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Sunday, April 8, 2012

बाबूजी के शब्द :

बाबूजी के शब्द :

शर्ट : कमीज़, "मिरजई" या "बुशर्ट" कहते थे. 
नाभि : "ढोंडी"
सरसों तेल : "कडुआ तेल"
लोटा : "टुइयां", या "घूटी"
मछरदानी : "मुसहरी", "सिरकी"
सादी रोटी"फुलकी रोटी" या "फुटेहरी" 
थाली : "थरिया"
औकात  : "आकबत"
पेन : "कलम"
पेंसिल : "रूल"
कॉपी : "बही" 
स्कूल बैग : "बस्ता" 
पतलून : "फुलपैंट"
कंघी : "कंकही" 
घोसला : "खोंता" 
इंग्लिश : "अंगरेजी" 
तंग (परेशान) करना : "दिक् करना" 
पतंग (KITE) : "गुड्डी" या "तिलंगी"  


ऐसा नहीं है की बाबूजी ऐसी ही जुबान बोलते थे, उपरोक्त शब्द वे सिर्फ हमें और लोगों को हँसाने के मकसद से बोलते थे. हमारे बाबूजी पटना बी.एन. कॉलेज से स्नातक थे, जिनकी "अंगरेजी" काफी अच्छी थी. वे बहुत ही अच्छे पत्र-लेखक भी थे.
जब उन्हें जम्हाई आती थी तो नि:स्वाश ले कर कहते थे : "हे प्रभु हे दीनानाथ...!"
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श्रीकांत  बेटा : "बबुआ" 
    
 
 
 
  

AMITABH AUR HUM

अमिताभ बच्चन ने अब तक जितनी फिल्मो में काम किया उतने ही जन्म उन्होंने जिया. और उनकी फिल्मो के माध्यम से हमने भी एक युग जिया है. अभी भी अगर कोई 'DON' देखे, 'दीवार' देखे, या 'शोले' देखे तो उसे स्वतः अपनी उम्र की उस अवस्था की याद आये बिना नहीं रहेगी. वो उम्र जब हममें निश्छल उत्साह और उल्लास के अलावे और कुछ नहीं था. सच कहूँ तो वो ही उम्र फिर जीने की ललक ने ही हमें आज-कल की विषमताओं में जिन्दा रखा है.

श्रीकांत 

MOST DISASTROUS WORDS IN HUMANITY & FRATERNITY:

No.1> DEATH
No.2> VENDETTA
No.3> SEPARATION 
No.4> POVERTY
No.5> DISEASE
No.6> WAR

EVERYONE SHOULD GET RID OF THESE.
...BUT CAN WE?

OF COURSE WITH SOMEONE OF THE ABOVE.

No.1> DEATH IS NATURAL. AGONIZING WHEN IT OCCURS UNNATURALLY.
No.2> VENDETTA! OF COURSE WE CAN.
No.3> SEPARATION! OF COURSE WE CAN.
No.4> POVERTY ??? only God can help. -&- Never by the politicians.
No.4> DISEASE! WE ARE FIGHTING AGAINST IT...
No.5> OF COURSE WE CAN.







SHRIKANT

AMITABH

अमित जी से कौन प्रभावित और अभिभूत नहीं है? ये आदमी उन लोगों का प्रतिनिधित्व करता है जो आज सफलता के पायेदान पर आसमान की बुलंदियों पे खड़े आम आदमी को संघर्ष करने से नहीं घबरा कर लगातार अपने काम में लगन से जुड़े रहने की प्रेरणा देते रहते हैं !


श्रीकांत