन कब्जाए हुए हैं
_नंबर 6. अज्ञात भारतीय स्वतंत्रता सैनानी! समुच्चे देस में जमीन कब्जाए हुए हैं
_नंबर 7. विख्यात उद्योगपति! समुच्चे देस में जमीन कब्जाए हुए हैं
_नंबर 8. अज्ञात सेठ जी! समुच्चे देस में जमीन कब्जाए हुए हैं
_नंबर 9. भईया जी! समुच्चे देस में जमीन कब्जाए हुए हैं
_नंबर 10. भईया जी के चमचे! समुच्चे देस में जमीन कब्जाए हुए हैं
श्री भगवन बोले :"हे गुरुदेव, ऋषियों, देव, एवं देवियों इससे पहले की हम पर कोई मुक़द्दमा दायर हो पृथ्वी को छोड़ दीजिये! इस समय यही समाधान है, अपनी रक्षा कीजिये, ताकि हमारा अपना अस्तित्व भंग न हो! और अबकी बार हम अमेरिका इंग्लैण्ड तरफ ही अवतरित होने की सोचेंगे, भारत अब -भरत- के लायक नहीं रहा! कोई रावण इसे क्या सताएगा? _बेचारी पृथ्वी की तो यही दुर्गति हर कल्प में लिखी है, और हम विवश हैं! क्योंकि हम जिस भारत में अवतार लेते रहें हैं उसमे हमारे अंश, ग्यारहवें रूद्र हनुमान जी की यूँ फजीहत बर्दाश्त के काबिल नहीं! और हमारे जन्म स्थान को राजनीती का आखाड़ा बनाया जाय यह अधिकार मनुष्यों ने स्वयं सिद्ध कर लिया और उसे ही रणभूमि बना डाला _यह हम में से किसने कब और कहाँ कोई ऐसा प्रमाण दिया है??? छोड़ दीजिये इस घोटाले की धरती और भारतीय भूखण्ड को! यह श्रीहीन हो चुकी है! इस भूखण्ड पर हमारी कोई जरूरत नहीं! ये ढीली लंगोटी वाले लम्पटों की भूमि बन चुकी है, जिसका स्वतः विनाश तय है!
_शिक्षक !
_रक्षक !
_ब्यापारी ! और
_सेवक !
सभी के सभी काम क्रोध मोह लोभ माया डाह ईर्ष्या मद मत्सर घमंड और उन्माद में अब सर्वस्व गँवा चुके हैं! इसकी आयु, _अल्पायु है और कीर्ति नष्ट हो चुकी है! इसीलिए इनकी कोई भी पूजा हम तक नहीं पहुँच पाती! अतः पाखण्ड का साम्राज्य है! इसकी अभी और दुर्गति होनी है!
आईये हम फिर से ब्रम्हलीन हो जायँ!
और भगवन ने मंदिरों को त्याग दिया!
भगवन की जो भी तस्वीर है, वह काल्पनिक है! उसमे वह है ही नहीं! जो कण कण में था आज अपनी मूरत में भी नहीं है! इसका जिम्मेदार और कुसूरवार खुद इन्सान है!
के टॉप टेन
भगवान् के कलर्क मुंशी ऑडिटर और घोटाला खोजी दल वापस इंडिया आकर भूमि मतलब जमीन की जबरिया कब्जा यानी "इललीगल लैंड-ग्रैब" की जांच करेगा तो भारी पेशोपेश में पड़ जायेगा! जिसे कौन ठीक करे और किसे दण्डित करे की भारी द्विविधा खड़ी हो जावेगी!
_केड़े? मतलब कईसे???????????
*_इंसानों की वजह से सबसे बड़े घोटालेबाज और सबसे ज्यादा इललीगल जमीन को कब्जाने वाले तो, महाराज :
_नंबर-1. हनुमान जी हैं,जी! जिनकी पूँछ अधिक की सीमा लांघे जा रही हैं, सबसे ज्यादा ज़मीन ये ही कब्जाये बैठें हैं! इनको बिहार में खूब मन लगता है! ईहैं समुच्चे राज्य में तो फैले ही हैं! पूरे देस में भी इनकी धाक है, जिसके नीचे दारु के अड्डे, गुटखा पान के खोमचे और ढाबा हैं जिसमे जो मन करे मनमानी करते हुए बजरंग बलि की जय -"गोलिये"- से बोलिए! कान फाडू लाउडस्पीकर की आवाज में फूहड़ गंदे भद्दे भोजपुरी गाने बजाईये, खुद तो बेईज्ज़त होईये ही, अपनी बहन को भी मत छोडिये ~ अर्ज़ है :
"धान कूटअ हो दुलहा धान कूटअ हो
अपना बहिनी के ओखरी में धान कूटअ हो!"
