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Wednesday, November 27, 2013

THE LOST SYMBOL

इसे चौंथी बार पढ़ रहा हूँ, लेकिन इसकी लज्ज़त नयी-की-नयी है… 
_____आईये, मित्रों ! आज इस किताब की कहानी सुनाता हूँ, मैं ! ...इस यकीन के साथ कि यह अफ़साना, मेरी इस आगाज़ को आप अंजाम तक जरूर पहुंचाएंगे, जिसे एक ख़ूबसूरत मोड़ दे कर मैं आपके हवाले कर रहा हूँ....
P r o l o g u e :
House of the Temple
8:33PM
The secret is how to die.
Since the beginning of time, the secret had always been how to die.
प्रथम दीक्षा हेतु उपस्थित The Thirty-four-year-old initiate ने आपने हाथों में थामे हुए मानव खोपड़ी को देखा! खोपड़ी खोखली और एक कटोरे जैसी है, जिसमे रक्त-सदृश -bloodred wine- भरा हुआ है!
`Drink it`, he told himself, `You have nothing to fear.`
उसका पहनावा पुराने परंपरागत तरीके के मुताबिक था, ...जैसे फांसी पर लटकने जा रहा हो, ...बायें पाँव का पैंट घुटने तक ऊपर मुडा हुआ है, दाहिने हाथ की आस्तीन कुहनी तक मुड़ी हुई है, ...गले में रस्सी का एक फंदा पड़ा हुआ है, ...ढीली, खुली कमीज़ के बीच से उसकी शक्तिशाली, लेकिन मुर्दे की तरह सफ़ेद छाती नुमायाँ हो रही है, ...
यह एक चौकोर कमरा है, the temple room..., जिसकी छत 100-फिट ऊँची है, ...यहाँ सिर्फ जलती मोमबत्तियों मात्र का प्रकाश और गंध है, ...चारों तरफ बिरादरी के अग्रणी सदस्य बैठे हुए हैं, ...सबने पौराणिक और परंपरागत लिबास और Jewels/रत्न पहना हुआ है, ...इनमे से अनेक सदस्य सामान्यतः अत्यंत ही प्रभावी व्यक्तित्व एवं प्रभावशाली पदों के धारक अथवा मालिक हैं!
बाहर की दुनियां में कौन इसपर यकीन करेगा?_ the initiate wondered.
The truth, however was stranger still. "I am just blocks away from the White House."
`It is time`, a voice whispered. The initiate ने 50-वर्ष की उतरार्ध आयु वाले, चाँदी जैसे बालों वाले, एक सुप्रसिद्ध अमेरियन ICON को 'Supreme Worshipful Master' को परम्परागत लिबास में अपने प्रधान आसन पर विराजमान देखा! `Take the oath`, The worshipful master said, his voice soft like falling snow, `Complete the journey.`
`I do.` the initiate lied. <<<(उसने झूठ बोला!) `They will never know my true purpose here.` the initiate ने शपथ ली ! विधिपूर्वक ढंग से उसने मानव खोपड़ी की कटोरी में भरी रक्त-सदृश वाइन पी ली! `May this wine I now drink become a deadly poison to me . . . should I ever knowingly or willfully violate my oath.` उसे अपना जिस्म भीतर से झुलसने-सा लगने लगा! ....फिर धीरे-धीरे उसे पुनः स्वयं की प्राप्ति होने लगी, ...उसकी रगों में संजीवनी-सी प्राणदायक शक्ति की तीव्र धारा दौड़ने लगी! `Tonight`, he thought, `something is taking place within these walls those that has never before occurred in the history of this brotherhood. Not once in the centuries.`  His word echoed in the hollow space. Then all was quiet. ...
सन्नाटा! !!
`Soon`, the initiate thought, `You will lose everything you hold most dear.`
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(सदा की भाँती~ in DAN's Style, wOw! As usual!)....अविवाहित, 40-वर्ष की पूर्वार्ध की उम्र के हारवर्ड यूनिवर्सिटी के सुप्रसिद्ध आइकोनोलोजिस्ट / सिम्बोलोजिस्ट / आर्ट & हिस्ट्री के मशहूर प्रोफेसर रोबर्ट लैंगडन प्लेन के झटके से अपने एक खौफनाक पुराने, सच्चे, सपने से उबरता हुआ जागता है! वह एक अत्याधुनिक Private Falcon 2000EX Jet में है! प्लेन के वाशिंगटन डी.सी. Dulles International Airport पर लैंड करने की कैप्टन घोषणा गूंजी :`Mr. Langdon, we are on final approach.` रोबर्ट लैंगडन अपना बैग और आज के अपने लेक्चर के कागज़ात चौकस करता है! इस लेक्चर के लिए अमेरिका के सुप्रसिद्ध, पुराने खानदानी, अति-धनाढ्य, Smithsonian Institution, SMSC _ Smithsonian Museum Support Center के प्रणेता और मालिक, एक ख्याति प्राप्त और विश्व-प्रसिद्द वैज्ञानिकों और अन्य महत्वपूर्ण खूबियों वाले पूर्वजों के परिवार का आखिरी सदस्य, और दुनिया भर में फैले उसके विशाल एम्पायर के विभिन्न अनुसंधान कार्यालय और अनेक प्रयोगशालाएं फैली है, का इकलौता मालिक महान पीटर सोलोमन ने इस लेक्चर के लिए रोबर्ट लैंगडन को आमंत्रित किया है! London's Royal Society से सम्बद्ध, एक जीनियस, लोकोपकारी, मानव-प्रेमी, इतिहास विशेषज्ञ, एक वैज्ञानिक, और रोबर्ट लैंगडन के 58-वर्षीय परम-मित्र, उसके MENTOR, भ्रातृ-तुल्य, A Father Figure; _'Peter Solomon' ने रोबर्ट लैंगडन से सादर आग्रह किया है! रोबर्ट लैंगडन को आज पीटर सोलोमन द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में लेक्चर देना है! `The man I never want to be disappointed.`
...प्लेन सुरक्षित लैंड करता है! रोबर्ट लैंगडन Airport पर the Signature Terminal को देखता है, जहां बेशुमार प्राइवेट Jets खड़े थे;_ `A taxi stand for Rich -&- Famous.` रोबर्ट ने सोचा! पीटर सोलोमन की माँ की 10-साल पहले, हत्या हुई थी, ...कुछ ही दिनों बाद उसे (पीटर सोलोमन को) अपने इकलौते पुत्र की असामयिक मृत्यु का दंष झेलना पड़ा! अब संसार में जीवित उसकी एक मात्र रिश्तेदार उसकी सगी बहन कैथरीन है, जो Noetic Science की एक जीनियस वैज्ञानिक है! उसके भाई पीटर सोलोमन ने SMSC के भीतर अपनी बहन के रिसर्च कार्यों हेतु अत्याधुनिक, सर्व-सक्षम, सर्व-समर्थ लैबोरेटरी बनाकर गिफ्ट की ताकि कैथरीन के वैज्ञानिक चमत्कारों और नए अनुसंधान को अंजाम दिया सके जिससे मानवता की भलाई और सुनिश्चित हो सकेगी! कैथरीन का रिसर्च new cutting-age discipline called Noetic Science, द्वारा एक गोपनीय वैज्ञानिक अनुसंधान है!
...एअरपोर्ट पर एक महिला रोबर्ट लैंगडन का स्वागत करती है! उसने रोबर्ट को एक इंतज़ार करते Limousine Lincoln Town Car तक पहुंचाकर ड्राईवर के हवाले कर दिया! ड्राईवर ने रोबर्ट लैंगडन का स्वागत किया! उसने रोबर्ट लैंगडन को कार की सुविधाओं और जरूरत के समस्त साजो-सामान की जानकारी दी, और सम्मान से उसे बिठाया! `So this way the other half lives.` रोबर्ट ने सोचा! आधे घंटे का सफ़र है! लक्ष्य है :_
_'the Capitol Building, Washington D.C.!' 
सफ़र शुरू होता है! रोबर्ट लैंगडन आराम से बैठा शहर के मशहूर स्थानों की ड्राईवर द्वारा कमेन्ट्री सुनता, ...लेकिन अधिकाँश अपने ख्यालों में सोच रहा है कि कैसे आज सुबह ही उसे इस समारोह में लेक्चर देने के लिए पीटर सोलोमन का बुलावा आया था ......
'!...............................ठीक इसी वक़्त Capitol Building से 10-मील दूर, एक अकेला -साया- भी व्यग्रता से रोबर्ट लैंगडन के आगमन की प्रतीक्षा कर रहा है!...............................!' 
-??-
