लोहरदगा, थाना टोली 20 नवम्बर 2012 09:57 प्रात:
17 नवम्बर से ले कर अभी तक बहुत कुछ हुआ है।
क्या भूलूँ - क्या याद करूँ?
बाल ठाकरे की अभूतपूर्व ऐतिहासिक अंतिम विदाई !? या ...
अमिताभ बच्चन का उदास गंभीर और सोच में डूबा चेहरा !? या ...
उद्धव ठाकरे का बिलख-बिलख कर रोना !? या ...
राज ठाकरे के घडियाली आंसू !? या ...
क्षणभंगुर छठ पूजा !? या ...
पटना के छठ घाट पर घटी दुखद दुर्घटना !?
प्राण साहेब (92) के अटके प्राण ?
... हे भगवान् इनकी, हमारी, सबकी रक्षा करो
...
2012
2012
2012
इस मनहूस वर्ष को और कितनी जान चाहिए ?
17 नवम्बर से ले कर अभी तक बहुत कुछ हुआ है।
क्या भूलूँ - क्या याद करूँ?
बाल ठाकरे की अभूतपूर्व ऐतिहासिक अंतिम विदाई !? या ...
अमिताभ बच्चन का उदास गंभीर और सोच में डूबा चेहरा !? या ...
उद्धव ठाकरे का बिलख-बिलख कर रोना !? या ...
राज ठाकरे के घडियाली आंसू !? या ...
क्षणभंगुर छठ पूजा !? या ...
पटना के छठ घाट पर घटी दुखद दुर्घटना !?
प्राण साहेब (92) के अटके प्राण ?
... हे भगवान् इनकी, हमारी, सबकी रक्षा करो
...
2012
2012
2012
इस मनहूस वर्ष को और कितनी जान चाहिए ?
2012 को और कितनी नर-बलि चाहिए ?
...
?
क्या इन्हें भूल कर "हुले-ले-ले" करने को ही जीवन कहते हैं ?
You win some, you loos some, life goes on...
the clock is ticking...
- श्रीकांत तिवारी