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Monday, April 16, 2012

प्रभात खबर पर निर्मलजीत सिंह उर्फ़ निर्मल बाबा की पोल !!!

आद्योपांत पढ़िए: 
निम्नलिखित पत्र मेरी प्रतिक्रिया है जिसे मैं दिए प्रभात कबर पर दिए गए इ.मेल पर भेज रहा हूँ.
Sent to E.mail: vijay.pathak@prabhatkhabar.in
सन्दर्भ: प्रभात खबर पर निर्मलजीत सिंह नरूला उर्फ़ "निर्मल बाबा" की "पोल" !?
मेरी प्रतिक्रिया :
निर्मलजीत सिंह उर्फ़ "निर्मल बाबा" के विरुद्ध आपके द्वारा छेड़े गए अभियान को काफी बारीकी और गंभीरता से पढ़ा-समझा जा रहा है. आपके समाचार-पत्र में पढने से पहले मैं स्वयं इन "बाबा जी" के बारे में कुछ नहीं जनता था. लेकिन घर में इनकी चर्चा होती रहती थी और इन "बाबा जी" के द्वारा बताये गए "टोटके" आजमाने शुरू किये जा चुके थे.

प्रभात खबर में निर्मलजीत सिंह उर्फ़ निर्मल बाबा से सम्बंधित समाचारों ने जो हलचल मचाई उससे "निर्मल बाबा" उर्फ़ निर्मलजीत सिंह को पहले से ज्यादा देखा जा रहा है. हाँ! मैं मानता हूँ कि जो धन निर्मलजीत सिंह को "भक्तों" द्वारा दिए जा रहे थे/हैं  उसमे गिरावट आई है. उनकी लोकप्रियता सदेह के घेरे में आ गई है. लेकिन इसके साथ-साथ ही टीवी-चैनलों पर प्रसारित होने वाले निर्मलजीत सिंह के "प्रचार-कार्यक्रमों" को जयादा देखा जाने लगा है. बाबा जी के प्रोग्राम की टी.आर.पी. बढ़ी ही है. आपके मार्फ़त "बाबा जी" का प्रचार-प्रसार ही हुआ है, जिसके कारण नहीं मानने वाले भी अब उत्सुकता के साथ निर्मलजीत सिंह के कार्यक्रमों को देख-सुन रहे हैं. आपके मकसद को अभी वो कामयाबी नहीं मिली है जिस अपेक्षा से आपने निर्मलजीत सिंह के विरुद्ध अपना अभियान छेड़ा था.


निर्मल दरबार में उपस्थित जनता की भीड़ यूँ ही नहीं जुट गयी. निर्मलजीत सिंह से लोगों को जरुर फायदा हुआ होगा. क्यों लोग अमरनाथ, वैष्णव देवी, बद्रीनाथ की यात्रा करते नहीं थक रहे? इसीलिए न कि वो धार्मिक स्थल हमारी आस्थाओं जे जुड़े हैं, निश्चित रूप से भक्तों को लाभ हो रहा है! उनके (निर्मलजीत सिंह के) दरबार में उपस्थित लोग जो बूढ़े हैं, यतीम हैं, लाचार हैं क्या वे सभी के सभी एक्टर और ऐक्ट्रेस हैं? कुछ तो सच्चाई है जो इतने लोग जा कर सम्मिलित ही नहीं होरहे बल्कि धन भी समर्पित कर रहे है. इस तरह से प्राप्त धन को लूट तो नहीं कहा जा सकता! अगर ये लूट है तो साबित कीजिये, साबित हो जायेगा तो जनता खुद समझ जाएगी कि निर्मलजीत सिंह से बड़ा डकैत अभी दूसरा कोई नहीं. निर्मलजीत सिंह सामान या वस्तु नहीं बेचता, संकटग्रस्त लोगों को संकट से उबरने का उपाय मात्र बतलाता है. वो उपाय सस्ते और महंगे दोनों हो सकते हैं जिसका कोई आर्थिक लाभ सीधे निर्मलजीत सिंह को नहीं होता होगा. अगर ऐसा है तो आप पता लगाकर उसकी पोल खोलिए, सारी जनता की निगाहें आपके और हैं.