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इसका घर एक मैंसन है! यह खुद को मलख (Mal'akh) कहता है! इसका सिर घुटा हुआ (Baled) Shaved Head है! यह 6'x3"फिट ऊँचा, गठी हुई मज़बूत और शक्तिशाली, बलिष्ठ, सुगठित मांसपेशियों वाले शरीर का मालिक है! उसने अपना रॉब उतार दिया! उसके शरीर पर कहीं भी बाल नहीं है, भौहें भी नहीं!! उसके समूचे शरीर पर tattoos हैं! ऐतिहासिक महत्त्व और रहस्यों, और रीतियों से सम्बंधित विचित्र, विलक्षण, भयानक, डरावने टैटूज!! खासकर उसकी छाती पर बने दो-सिर वाले Phoenix की डरावनी टैटू है! `I am a masterpiece.` उसके सिर पर भी टैटूज हैं; सिर्फ केंद्र (पर एक वृत) को छोड़कर, जहाँ से उसकी उजली खलवाट खोपड़ी का गोल भाग, सफ़ेद, खाली है! उसने केंद्र के बीचो-बीच tip of the needle टिकाई, दबाया, फिर ट्रिगर दबा दिया! दवा (Drug) उसकी खोपड़ी की चमड़ी के नीचे प्रवाहित हो गई! मोमबत्तियों की रौशनी में उसने खुद को संतोषपूर्ण ढंग से देखा! खिड़की से बाहर दूर रौशनी में नहाया हुआ U.S. Capitol Building शान से जगमगा रहा है! `...यहीं वह कहीं छिपा हुआ है . . . यह वहीँ कहीं दफ़न है, ` ....This is where it is hidden`, he thought, `It is buried out there somewhere.` मात्र कुछ ही लोगों को इसके अस्तित्व का पता है! और कुछ ही को इसकी शक्ति का आभास है! `Now they have open their doors to me.` Mal'akh thought. आज के दिन के लिए ही वह सभी तैयारी कर चुका था, रिमोट कण्ट्रोल संचालित एक गुप्त सीढ़ियों से होते -नीचे- अपने बेडरूम में पहुंचा। उसने आईने में खुद को निहारा : `I am a masterpiece. I am an artifact . . . an evolving icon.` फिर उसने एक ख़ास किस्म के लेप से अपने टैटूज छिपाए, और एक नया बहुरूप धारण करने लगा! `............It is buried out there somewhere.` It is out there`, he thought. `And tonight, one man will help me find it.` उसने आगामी घटना के लिए खुद को तैयार कर लिया है, उसके घर से निकलते ही उसका भयावह षड्यंत्र शुरू हो चुका है जो U.S. Capitol Building को दहलाकर रख देगा! और आखिरकार इस षड्यंत्र की बिसात में उसके एक -प्यादे- की इंट्री हो भी चुकी है!!
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`I woke this morning anticipating a quiet Sunday at home . . . and now I'm a few minuets away from the U.S. Capitol.` रोबर्ट लैंगडन ने महसूस किया कि वह अपने गंतव्य की ओर निर्धारित सड़क के अलावे एक दूसरी राह पर जा रहा है, `Memorial building already?` रोबर्ट लैंगडन ने 555'-feet ऊँचे, कृत्रिम प्रकाश से जगमगाते Washington Monument; America's Egyptian obelisk को देखा!...........आज (6-AM) सुबह की शुरुआत सामान्य रूप से शुरू हुई लेकिन शान्ति भंग हुई एक टेलीफोन कॉल से! पीटर सोलोमन की एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट Anthoni Jelbart ने रोबर्ट लैंगडन से बात की! उसने पीटर सोलोमन के एक प्राइवेट लाइन का नंबर दिया, और कहा कि जितनी जल्दी हो सके वह पीटर सोलोमन से बात करे! पीटर सोलोमन कब से उसे ढूंढ़ रहे हैं, रोबर्ट लैंगडन को पीटर सोलोमन के प्रति चिंता जागृत होती है! `I hope he's okay.` पीटर सोलोमन से रोबर्ट लैंगडन की पहली मुलाकात एक अकादमिक सम्मलेन में हुई थी, जिसमे पीटर सोलोमन as a guest lecturer के रूप में आमंत्रित आदरणीय मेहमान थे! उनकी पहली मुलाकात से एक दुसरे के प्रति उत्पन्न सम्मान और दोस्ती के सम्बन्ध की प्रगाढ़ता दिनोंदिन बढती गई, और वे एक दुसरे के प्रशंसक और अनन्य-अभिन्न मित्र बन चुके थे! उसी पीटर सोलोमन की आज सुबह एक फैक्स भी, रोबर्ट लैंगडन को मिल चुकी थी, जिसके बारे में फोन भी आ चुका था! FAX में लिखा था :
Peter Solomon
OFFICE OF THE SECRETARY
THE SMITHSONIAN INSTITUTION
Good morning, Robert,
I need to speak with you at once.
Please call me this morning as soon as you can at 202-329-5746
Peter.
रोबर्ट लैंगडन अविलम्ब कॉल करता है जिसे वही आदमी रिसीव करता है, जिसने सुबह फोन किया था! उसने इत्मीनान ज़हीर किया कि रोबर्ट लैंगडन ने कॉल बैक की! वह तुरंत ही रोबर्ट लैंगडन की कॉल पीटर सोलोमोन को बतलाने के लिए होल्ड करने को कहता है! रोबर्ट लैंगडन प्रतीक्षारत है! लेकिन तुरंत ही लौटकर वह खेद प्रकट करता है!....भारी व्यस्तता है…! रोबर्ट लैंगडन बाद में कॉल करने की अपनी बात कहता है! तब उसने बतलाया कि पीटर सोलोमन ने रोबर्ट लैंगडन के लिए सारे निर्देश उसे दे दिए हैं अतः कॉल करने की जरुरत नहीं पड़ेगी वही वह सारे निर्देश दुहराता है जिससे रोबर्ट लैंगडन को मालुम पड़ता है कि उसे एक लेक्चर के लिए शीघ्र बुलाया गया है, क्योंकि एक नामोनिहाद लेक्चरर अचानक बीमार पड़ गए, अतः उनके स्थान पर पीटर सोलोमन रोबर्ट लैंगडन को चाहते हैं कि वो लेक्चर दें! जिसके लिए पीटर का प्राइवेट Jet, Boston भेजा जा चूका है! वह रोबर्ट लैंगडन को समय और समारोह स्थल की जानकारी भी देता है: National Statuary Hall, Capitol Building, Washington D.C. Tonight. रोबर्ट लैंगडन थोड़ी हिचकिचाहट के बाद पीटर के शब्दों में किये गए आग्रह पर अपनी स्वीकृति दे देता है!
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इस उपन्यास में The Capital Monument, Capitol Building and the White House के निर्माण, डिजाईन, आर्किटेक्चर और इतिहास की विस्तृत, वृहद्, विषद, और रहस्यमय तथ्यों की सटीक जानकारी दी गई है!
The US Capitol Building के पर्यटकों के प्रवेश द्वार के सिक्यूरिटी बूथ के सामने एक व्यक्ति उपस्थित होता है! वह 6'-फुट से ऊँचा है! उसका सिर घुटा हुआ है! उसनें एक फटा-पुराना Army-navy surplus coat पहना हुआ है! उसकी चाल में लंगडाहट है! उसकी बायीं हाथ पर प्लास्टर है, जिसकी सारी उंगलियाँ भी प्लास्टर के नीचे छिपी हुई हैं; जो एक स्लिंग के सहारे उसकी गर्दन पर लटका हुआ है! आज अमेरिका में -"Redskins"- के फाइनल फुटबॉल मैच की धूम है! हर कोई टीवी देख रहा, और खेल के मजे ले रहा है! टीवी देखते सिक्योरिटी बूथ के गार्ड ने "पुराने मिलिट्री मैन" को स-सम्मान देखा! और -सभी सुरक्षात्मक- जांच के बाद संतुष्ट होकर उसे प्रवेश की इजाज़त दे देता है! जैसे ही वह व्यक्ति मेटल डिटेक्टर गेट से गुजरता है, तभी मशीन का विरोधी बज़र चीखने लगता है! उस व्यक्ति ने निवेदन किया कि उसके ज़ख़्मी हाथ की एक ऊँगली में एक अंगूठी है जो ऊँगली में स्वेल्लिंग होने की वजह से उतारा नहीं जा सकता! संत्री, जिसे पता है कि यह सारा दृश्य एक कण्ट्रोल रूम में बैठा उसका सुपरवाइजर, मोनिटर पर देख रहा है, वह एक नए यंत्र से फिर जांचकर, संतुष्ट होकर उसे प्रवेश करने की इज़ाज़त दे देता है! संत्री इस व्यक्ति की बातों से प्रभावित होता है, उसे इस ज़ख़्मी, लंगड़े और पुराने मिलिट्री, जिसने देश सेवा में बेमिसाल योगदान दिया होगा, पर ज़रा सा भी शक-शुबहा नहीं होता है! वह व्यक्ति, तलाशी के दरम्यान पेश किये गए अपने सभी सामानों को -थैंक्स- कहते हुए वह समेटता है, और आगे बढ़ जाता है!  
`Child's Play!` Mal'akh thought.
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Located at 4210 Silver Hill Road just outside of Washington D.C., the museum is a massive zigzag-shaped edifice constructed of five interconnected pods___each pod larger than a football field. The building's bluish metal exterior barely hints the strangeness within___a six-hundred-thousand-square-foot alien world that contains a "dead zone." a "Wet pod," and a more than twelve miles of storage cabinets. _ये है, साब, SMSC, कैथरीन सोलोमन की लैब!!
