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Saturday, December 8, 2012

दिसंबर 2012 की शुरुआत :

दिसंबर 2012 की शुरुआत : पहला सप्ताह:

दिसंबर 2012 की शुरुआत होते ही अनेक तरह की बातें, घटनाएँ, शुरू हुईं।

जेम्स बोंड की नयी फिल्म SKYFALL नहीं देख सका। पर ....

1. वीणा के हाथ का ऑपरेशन, क्लिप और स्क्रूज निकलवाने राँची गया। 2 दिसंबर को कमल के साथ पुराने "उपहार सिनेमा", जो एक नए भब्य रूप "गैलेक्सिया मौल" में परिवर्तित हो चुका है, हमने आमिर , रानी, और करीना से सजी बहुप्रतीक्षित फिल्म "तलाश" देखी। उं हूं !! नहीं पसंद आया। इसमें दो ख़ास बातें अच्छी लगी: पहली - खाखी वर्दी में पहली बार आमिर और उनकी दमदार अदाकारी, दूसरी - नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का परफोर्मेंस। फिल्म सुपरनेचुरल विषयक है पर हॉरर मूवी नहीं! सस्पेंस थ्रिलर है पर रोमांचक नहीं! कोई षड्यंत्र नहीं! कोई खलनायक नहीं! कोई मनोरंजन नहीं।

2. 3-दिसंबर को वीणा के हाथ का ओप्रशन हो गया। क्लिप और स्क्रूज निकाल दिए गए।

3. धीरू को मैंने डांटा। शराब का दखल मेरे लिए, मेरे परिवार के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है।

4.  डुग्गु  और गुनगुन के साथ का आनंद मिला।

5.  मैंने अपने लिए कुछ रेडीमेड कपडे ख़रीदे।

6.  वीणा के नर्सिंग होम से छुट्टी मिलते ही मैं उसे लेकर लोहरदगा वापिस आ गया।

7. लोहरदगा पहुँचते ही बिजली संकट का सामना करना पड़ा।

8.  facebook पर लिखने के लिए मोबाइल का सहारा लेना पड़ा।

9. 5-दिसंबर से 7-दिसंबर तक बिजली गुल रही।

10. 6-दिसंबर का समाचार पत्र पढ़ कर पता लगा कि झारखण्ड सरकार द्वारा बिजली व्यवस्था निजी कंपनियों को सौंपने के विरोध में राज्यभर के विद्युतकर्मियों ने लाइटनिंग स्ट्राइक की घोषणा कर दी है।

11. बिजली न रहने के कारण मैं इस पृष्ठ पर न लिख सका और मुझे मोबाइल का सहारा लेना पड़ा। ये थोडा कठिन लगा।

12. बिजली कि ये कटौती काफी कष्टदायक रही। सभी बिजली के उपकरण ठप्प पद गए।

13. 7-दिसंबर को बिजली आ गई।

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लोहरदगा, 08, दिसंबर, 2012 शनिवार : प्रातः  06 बजे सुबह :

अभी-अभी  समाचार पत्र के माध्यम से पता चला कि बिजली विद्युतकर्मियों की "कृपा" से नहीं बल्कि झारखण्ड हाईकोर्ट के सख्ती और धमकी और कड़े आदेश के बाद आई!

हाईकोर्ट ने जो टिपण्णी की, जो आदेश दिए समाचारपत्र के मुताबिक इस प्रकार है:
          "बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को मनमानी करने की छूट नहीं है। बिजली आवश्यक सेवा है। इस वजह से कर्मचारियों को हड़ताल करने की इजाज़त नहीं दी जा सकती।
          हड़ताल कर आम लोगों को उनके हाल पर छोड़ने वालों के खिलाफ लोगों का आक्रोश साफ़ है। यदि जनता जागी तो उन्हें (विद्युतकर्मियों को) बंगाल की खाड़ी में भी जगह नहीं मिलेगी। ऐसे लोगों को बिजली बोर्ड में रहने का अधिकार नहीं है।
          चीफ जस्टिस पीसी टाटिया और जया राय की अदालत ने शुक्रवार को बिजली कर्मियों की हड़ताल पर यह कड़ी टिपण्णी की। उन्होंने कहा कि यदि 10 मिनट में हड़ताल समाप्त नहीं हुई तो कर्मचारियों को बर्खास्त कर उन्हें दोबारा वापस नहीं लेने का आदेश भी दिया जा सकता है। अदालत का सख्त रूख देखने के बाद हडताली यूनियन ने 10 मिनट में हड़ताल समाप्त करने की बात कही। यूनियन ने कहा कि 10 मिनट में हड़ताल समाप्त हो जाएगी। ......
          कोर्ट ने कहा कि अपनी मांगे मनवाने के और भी तरीके हैं। बोर्ड के लोग भूख-हड़ताल कर सकते हैं। लेकिन बिजली जैसी आवश्यक सेवा ठप्प करने का उन्हें किसी ने अधिकार नहीं दिया। यह आवश्यक सेवा है। हड़ताल को जायज़ नहीं ठहराया जा सकता।
          कोर्ट ने कहा कि कोई डॉक्टर किसी को ओक्सिजन लगाता है, उसके बाद कोई आदमी कहे कि ओक्सिजन मशीन उसकी है इस कारण वह इसे ले जायेगा, तो क्या उसे मशीन ले जाने की इजाज़त दी जा सकती है? इसीप्रकार बिजली बोर्ड के कर्मचारी जब चाहें बिजली की आपूर्ति करें, और जब चाहें बंद कर दें, तो इसे बर्दास्त नहीं किया जा सकता। मनमानी नहीं करने दी जा सकती।
      ****वाह!
जागो ग्राहक जागो!!!

-श्रीकांत तिवारी