क्या निर्मलजीत सिंह ने किसी कि बाँह मरोड़ कर उसे अपनी भक्ति करने पर और प्रचार करने पर मजबूर किया है? लोगों को फायदा हुआ और यूँ स्वयं ही निर्मलजीत सिंह का मौखिक प्रचार होता गया होगा. ये निर्मलजीत सिंह कि तकदीर है कि आज वो अपनी किसी चतुराई से, न कि किसी चमत्कार से, अकूत धन-सम्पदा का मालिक बन गया है. क्या इस तरह धन कमाना (जिस तरीके से निर्मलजीत सिंह ने धन कमाया है, जैसे भक्तों से प्राप्त धनराशी वगैरह) गैर-कानूनी है? कुछ ही वर्षों पहले ये निर्मलजीत सिंह अपने जीजा श्री इन्दर सिंह नामधारी (माननीय संसद, लोक सभा) के घर से शून्य से शरुआत करता है और मात्र १०-१२ वर्षों में अरबों कि विशाल संम्पत्ति का मालिक बन जाता है. ये किसी फिल्म की कहानी में हो सकता है, हकीक़त में नहीं! १०-१२ वर्षों में ही इस कदर धन कमा लेना ही निर्मलजीत सिंह को शक के घेरे में ला खड़ा कर देता है. ऐसे चमत्कार सिर्फ किस्से कहानियों और फिल्मों में ही होते हैं. फिर भी अपने टीवी पर साक्षात्कार में जिस दृढ़ता से ये सवालों के जबाब दे रहा है वो अचरज में दल देने वाली बात है. हम जनता जब तक चमत्कार नहीं देखते उस पर विश्वास नहीं करते. निर्मलजीत सिंह से "निर्मल बाबा" तक का सफ़र चमत्कारिक है!! और, देश के लिए तहकीकात का!!!


ये बात किसी के लिए भी इर्ष्या का विषय है. खास कर उस व्यक्ति के लिए जिसके घर रह कर निर्मलजीत सिंह ने "निर्मल बाबा" तक का अपना सफ़र शुरू किया था! इंसानी फितरत है जनाब! कि क्यूँ कर एक हरवाहा/चाकर सामान व्यक्ति मात्र १०-१२ वर्षों में अरबपति हो गया!!! कल तक जो नौकर था आज मालिक कैसे बन गया!!!??? अब वो ही व्यक्ति अपनी कामयाबी को "शक्ति कि कृपा" बतलाता है तो कोई विश्वास नहीं करता. लोग उसके दरबार में रू २०००/- ३०००/- ले कर भेज रहे हैं, कि उन्हें भी "उस" शक्ति कि कृपा मिल जाय! निर्मलजीत सिंह ऐसे लोगों को जुबानी उपाय बतलाता है. लोग विश्वास करते हैं. आप क्या कर लेंगे?? कुछ ऐसा साबित कीजिये कि ये विश्वास टूटे.


निर्मलजीत सिंह ने एक ही गलती की है जो उनके सारे किये कराये पर सवाल ही नहीं खड़ा करता बल्कि पानी फेर दे रहा है_ वो है धन माँगना, अपने दरबार में शामिल होने की फीस हजारों में ऐंठना! और उस धन से जनकल्याण न कर के अपनी प्रभुता बढ़ाना, प्रोपर्टी खरीदना, अपने आप को ईश्वर सदृश प्रस्तुत कर के अपनी दुकानदारी बढ़ाना और भक्तों से मिले पैसे से ऐश करना!! ऐसा शख्श "पूज्यनीय बाबा" कदापि नहीं हो सकता.

कुछ ऐसा कीजिये कि ये निर्मलजीत सिंह अपनी इस टोटके 'बेचने' की दुकानदारी को बंद करे.  ये शख्श काफी चालाक है. जिसे निश्चित रूप से कानूनी सलाह हासिल है. इसके विदेशी संबंधों का पता लगाइए, विदेशों से प्राप्त धन के आंकड़े खोज निकालिए और हम जनता को इससे अवगत कराईये, अगर ये निर्मलजीत सिंह भक्तों से प्राप्त धन को विदेशों में इन्वेस्ट कर रहा है तो वो भी पता लगाइए. ये आपका फ़र्ज़ है और अब जिम्मेवारी है. पहले इस आदमी ने गरीबी झेली है, अब रईस बन कर अपनी धाक ज़माने से इसे कौन रोक सकता है!? इसने व्यक्तिगत रूप से किसी का कुछ नुकसान किया हो तो खोजी पत्रकारिता की मिसाल पेश कीजिये और इसकी पोल खोलिए. ये आदमी, निर्मलजीत सिंह उर्फ़ निर्मल बाबा, किसी से छिप नहीं रहा बल्कि दृढ़ता से सबका सामना कर रहा है, ये हमें अचरज में डालता है. इसके पासपोर्ट, वीसा जैसी चीजों और विदेश कि यात्राओं पर निगाह रखिये. कहीं ये  भाग गया तो फिर कागज़ ही काले होंगे.