अब, मित्रों, आप कृपया यह बताईये कि: _'क्या "आत्मा" का कोई Volume घनत्व होता है ? अतः क्या इसका Mass द्रव्यमाण होता है ? अतः क्या इसका कोई भार Weight होता है ? अतः क्या इसके परिमाण को मापा-तौला जा सकता है ????? आप निश्चय ही इन प्रश्नों को उबाऊ उलझन समझते होंगे! जिसकी सभी वैज्ञानिक "सुलझन" इस नावल में पढ़िए! _लेकिन, दोस्तों यह विषय-वस्तु इस नावेल की मामूली 'आईटम' है, असली थ्रिल इस नावेल के विलेन के किरदार का है जो खुद को "मलख" कहता है! यह किताब (सजिल्द) १-किलो से कम भारी, डेढ़ ईंच मोटा, ५०९ पृष्ठ का है, जिसकी कहानी मात्र २४-घंटों से भी कम के समय की निहायत नयी! विस्मयकारी! भयानक! रोमांचक और लोमहर्षक और तीव्र, तेज़-रफ़्तार है! जो इसे शुरू करते ही आपको अपनी रोमांचक गिरफ्त में ले लेगी, जिसकी गर्माहट और झटकों से आप रह-रह कर चौंकेंगे! CIA का गंभीर दखल!! राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा जैसी धमकी! भागम-भाग! लुक्का-छिप्पी! एक्शन! शह-मात के खेल! और क़दम-क़दम पर आश्चर्य ही आश्चर्य!! कोई रुदाली रूदन नहीं! कोई गटरल गार्बेज नहीं! सुन्दर, सरल, सहज लेखन{खुदा खैर करे, रे बाबा!}! _जो इसके लेखक ज़नाब डैन ब्राउन की शानदार प्रतिभा और गज़ब के वास्तविक शोध की बेमिसाल मिसाल है! इसमें वर्णित सभी वैज्ञानिक तथ्य वास्तविक अस्तित्व में प्रमाणित हैं! _-"मात्र पात्र और कहानी"-_ काल्पनिक है! एक बात मैं यहाँ स्वीकार करूँगा कि जो इफ़ेक्ट वास्तव में किताब पैदा करता है, उसके आगे मेरी लिखी इन लाईनों की कोई गिनती नहीं! हर लाईन में सनसनी और रोमाच का बेतरीन नमूना यह किताब है! हर बात की महीन से महीन व्याख्या इस किताब में मिलेगी, जिसका इसकी कहानी से कोई भी सम्बन्ध है! यह बड़ी अच्छी बात है! उम्दा साहित्य, अनजाने रहस्यमय वास्तविक इतिहासों का उद्भेदन और अत्याधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान और नयी तकनीकों के बीच सीधे-सादे सरल-सहज मासूम किरदार और भयानक षड्यंत्र, और खौफ-ही-खौफ, मौत का तांडव का अनोखा सम्मिश्रण! अद्वितीय!! ...तो, आगे की कहानी सुनिए ('सुन' रहे हैं, न?)...
.......लैब का गार्ड भी आज मैच का आनंद लेने के लोभ से वंचित नहीं है, ...फिर भी ड्यूटी पर है, जो कैथरीन को लैब आते देखकर हैरान होता है, कि समूचा अमेरिका अभी मैच देख रहा है, जबकि यह मोहतरमा अपने अनुसंधान के 'काम पर' आई हुईं हैं!! ५०-वर्षीय वैज्ञानिक, कैथरीन सोलोमन गार्ड की हैरानी और तनिक दोस्ताना हंसी की बात में यह जानकर अब खुद कदरन हैरान-परेशान होती है कि उसके भाई पिटर सोलोमन अभी तक यहाँ नहीं आये हैं जिनकी उपस्थिति यहाँ काफी पहले से ही अपेक्षित थी!! लेकिन 'शायद मैं खुद ज़ल्दी आ गई हूँ' सोचती, खुद को तसल्ली देती वह अपनी गाड़ी दो मजिली पार्किंग में अपने ख़ास स्थान पर पार्क कर उतरती है! बड़ी उम्र की आकर्षक, खानदानी ज़हीन, धनाढ्य और सम्मानित लोकप्रिय महिला वैज्ञानिक, कैथरीन सोलोमन! अविवाहित! जो अपनी भाई पीटर की ही जैसे जुड़वाँ हैं! जिनका जीवन देशहित में वैज्ञानिक अनुसंधान को समर्पित है! जिसे पारिवारिक हादसों और हालातों में जूझते पिटर ने ही पाला-पोषा है, एक दुसरे के परम स्नेही-मित्र-स्वजन और हितचिन्तक हैं! सोलोमन परिवार अमेरिका के सबसे धनाढ्य घरानों में से एक है! कैथरीन की आठ वर्षीय अवस्था में इनके पिता की मृत्यु हो गई थी! अल्पायु से ही सबकुछ पीटर ने संभाला! ...फिर अपने-अपने करियर में मजबूत होते ही विधुर पीटर के एकमात्र पुत्र की दुरावस्था, दुर्व्यवहार, निकृष्ट जुर्म, जेल, और आकस्मिक नारकीय मौत !! ...फिर अचानक (१८ साल पहले) एक दिन एक भयानक शरीर धारी पशु सामान आक्रमणकारी का पीटर के घर पर हमला..., पीटर को हैरान कर देने वाले उसके सवाल..., उस नृशंष राक्षस की मांग..., और उसी कोहराम में गोलीबारी में पीटर की माँ की दारुण मौत !! ...पीटर का उस आक्रमणकारी के पीछे पहाड़ी की छोटी के उस स्थान तक पीछा करना जहां पीटर का दिवंगत किशोर बेटा जैक _"Zachary Solomon" अक्सर आ बैठता था, _पर उस आक्रमणकारी को शूट करना..., गोली खाकर आक्रमणकारी का गहरी झरने की खाई में गिलकर विलीन हो जाना....! ...सब जैसे एकसाथ कैथरीन को याद आते हैं, और उसे अपने भाई पर अनुराग आता है, और वह उसकी चिंता में है, पीटर ने यूँ कभी देर किया ही नहीं है, ...फिर..., कहाँ है महान पीटर सोलोमन ?? वह खुद को दिलासा देती है, और अपने काम के बारे में सोचती है! Her field of choice___Noetic Science___had been virtually unknown when she first heard of it, but in recent years it had started opening new doors of understanding into the power of the human mind. कैथरीन ने इस विषय पर गहन रिसर्च की है, जिसकी लिखी दो किताबें उसे इस फील्ड का लीडर घोषित करतीं हैं! ...यह आज परेशान है! इसे आज अपने भाई के बारे में कुछ चिंताजनक सुनने को मिला है! ...पर वह इन बातों पर यकीन करना नहीं चाहती! हलकी बारिश से बचती वह अपनी प्रयोगशाला में आती है कि, उसका मोबाईल बजता है.........
..........यहाँ से ६-कि.मी. दूर कैपिटल बिल्डिंग के कॉरिडोर में विचरता 'मलख' अपने कान से मोबाईल सटाए बात करता है.........
Finally a women voice answered, "Yes?"
"We need to meet again," Mal'akh said.
There was a long pause. "Is everything alright?"
"I have new information," Mal'akh said.
"Tell me."
Mal'akh took a deep breath. "That which your brother believes is hidden in D.C. . . . ?"
"Yes?"
"It can be found."
Katherine Solomon sounded stunned. "You're telling me __ it is real?"
Mal'akh smiled to himself. "Sometimes a legend that endures for centuries . . . endures for a reason."
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....इधर रोबर्ट लैंगडन की लिमोज़िन, कॅपिटल बिल्डिंग से काफी परे (..a good quarter miles from Capitol Building) ही उसे उतार देता है! रोबर्ट को बहुत हैरानी होती है! यह वांछित व्यवहार नहीं था.… जबकि उसके लेक्चर के शुरू होने में मात्र १०-मिनट ही शेष हैं.…!! ड्राईवर नयी सुरक्षा-पद्धति की दुहाई देता… और टिप को नकारता, कि पीटर सोलोमन इन बातों की पूरी अहमियत समझते हैं, और …बस शुरू हो चुकी बारिश की ओर उसका ध्यान दिलाते विदा हो जाता है! …कई विचारों में मग्न रोबर्ट उस अंडरग्राउंड हॉल Capitol Visitor Center के द्वार पर हाँफता हुआ पँहुचता है!{रोबर्ट लैंगडन को बचपन में एक कुँवें में गिरकर २४-घंटे की जिजीविषा की जंग ने उसे Claustrophobia का मरीज-सा बना दिया हुआ है, इसीलिए वह 'अब' आदतन, बंद वातावरण में हमेशा असहज फील करता है!!} सामने प्रस्तुत आकर्षक आर्किटेक्चर्स उसे प्रभावित करते हैं, लेकिन …मात्र ५-मिनट समय है, जो इनकी तारीफ़ के लिए माकूल वक़्त नहीं है! सिक्यूरिटी वगैरह जैसे आम व्यवधानों को वह जल्दीबाजी से क्रॉस कर के Statuary Hall का रास्ता पूछता, X`Ray-Scan Conveyor पर से अपना बैग उठाता उस ओर लपकता है! Escalator पर गतिमान, वह ठंडी सासें लेता थोडा आराम पाता है! …यहाँ लेखक आस-पास के दृश्यों की आकर्षक, मनभावन, और महत्वपूर्ण जानकारीयुक्त व्याख्या करते हैं…! ये जानकारियाँ इतनी आसानी से अनयत्र उपलब्ध नहीं! …जैसे इसमें भटकते माननीय पूर्व राष्ट्रपतियों सहित कई मज़दूरों की भटकती आत्माएँ और भूतों की रोमांचक दंतकथाएं, इत्यादि, एवं इस ईमारत का इतिहास वगैरह… आगे पढ़ते जाने को विवश करता है! जबकि डैन ब्राउन ऐसी बातें लिखते ही नहीं और ना ही यह किताब भूत-प्रेत-आत्मा इत्यादि की बोदी और उबाऊ दास्तान है, यह एक घातक षड्यंत्र की कहानी है, जिसमें आपको कई महत्वपूर्ण जानकारी खुश कर देगी! कई दृश्य रोंगटे खड़े कर देंगे! कहीं उत्कंठा से सांस अटकती लगेगी! …और आप पढ़ते ही पढ़ते आगे बढ़ते जायेंगे! मरता हुआ इंसान उस मौत से साक्षात् कैसा कष्ट अनुभव करता है, _ये आप जीते-जी जानेंगे! और थर्रायेंगे!! 
