मैं हिंदी को मानने वाला व्यक्ति हूँ। अपनी उपासना मैं हिंदी में करता हूँ। असली बात तो ये है कि मुझे ठीक से अंग्रेजी नहीं आती। आप में से कुछ लोगों के लिए मुझ जैसे अंग्रेजी न जानने वालों के लिए अस्पृश्यता (Untouchabilty / Untouchable) का आभास होता होगा। पर मुझे इस बात की ज़रा भी परवाह नहीं है। अन्य साधनों की तरह अंग्रेजी का प्रयोग मैं कम करता हूँ। और मेरा हमेशा ये प्रयास रहेगा कि में हिंदी "देवनागरी" में ही लिखुँ , और लिखुँगा। किन्हीं को ऐतराज़ हो तो पहले अपनी स्थिति और अवस्था को पहले जांच लेवें, और आईने में अपनी शक्ल देख लेंवें। अगर हिंदी भाषी भारतीय हैं, तो आपकी मोनोदशा खेदजनक है, पर शायद इससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ता _ये ज्यादा खेदजनक है।
मुझे अंग्रेजी नहीं आती पर आप लोगों के लेखन के खिलाफ मैं बिलकुल नहीं हूँ। कुछ जतन कर के काम चला लेता हूँ। क्योंकि चलाने की मजबूरी है। श्रीमान को सर हिंदीवाले भी बोलते हैं, इसलिए ज्यादा माथा खराब करने की आवश्यकता नहीं पड़नी चाहिए।
आप जारी रहिये। हिंदी की कद्र करने की कोशिश कीजिये। वैसे ये आपलोगों के लिए मुश्किल काम है।
अंग्रेजी का जामा पहनकर आप खुद को परिष्कृत समझें। पर हिंदी लेखन को हिकारत से देखने की धृष्टता न करें।
जय हिन्द।
मुझे अंग्रेजी नहीं आती पर आप लोगों के लेखन के खिलाफ मैं बिलकुल नहीं हूँ। कुछ जतन कर के काम चला लेता हूँ। क्योंकि चलाने की मजबूरी है। श्रीमान को सर हिंदीवाले भी बोलते हैं, इसलिए ज्यादा माथा खराब करने की आवश्यकता नहीं पड़नी चाहिए।
आप जारी रहिये। हिंदी की कद्र करने की कोशिश कीजिये। वैसे ये आपलोगों के लिए मुश्किल काम है।
अंग्रेजी का जामा पहनकर आप खुद को परिष्कृत समझें। पर हिंदी लेखन को हिकारत से देखने की धृष्टता न करें।
जय हिन्द।