अफ़सोस है कि आपके अभियान से इसका कुछ नहीं बिगड़ा, बल्कि ये और सशक्त हो गया है. आपके समाचर-पत्र में छपने केलिए अब इस निर्मलजीत सिंह के बारे में कुछ नहीं बचा. अब निर्मलजीत सिंह मुख्य खबर नहीं है.. इसका दरबार निर्विघ्न जारी है. आपने सिर्फ इस निर्मलजीत सिंह के पिछले जीवन की कहानी मात्र कही है, जिसमे कुछ नहीं रखा. गड़े मुर्दे उखाड़ कर आपने ये तो बतलाया कि निर्मलजीत सिंह ने पिछले दिनों का मकान भाडा तक नहीं चुकाया, पर ये समाचार निर्मलजीत सिंह के प्रति हमारी उत्सुकता को बढ़ता है कि देखो कितना मुश्किल भरा दौर इसने झेला है. आज निर्मलजीत सिंह को धन की कमी नहीं, वह माकन मालिक ब्याज समेत अपना किराया वसूल ले कौन रोकता है! हाँ! निर्मलजीत सिंह को चाहिए कि वो ब्याज समेत अपने पुराने मकान मालिक का किराया चूका दे. नहीं चुकता तो ये निर्मलजीत सिंह की कृतघ्नता होगी. 

सबसे बड़ा सवाल ये है कि ऐसा क्या हो गया जो ख़ास कर प्रभात खबर ही निर्मलजीत सिंह के पीछे पड़ गया? किसी और दुसरे समाचार पात्र ने निर्मलजीत सिंह उर्फ़ निर्मल बाबा में प्रभात खबर के सामान रूचि क्यों नहीं दिखाई? क्या आपको किसी ने उकसाया या भड़काया है? हमारा आप पर भरोसा है कि ऐसा न है न होगा. फिर भी सिर्फ आपके द्वारा लिखे जाने से आम ये सवाल उठ रहा है कि आपको किसी ने उकसाया तो नहीं! किसी ने निर्मलजीत सिंह से खुंदक खा कर आपके कान भरे हों और आपने इसे मुद्दा बना लिया. जरूर ही ये बे-बुनियाद बात है. आपके बारे में तो ऐसा सोचना भी महापाप है. फिर भी बता दीजिये कि "हिंदुस्तान", दैनिक जागरण", "दैनिक भास्कर", इंग्लिश न्यूज़ पपेर्स में पिछले ६ दिनों में निर्मल बाबा मुख्य खबर क्यों नहीं!!!? क्या इसलिए कि सिर्फ आपको ही एक्स्क्लुसिव टिप आसानी से हासिल है!!!? सिर्फ आप ही मात्र के हो-हल्ले ने टीवी वालों को निर्मलजीत सिंह का इंटरव्यू लेने को भेजा. जनता ने देखा सुना, पर समझा कुछ नहीं. कुछ नहीं हुआ. सिर्फ आपके अखबार कि बिक्री बढ़ गयी. 
आइन्दा दिनों में ये सबके लिए कौतुहल का विषय होगा की निर्मलजीत सिंह उर्फ़ "निर्मल बाबा" का या आपके उत्तम "प्रयास" का क्या अंजाम सामने आएगा.  

हम जनता संशय में हैं. अपने विवेक से काम ले रहे हैं तभी तो आपसे सम्मुख हैं. अब आपकी जिम्मेवारी है कि हमारे सभी संशय दूर करें. 
 

        भवदीय,
- श्रीकांत तिवारी,
थाना रोड, लोहरदगा.
  Some points Printed by the news paper on dt: 17,APR`2012 in Ranchi edition.