…विचारमग्न रोबर्ट लैंगडन शीघ्रता से हॉल की तरफ घड़ी देखता बढ़ता जा रहा है! It was no secret that D.C. had a rich Masonic history. The cornerstone of this building had been laid in a full Masonic ritual by George Washington himself. This city had been conceived and designed by Master Masons --- George Washington, Ben Franklin, and Pierre L'Enfant --- powerful minds who adorned their new capitol with Masonic symbolism, architecture, and art.
Of ` course, people see in those symbols all kind of crazy ideas.
कई शब्दों के मतलब डैन ब्राउन ने नयी-असली-पौराणिक-यथार्थ से सम्बद्ध बतलाया है, ये जानकारियां अनमोल हैं! कई एक्सप्लनेशन्स हैरान करते, ज्ञान-चक्षु खोलते प्रतीत होते हैं, और यही -सच्चा रोमांच- आपको आगे पढ़ते जाने को प्रेरित करेगा, और आपको तसल्ली मिलेगी कि आपने कुछ पाया, जाना और सीखा! My friends! The Masons are not a secret society, . . . they are a society with secrets!! आर्ट, लिटरेचर, एस्ट्रोलॉजी, आर्कियोलॉजी, इकनॉलॉजी, सिम्बॉलोजी, साइन्टिफिक एक्सपेरिमेंट्स, हिस्ट्री और मिस्ट्री का अनोखा सागर आपको मंत्रमुग्ध किये रखेगा! हारवर्ड युनिवेर्सिटी के आर्ट, हिस्ट्री और सिम्बॉलॉजिस्ट के जीनियस शिक्षक, पर सीधे-सादे, प्रोफेसर रोबर्ट लैंगडन का "धाकड़" ज्ञान मात्र ही इन (रोबर्ट लैंगडन सीरीज़) कहानियों में आपका सहारा हैं, जो (खुद को) आपको कई-कई दर्दनाक मौत से बाहर निकालेंगे! …अचानक समय कि घोषणा करते घड़ी की घड़ियाल की आवाज़ आती है! रोबर्ट हॉल के दरवाजे पर गर्मजोशी से खुद को अंदर प्रवेश करने के लिए अपना हुलिया दुरुस्त करता है, और सिर उठाये शान से मुस्कुराता हुआ हॉल में प्रवेश करता ही है कि, थम जाता है! …कुछ गड़बड़ है! Something was very-very wrong!! 
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बारिश से बचती कैथरीन ठंढ में ठिठुरती, पार्किंग लॉट से अपने लैब में जाती है! वह अभी-अभी फोन पर हुए वार्तालाप पर विचारमग्न है! 'That which your brother believes is hidden in D.C., . . .it can be found!' असंभव!! Reaching the main doors, she felt the same sense of excitement she always felt upon entering the gargantuan building. 'Nobody knows this place is here.'
कैथरीन SMSC में प्रवेश करती है! Smitsonian Museum Support Center एक विशाल अत्याधुनिक तकनीकों से लैस वैज्ञानिक प्रयोगशाला की वृहद्, विषद और रोमांचक चर्चा यहाँ पढ़िये! …यहाँ का गार्ड भी रेडियो पर मैच का आनंद ले रहा है, कि कैथरीन को आता देख तत्परता से खड़ा हो जाता है! लैब में प्रवेश करने के लिए कई किस्म के जांच, पिन & पासवॉर्ड्स  और इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल्स, स्कैन, इत्यादि से नियमतः, नित्य की ही भाँति इनसे निपटते वह प्रवेश करती है! …अपनी सोने की घड़ी थोड़ी भावुक होकर वह जांचकर्म में उतारती है, जिसे उसकी माँ ने उसकी १८वीं जन्मदिन पर उपहार दिया था, …माँ की हत्या हुई थी, माँ ने कैथरीन की बाहों में ही दम तोड़ा था, एक दैत्य सामान आतताई ने इनकी ज़िन्दगी को अस्थिर कर दिया था, जिसका पीछाकर पीटर ने गोली मार दी थी, जो गोली लगते ही झरने की भायनक गहरी खाई में गिर गया था, …इस दुर्घटना को बीते अब १० साल हो गए हैं! रेडियो सुनते गार्ड की आवाज़ से उसकी तंद्रा टूटती है! तनिक हंसी और आत्मीयता के माहौल में गार्ड उससे पूछता है कि वह इस सीक्रेट लैब में क्या कर रही है? "Come on," he pressed. "A secret lab . . . in a secret museum? you must be doing something cool." प्रतिउत्तर में प्रत्यक्षतः कैथरीन खामोश रहती है, मुस्काती है 'किसी दिन बताउंगी', कहती वह अंदर दाखिल हो जाती है, जिसके मन में उसका अनुसंधान ही है, Miles beyond cool, Katherine thought as she collected her things. The truth was that Katherine was doing science so advanced that it no longer even resembled science.
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रोबर्ट लैंगडन National Statuary Hall के प्रवेश द्वार पर हैरानी से जहां का तहां जड़वत खड़ा है! वह इस हॉल से पूरी तरह परिचित है, किसी ग्रीक स्टाइल कि अर्धगोलाकार, दर्शकों-श्रोताओं के बैठने का यह विशाल हॉल, इसकी बनावट, इसकी खुशबू, और ३८ महान अमेरिकन हस्तियों के खड़े बुत, फर्श की टाईलें इत्यादि, …सभी ठीक उसकी पिछली यादों कि तरह हैं, …It was exactly as Langdon had recalled from the lecture he had attended here.
Except one thing.
Tonight, the room was empty. 
No chairs! No audience! No Peter Soloman! just a handful of tourists...  घड़ियाल की आवाज़ मद्धम पड़ गई है,… वह पूछताछ शुरू करता है, किसी को इस हॉल में होने वाले किसी 'जलसे' की जानकारी नहीं!! यहाँ के जिम्मेदार लोगों से आम कर्मचारी तक इस बात से अनभिज्ञ हैं!! "...Is Solomon playing some kind of joke!"…लैंगडन इसकी कल्पना तक नहीं कर सका! परेशान लैंगडन वह फैक्स निकालता है जिसमें इस 'जलसे' से सम्बंधित समय और स्थान अंकित थे, सब ठीक है, …फ़िर? वह मोबाइल से सोलोमन के नंबर पर कॉल करता है! वही जानी पहचानी मर्दाना आवाज़ में उसे उत्तर मिलता है, जिसने सुबह इस 'जलसे' के बारे में रॉबर्ट को सोलोमन का आमंत्रण और स्थान और समय बतलाया था! रोबर्ट को राहत मिलती है! रॉबर्ट उससे व्यग्रता से बात करता है और अपनी बेचैनी भरे सवाल पूछने लगता है! ...Langdon was confused. "नहीं मैंने पीटर से नहीं, "तुमसे" बात कर यह कन्फर्म किया था, आज ही सुबह !!!
"Yes, I recall that." There was a silence on the line, "That was a bit careless of you, don't you think, Professor?"
Langdon was now fully alert, "I beg your pardon?"
"Consider this . . ." the man said, "You received a fax asking you to call a number, which you did. You spoke to a total stranger who said he was Peter Solomon's assistant. Then you willingly boarded a private plane to Washington and climbed into a waiting car. Is that right?"
Langdon felt a chill race though his body. "Who the hell is this? Where is Peter?"
"I'm afraid Peter Solomon has no idea you're in Washington today." The man's southern accent disappeared, and his voice morphed into a deeper, mellifluous whisper. "You are here, Mr. Langdon, because I want you here." आप यहाँ आये नहीं हैं, आपको यहाँ लाया गया है!!
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#9:pg37_
Inside the statuary hall, Robert Langdon clutched his cell phone to his ear and paced in a tight circle. "Who the hell are you?"
The man's reply was a silky calm whisper. "Do not be alarmed, Professor. You have been summoned here for a reason." 
"Summoned?" Langdon felt like a caged animal. "Try kidnapped!"