गाँजा की चिलम सुल्गाईये, खींचिए सूटा और आठ फुट की लम्बाई जिनती लम्म्म्मबी धुंवें की पिचकारी छोड़िये! खैनी मलिए, रगड़िये, ठोकिये, ओठ के नीचे रखिये, और थूक की पहली पिचकारी बजरंग बलि को अर्पित कीजिये! एक छोकरे की माँ की पैदाईश पर सवालिया निशान लगाते हुए उसे हँकाईये, और एक बियर की बोतल और चिल्ली चाउमिन मंगवाईये! CD बदलिये दूसरा भाँड़ खोलिए और बिसर बास मारता कोई और बुरी बेईज्ज़ती के आलाप में खो जाईये!
बोलिए जय श्री राम!
जय माता दी!
जय बिहार!
जय नेता जी!
चरका बोलेरो वाले जी की जय!
लाल बत्ती वाले जी की जय!
लाल गमछा वाले की जय !
_"ए हो, लभली ?"
_"का ह ?"
_"देबू ना का?"
_"का दीहीं ?"
_उहै !"
_"जा जा !"
_"हाय हाय !! मन त करत बा कि "-चापाकल में-" कूद के जान दे दिहीं! अरे, गे छिनरी, हमरा "हउ" चाहीं !!"
(तौबा!)
_नंबर 2. गान्ही बाबा! समुच्चे देस में जमीन कब्जाए हुए हैं
_नंबर 3. आम्बेडकर बाबा! समुच्चे देस में जमीन कब्जाए हुए हैं
_नंबर 4. सुभाषचंद्र बोस! समुच्चे देस में जमीन कब्जाए हुए हैं
_नंबर 5. ज्ञात भारतीय स्वतंत्रता सैनानी! समुच्चे देश में जमीन कब्जाए हुए हैं
_नंबर 6. अज्ञात भारतीय स्वतंत्रता सैनानी! समुच्चे देस में जमीन कब्जाए हुए हैं
_नंबर 7. विख्यात उद्योगपति! समुच्चे देस में जमीन कब्जाए हुए हैं
_नंबर 8. अज्ञात सेठ जी! समुच्चे देस में जमीन कब्जाए हुए हैं
_नंबर 9. भईया जी! समुच्चे देस में जमीन कब्जाए हुए हैं
_नंबर 10. भईया जी के चमचे! समुच्चे देस में जमीन कब्जाए हुए हैं
श्री भगवन बोले :"हे गुरुदेव, ऋषियों, देव, एवं देवियों इससे पहले की हम पर कोई मुक़द्दमा दायर हो पृथ्वी को छोड़ दीजिये! इस समय यही समाधान है, अपनी रक्षा कीजिये, ताकि हमारा अपना अस्तित्व भंग न हो! और अबकी बार हम अमेरिका इंग्लैण्ड तरफ ही अवतरित होने की सोचेंगे, भारत अब -भरत- के लायक नहीं रहा! कोई रावण इसे क्या सताएगा? _बेचारी पृथ्वी की तो यही दुर्गति हर कल्प में लिखी है, और हम विवश हैं! क्योंकि हम जिस भारत में अवतार लेते रहें हैं उसमे हमारे अंश, ग्यारहवें रूद्र हनुमान जी की यूँ फजीहत बर्दाश्त के काबिल नहीं! और हमारे जन्म स्थान को राजनीती का आखाड़ा बनाया जाय यह अधिकार मनुष्यों ने स्वयं सिद्ध कर लिया और उसे ही रणभूमि बना डाला _यह हम में से किसने कब और कहाँ कोई ऐसा प्रमाण दिया है??? छोड़ दीजिये इस घोटाले की धरती और भारतीय भूखण्ड को! यह श्रीहीन हो चुकी है! इस भूखण्ड पर हमारी कोई जरूरत नहीं! ये ढीली लंगोटी वाले लम्पटों की भूमि बन चुकी है, जिसका स्वतः विनाश तय है!
_शिक्षक !
_रक्षक !
_ब्यापारी ! और
_सेवक !
सभी के सभी काम क्रोध मोह लोभ माया डाह ईर्ष्या मद मत्सर घमंड और उन्माद में अब सर्वस्व गँवा चुके हैं! इसकी आयु, _अल्पायु है और कीर्ति नष्ट हो चुकी है! इसीलिए इनकी कोई भी पूजा हम तक नहीं पहुँच पाती! अतः पाखण्ड का साम्राज्य है! इसकी अभी और दुर्गति होनी है!
आईये हम फिर से ब्रम्हलीन हो जायँ!
और भगवन ने मंदिरों को त्याग दिया!
भगवन की जो भी तस्वीर है, वह काल्पनिक है! उसमे वह है ही नहीं! जो कण कण में था आज अपनी मूरत में भी नहीं है! इसका जिम्मेदार और कुसूरवार खुद इन्सान है!