बाबूजी के शब्द :
शर्ट : कमीज़, "मिरजई" या "बुशर्ट" कहते थे.
नाभि : "ढोंडी"
सरसों तेल : "कडुआ तेल"
नाभि : "ढोंडी"
सरसों तेल : "कडुआ तेल"
लोटा : "टुइयां", या "घूटी"
मछरदानी : "मुसहरी", "सिरकी"
सादी रोटी : "फुलकी रोटी" या "फुटेहरी"
थाली : "थरिया"
औकात : "आकबत"
पेन : "कलम"
पेंसिल : "रूल"
कॉपी : "बही"
स्कूल बैग : "बस्ता"
पतलून : "फुलपैंट"
कंघी : "कंकही"
घोसला : "खोंता"
इंग्लिश : "अंगरेजी"
तंग (परेशान) करना : "दिक् करना"
पतंग (KITE) : "गुड्डी" या "तिलंगी"
ऐसा नहीं है की बाबूजी ऐसी ही जुबान बोलते थे, उपरोक्त शब्द वे सिर्फ हमें और लोगों को हँसाने के मकसद से बोलते थे. हमारे बाबूजी पटना बी.एन. कॉलेज से स्नातक थे, जिनकी "अंगरेजी" काफी अच्छी थी. वे बहुत ही अच्छे पत्र-लेखक भी थे.
जब उन्हें जम्हाई आती थी तो नि:स्वाश ले कर कहते थे : "हे प्रभु हे दीनानाथ...!"
कंघी : "कंकही"
घोसला : "खोंता"
इंग्लिश : "अंगरेजी"
तंग (परेशान) करना : "दिक् करना"
पतंग (KITE) : "गुड्डी" या "तिलंगी"
ऐसा नहीं है की बाबूजी ऐसी ही जुबान बोलते थे, उपरोक्त शब्द वे सिर्फ हमें और लोगों को हँसाने के मकसद से बोलते थे. हमारे बाबूजी पटना बी.एन. कॉलेज से स्नातक थे, जिनकी "अंगरेजी" काफी अच्छी थी. वे बहुत ही अच्छे पत्र-लेखक भी थे.
जब उन्हें जम्हाई आती थी तो नि:स्वाश ले कर कहते थे : "हे प्रभु हे दीनानाथ...!"
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श्रीकांत बेटा : "बबुआ"