"Hardly." The man's voice was eerily serene.उसका स्वर अस्वाभाविक रूप से भयानक पर शांत था! "If I wanted to harm you, you would be dead in your Town Car right now." He let the words hang for a moment. "My intentions are purely noble, I assure you. I would simply like to offer an invitation."
 No Thanks. Ever since his expressions in Europe over the last several years, Langdon's unwanted celebrity had made him a magnet for nutcases, and this one had crossed a very serious line. "Look I don't know what the hell is going on here, but I'm hanging up---"
"Unwise," said the man. "Your window of opportunity is very small if you want to save Peter Solomon's soul."
Langdon drew a sharp breath. "What did you say?"
"I'm sure you heard me."
The way the this man had uttered Peter's name had stopped Langdon cold. "What do you know about Peter?"
"At this point, I know his deepest secrets. Mr. Solomon is my guest, and I can be a persuasive host."
This can't be happening. "You don't have Peter."
"I answered his private cell phone. That should give you pause."
"I'm calling the police."
"No need," the man said. "The authorities will join you momentarily."
What is this lunatic talking about? Langdon's tone hardened. "If you have Peter, put him on the phone right now."
"That's impossible. Mr. Solomon is trapped in an unfortunate place." The man paused. "He is in the Araf."
"Where?" Langdon realized he was clutching his phone so tightly his fingers were going numb.
{{Araf: Araf is the muslim word for a partition between hell and paradise. On this partition stand men who have escaped from hell but who are not (yet) permitted to enter paradise. They yearn to enter paradise, but their sins and virtues are evenly balanced. Araf is also known as the second canticle, from Dantes Divine Comedy._Shrikant Tiwari http://soholmweb.dk/The%20Lost%20Symbol%20background.htm}}
"The Araf? Hamistagan? That place to which Dante devoted the canticle immediately following his legendary Inferno?"
The man's religious and literary references solidified Langdon's suspicion that he was dealing with a madman. The second canticle. Langdon knew it well; nobody escaped Phillips Exeter Academy without reading Dante. "You're saying you think Peter Solomon is . . . in purgatory?"
"A crude word you Christians use, but yes, Mr. Solomon is in the in-between."
The man's words hung in Langdon's ear. "Are you saying Peter is . . . dead?"
"Not exactly, no."
"Not exactly?!" Lnagdon yelled, his voice echoing sharply in the hall. A family of tourists looked at him. He turned away and lowered his voice. "Death is usually an all-or-nothing thing!"
"You surprise me, Professor. I expected you to have a better understanding of the mysteries of life and death. There is a world in between__ a world in which Peter Solomon is hovering at the moment. He can either return to your world, or he can move on the next . . . depending on your actions right now."
Langdon tried to process this. "What do you want from me?"
"It is simple. You have been given access to something quite ancient. And tonight, you will share it with me."  
"I have no idea what you are talking about?" 
"No? You pretend not to understand the ancient secrets that have been entrusted to you?"
Langdon felt a sudden sinking sensation, now what this was probably about. Ancient secrets. He had not uttered a word to anyone about his experiences in Paris several years earlier, but grail fanatics had followed the media coverage closely, some connecting the dots and believing Langdon was now privy to secret information regarding the Holy Grail---perhaps its location.{यह बात "दी डा विन्ची कोड" की हैं जिसे भ्रम-वश रोबर्ट सोचता है!}
"Look," Langdon said, "if this is about Holy Grail, I assure you I know nothing more than---"
"Don't insult my intelligence, Mr. Langdon," the man snapped. "I have no interest in anything so frivolous as the Holy Grail or mankind's pathetic debate over whose version of history is correct. Circular arguments over the semantics of faith hold no interest for me. Those are question answered only through death."
The stark words left Langdon confused. "Then what the hell is this about?"
The man paused for several seconds. "As you may know, there exists within this city an ancient portal."
An ancient portal?
"And tonight, Professor, you will unlock it for me. You should be honored I contacted you___this is the invitation of your lifetime. You alone have been chosen."
And you have lost your mind. "I'm sorry, but you've chosen poorly," Langdon said. "I don't know anything any ancient portal."
"Yoy don't understand, Professor. It was not I who chose you . . . it was Peter solomon."
"What?" Langdon replied, his voice barely a whisper.
"Mr. Solomon told me how to find the portal, and he confessed to me that only one man on earth could unlock it. And he said that man is you." 
"If Peter said that, he was mistaken . . . or he lying."
"I think not, He was in a fragile state when he confessed that fact, and I an inclined to believe him."
Langdon felt a stab of anger. "I'm warning you, if you hurt Peter in any---"
"It is far to late for that," the man said in an amused tone. "I've already taken what I need from Peter Solomon. But for his sake, I suggest you provide what I need from you. Time is of the essence . . . for both of you. I suggest you find the portal and unlock it. Peter will point the way."
Peter? "I thought you said Peter was in purgatory."
"As above, so below," the man said.
Langdon felt a deepening chill. This strange responce was an ancient Hermetic adage that proclaimed a belief in the physical connection between heaven and earth. As above, so below. Langdon eyed the vast room and wondered how everything had veered so suddenly out of control tonight, "look, I don't know how to find any ancient portal. I'm calling the police."
"It really hasn't dawned on you yet, has it? Why you were chosen?"
"No," Langdon said.
"It will," he replied, chuckling. "Any moment now."
Then the line went dead.
Langdon stood rigid for several terrifying moments, trying to process what had just happened.
Suddenly, in this distance, he heard an unexpected sound.
It was coming from the Rotunda.
Someone was screaming.

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#10:pg40_
Robert Langdon had entered the Capitol Rotunda many times in his life, but never at a full sprint. As he spotted a group of tourists clustered in the center
of the room. A small boy was screaming, and his parents were trying to console him. Others were crowding around, and several security guards were doing their best to restore order.
"He pulled it out of his sling." Someone said frantically, "and just left it there."
As Langdon drew nearer, he got his first glimpse of what was causing all the commotion. Admittedly the object on the Capitol floor was odd, but its presence hardly warranted screaming.
The device on the floor was one Langdon had seen many times. The Harvard art department had dozens of these__life-size plastic models used by sculptors and painters to help them render the human body's most complex feature, which, surprisingly, was not the human face but rather the human hand. Someone left a mannequin hand in the Rotunda?
Mannequin hands, or handequins as some called them, had articulated fingers enabling an artist to pose the hand in whatsoever position he wanted, which for sophomoric college students was often with the middle finger and thumb pointing up toward the ceiling.
As Langdon drew nearer, though, he realized this handequin was unusual. Its plastic surface was not smooth like most, instead, the surface was mottled and slightly wrinkled.
Like real skin.
Langdon stopped abruptly.
Now he saw the blood. My God!
The severed wrist appeared to have been skewered onto a spiked wooden base so that it would stand up, A wave of nausea rushed over him. Langdon inched closer, unable to breathe, seeing now that the tips of the index finger and thumb had been decorated with tattoos. The tattoos, however, were not what held Langdon's attention. his gaze moved instantly to the familiar ring on the fourth finger.
No.
Langdon recoiled. his world began to spin as he realized he was looking at the severed right hand of Peter Solomon.
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बस्स, साहब! हम इतना ही कहेंगे! और यह भी बता दें कि कैथरीन की जान खतरे में है! क़ातिल अपनी चाल पूरी कामयाबी से चल चुका है!! …वह कैथरीन की लैब में घुस चुका है! उसकी एक सहायिका की हत्या कर चुका है! यह दैत्य अब कैथरीन के पीछे है! कैथरीन को अपनी लैब में और भी कई चिंताजनक बातों का हिंट मिलता है, जिसके लिए वह अपने स्तर से छानबीन कर रही है, कि क़ातिल उस पर वार कर देता है…फिर क्या हुआ?
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इधर रोबर्ट लैंगडन एक तरह से -"सी.आई.ए."- की गिरफ्त में है! उसकी अपनी बैग में वह चीज है जिसे पीटर सोलोमन ने उस पर विश्वास करके उसके पास सुरक्षित रखने के लिए काफी पहले ही दिया हुआ था, उस डब्बे में क्या है, ना पीटर ने बतलाया, ना ही रॉबर्ट ने पूछा! पीटर की सांकेतिक भाषा में वह 'चीज' कोई नक्शा है, टेलस्मैन है, शिखर है, पुरखों की पुरानी ऐसी धरोहर है, जो पीढ़ियों से नयी पीढ़ी के अग्रजों को पूरे रीत और संस्कार के अनुसार दिया जाता रहा है, जिसे जब से बंद किया गया है, अब तक वैसा ही बंद है,… जिसकी  सुरक्षा को खतरा है, क्योंकि एक आतताई ने उसके घर में घुसकर उसी चीज कि मांग की थी, जिस कोहराम में पीटर की माँ कि जान गई थी, और जिसे पीटर ने मार डाला था..., जिसके बारे में आज सुबह पीटर के ही आग्रह पर रोबर्ट उसे गुप्त स्थान से निकाल कर साथ लेता आया है, जिसकी महत्ता से वह खुद अनजान और बेफिक्र था,… अब भारी चिंता, उद्वेग और उलझन में है!
…… घटनाक्रम अपनी सांस रोक देने वाली रफ़्तार से भागती है! लेखक महोदय के कलम की बानगी से ऐसे हालत पैदा होते हैं, जो कैथरीन और रोबर्ट को "एक टीम" बना देते हैं, कैथरीन और रोबर्ट इसमें अपनी अपनी बुद्धिमत्ता से एक दुसरे का पूरक बनते हुए साक्षात् मौत से लड़ने वाले हैं,………!!!
कौन यह यह दैत्य मलख??? क्यों यह पीटर सोलोमन के खानदान का बीजनाश करने पर तुला हुआ है?? पीटर का पुत्र जैक कैसे और क्यों मर गया?? पीटर सोलोमन का क्या हुआ?? कैथरीन के साथ उसकी मोबाईल पर बातचीत का क्या मतलब था?? ऐसा क्योंकर हुआ कि एक आतताई, कहानी की महिला नायिका के संपर्क में है, और उससे अपनी करतूतों के उपदेट्स का लेन-देन कर रहा है!??!! कैपिटल बिल्डिंग के भीतर मलख का सहायक और भेदिया कौन है?? सी.आई.ए. की महिला डायरेक्टर का किरदार आपको खिजायेगा, गुस्सा दिलाएगा, पर,…
MATTER OF NATIONAL SECURITY!! राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह दैत्य क्यूँकर ऐसा खतरा बन गया है कि सी.आई.ए का दखल पैदा हो गया??? इसके समूचे बदन पर के टैटूज के क्या भेद हैं?? इस किताब का एक-एक किरदार आपको सदैव याद रहेगा! जो जब याद आयेगा, आप स्वतः इस किताब को उठाकर पढ़ने लगेंगे!
कैथरीन सोलोमन की प्रयोगशाला की सैर, महत्ता, और वर्णन लोमहर्षक है! किस अनुसंधान में हैं यह महिला वैज्ञानिक?? क्यों मलख नहीं चाहता कि कैथरीन कामयाब हो?? यह दुष्ट, इस अत्याधुनिक लैब के हरेक सुरक्षा प्रणाली को धता बताते हुए अंदर कैसे घुस गया?? ...फिर क्या हुआ??
वाशिंगटन कैपिटल बिल्डिंग की रहस्मयी -सच्ची- अँधेरी तहखानों की बाकायदे नक़्शे के साथ सैर कीजिये ठिठुरिये और काँपिये, मौत का साया हर जगह मंडरा रहा है,… सिर्फ रोबर्ट लैंगडन का तेज दिमाग ही एक उम्मीद है, हलकी-सी! बस! यह नया दुश्मन सबपर भारी पड़ता है! क्लाइमेक्स के वक़्त दिल की धड़कन को काबू करना मुश्किल हो जाता है! और एक ऐसी कूट-भाषा की जानकारी मिली है जिसे यदि आप सीख लें तो आपके लिखे को केवल वही समझेगा जो इस भाषा के लेखन-पाठन को साध चुका हो, ऐसा ही एक व्यक्ति स्वयं मैं हूँ!! प्रतीकों की यह कूट-भाषा का फॉर्मूला खुल्लम-खुल्ला आपको इस किताब में पेश है,… प्रतीकों की पहचान और विवेचना करते रोबर्ट और कैथरीन की विद्वान् जोड़ी से आपको अनुराग होगा, और उनकी जान की सलामती के लिए आप दुआ करने को विवश हो जायेंगे, उनकी तकलीफों से आँखे भीगेंगी!…    
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पैसों की दर्जन गुना वसूली कीजिये, यह किताब पढ़ डालिये, आपको  डैन ब्राउन से इश्क़ हो जाएगा!!
इस किताब की विवेचना-विश्लेषण कम से कम मेरे बूते से बाहर की बात है! इसीलिए 9 वें और 10 वें चैप्टर को हू-ब-हू टाइप कर दिया! आपको मानना पड़ेगा कि इन पंक्तियों का संक्षेपण कहानी की -आत्मा-, इसके रस और तासीर को ख़त्म कर देगा!
तो, भाईयों अब आगे आपकी अपनी मर्जी। … 
नमस्ते,
_श्री . 
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इधर कैथरीन हैरान-परेशान है कि पीटर फ़ोन का उत्तर क्यों नहीं दे रहा है,… Why isn't Peter answering?.... Where is he?.....
.....आज उसे अपने भाई के बारे में एक ऐसी जानकारी मिली है जिसने उसे गहन चिंता में दाल दिया हुआ है,… पीटर यूँ तो उससे कभी कुछ नहीं छिपाता था,.... !!!
???............. 
पढ़िए-पढ़िए। … सब जान जायेंगे ; इधर मैंने इसे चौंथी बार पढ़ना शुरू कर दिया है…

Friday, October 18, 2013

माँ और पिता - एक कविता

माँ 

माँ संवेदना है, भावना है, अहसास है माँ 
माँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास है माँ 

माँ रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है माँ 
माँ मौस्थल में नदी या मीठा सा झरना है माँ 

माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है माँ 
माँ पूजा की थाली है मन्त्रों का जाप है माँ 

माँ आँखों का सिसकता हुआ किनारा है माँ 
माँ गालों पर पप्पी है, ममता की धरा है माँ 

माँ झुलसते दिनों में कोयल कि बोली है माँ 
माँ मेहंदी है, कुमकुम है, सिन्दूर की रोली है माँ 

माँ कलम है, दवात है, स्याही है माँ 
माँ परमात्मा की स्वयं एक गवाही है माँ 

माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है माँ 
माँ फूँक से ठंढा किया कलेवा है माँ 

माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवं है माँ 
माँ ज़िन्दगी है, मोहल्ले में आत्मा का भवन है माँ 

माँ चूड़ी वाले हाथों पे मजबूत कंधों का नाम है माँ 
माँ काशी है, काबा है, चारों धाम है माँ 

माँ चिंता है, याद है, हिचकी है माँ 
माँ बच्चे कि चोट पर सिसकी है माँ 

माँ चूल्हा, धुंवाँ, रोटी और हाथों की छाला है माँ 
माँ ज़िन्दगी की कडुवाहट में अमृत का प्याला है माँ 

माँ पृथ्वी है, जगत है, धुरि है माँ 
माँ बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है माँ 

तो माँ कि यह व्यथा अनादि है, अध्याय नहीं है, 
और माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है 

तो माँ का महत्त्व दुनियाँ में कम हो नहीं सकता
औ, माँ जैसा दुनियाँ में कोई हो नहीं सकता 

तो मैं 'तेजवंती-कला' की पंक्तियाँ माँ के नाम करता हूँ
मैं दुनियाँ की सब माताओं को प्रणाम करता हूँ 

पिता 

पिता जीवन है, संबल है, शक्ति है 
पिता सृष्टि के नाम कि अभिव्यक्ति है 

पिता ऊँगली पकड़े बच्चे का सहारा है 
पिता कभी कुछ खट्टा, कभी खारा है 

पिता पालन है, पोषण है, परिवार का अनुशासन है
पिता धौंस से चलने वाला प्रेम का प्रशासन है 

पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है 
पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आसमान है 

पिता "अप्रदर्शित" अनंत प्यार है 
पिता है तो बच्चों को इन्तजार है 

पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने हैं 
पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने हैं 

पिता से परिवार में प्रतिपल राग है 
पिता से ही माँ का बिंदी और सुहाग है 

पिता परमात्मा की जगत के प्रति आसक्ति है
पिता गृहस्थ-आश्रम में उच्च स्थिति की भक्ति है 

पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ती है 
पिता रक्त में दिए हुएसंस्कारों की मूर्ति है 

पिता एक जीवन को जीवन का दान है 
पिता दुनियाँ दिखाने का अहसान है 

पिता सुरक्षा है, सर पर हाथ है 
पिता नहीं तो बचपन अनाथ है 

तो पिता से बड़ा तुम अपना नाम करो 
पिता का अपमान नहीं, उसपर अभिमान करो 

क्योंकि माँ-बाप की कमी कोई पाट नहीं सकता
और ईश्वर भी इनके आशीषों को काट नहीं सकता 

विश्व में किसी भी देवता स्थान दूजा है 
माँ-बाप की सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है 

विश्व में किसी भी तीर्थ की यात्राएं व्यर्थ है 
यदि बेटे के होते माँ-बाप असमर्थ हैं 

वो खुशनसीब हैं, माँ-बाप जिनके साथ होते हैं 
क्योंकि माँ-बाप की आशीषों के हज़ारों हाथ होते हैं
 (कवि _श्री ओम व्यास जी की कविता!)
_श्री .
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इसी कविता को अईया और बाबुजी की कहानी -दुर्भिक्ष- के अंतिम पन्नों में उनकी आरती रखा गया है!

http://shrikanttiwari.blogspot.in/2013/10/blog-post_18.html

प्रणाम

Wednesday, October 16, 2013

...और प्राण!



...और प्राण!
कल, यानि आठ-अक्तूबर,२०१३(मंगलवार) मेरे छोटे पुत्र अतुल (निक नेम = लड्डू! _का जन्मदिन!!) को मेरा राँची जाना हुआ! मेरे इंसानी जिस्म को एक चिकित्सक की आवश्यकता थी! मर्ज़ का ईलाज लाजिमी होता है! लड्डू का जन्मदिन सेलिब्रेट करने के लिये उसके दोनों बड़े भाई बोकारो गए हुये हैं! दशहरा की छुट्टी में जिन्हें कल (९ नौ तारीख को राँची आना है! यूँ दोनों काम हो जाते! इलाज़ भी! परिवार मिलन भी!
मेरे जन्मभूमि-कर्मभूमि लोहरदगा से मुझे राँची जब भी जाना होता है, ...जहाँ मेरा -हमारा- अपना फ्लैट है, और जिसमे फिलहाल मेरा छोटा भाई सपरिवार रहते हैं, जो एक अंग्रेजी दवाईयों की एक फर्म के रीजनल सेल्स मैनेजर हैं, भाई कम पुत्र ज्यादा, और सबसे बड़ा मित्र और एक काबिल गार्डियन उससे भी ज्यादा, को मेरी जितनी चिंता है, शायद कभी बाबूजी को ही हुआ करती थी, जिनकी कमी इस तरह पूरी हुई, ...मैं राँची हमेशा खुद अपनी गाडी ड्राइव कर जाना ही प्रेफर करता हूँ! कारण कि, जो आवागमन का सार्वजनिक सरकारी (गैर-सरकारी बसें) साधन ट्रेन है, मैं उसमे खुद को असहज फील करता हूँ! यह काम खर्चीला तो है, पर मुझे सहना पड़ता है, जिसे राम-राम करते सहता ही हूँ! परिवार के विरोध के बावजूद सहता हूँ! जो कभी भी मुझे अकेले एक शहर से दुसरे शहर (राजधानी, राँची) ड्राइव कर जाने देने के हमेशा खिलाफ रहते हैं! फिर भी मेरी जिद्द के आगे सभी को मुझपर भरोसा कर राम-राम करते जाने देना ही पड़ता है! पर कल ऐसा हो न सका! वजह दशहरा! षष्ठी के दिन राँची के पूजा पंडालों के सैर की योजना पूर्वनिर्धारित है! सो क्यों बेकार में यूँ इतना पेट्रोल फूंकियेगा? ट्रेन से ही जाईये! ट्रेन से ही आईये! भाईयों, लोहरदगा से राँची की ट्रेन यात्रा सुलभ और सहज है, पर जो भीड़ इस ट्रेन में दिन भर में चार बार अप-डाउन करती है, उसमें पिसना मेरे बूते से बाहर की बात है! पब्लिक को क्यूँ दोष दूं और कोसूं? मैं कौन होता हूँ इनमें मीन-मेख निकालने वाला!? बड़े-बड़े ताईकून से लेकर मामूली और निम्नस्तरीय फकीर भी तो इसीमें पिसते हैं!! जिनके पास अपनी ही बेशुमार लग्ज़री गाडी, बमय ड्राईवर है भी और नहीं भी! इस ट्रेन द्वारा रांची की दूरी महज डेढ़ घंटे में पूरी हो जाती है! लेकिन सीट लूटने की दंगल और जंग में मैं हमेशा फिसड्डी ही रहता हूँ! इसलिए यदि मजबूरन या पारिवारिक जिद्द के सामने झुककर मैं कभी जाना क़ुबूल कर भी लेता हूँ तो मुझे मेरे मंझले भाई स्वयं ले जाकर खुद लड़-भिड़कर सीट लूटकर मुझे बिठाकर टिकट देकर और मेरे संतुष्ट होने और गाडी खुलने तक स्टेशन पर खड़े मुझपर नज़र रखते हैं! उधर राँची में छोटा भाई गाड़ी के आगमन पर मुझे रिसीव करने के लिये मौजूद होता है! और लौटने के क्रम में भी यही प्रक्रिया दुहराई जाती है, जिसमे मोबाइल फोन हमेशा बजता ही रहता है! कल भी यही हुआ! एक बार ट्रेन में बैठ जाऊं और संतुष्ट हो लूं, तो इस सफ़र में बहुत ही आनंद है! सबसे बड़ी ख़ुशी ये होती है कि राँची ट्रेन-स्टेशन के व्हीलर की दूकान पर जाकर किताबें ताड़ने और खरीदने का जो नायाब मौक़ा हासिल होता है, वह, यदि कोई परेशानी हुई भी होती है तो सारे अवसाद हर लेता है! मुझे शौपिंग का शौक है! लेकिन किताब की शौपिंग में जो मज़ा है, वह और किसी भी वस्तु की खरीदारी में नहीं! हमेशा कुछ नायाब किताब हाथ में थामना जो उर्जा प्रदान करता है उसके आगे शेष उत्साह मेरे लिये हेच हैं! किताबों के बाद फिल्मों का नंबर आता है! अब आप सोचिये कि यदि कोई ऐसी किताब सहसा, बिना किसी पूर्वानुमान के आपके सामने आये जो किताब तो है ही, पर किसी फिल्म से कम नहीं, बल्कि उससे भी बढ़-चढ़कर रोचक फिल्म-सी हो!! ...और लेखन में योगदान मेरे आराध्य श्री अमिताभ बच्चन का हो, जिन्होंनें स्वयं इसमें अपनी लेखनी की स्याही खर्ची हो, और जो प्राण साहबको समर्पित हो तो मैं भला कीमत की परवाह करूंगा? नहीं ना! और यही हुआ! किताब खरीद ली गई!
अभी हाल ही में एक किताब पढ़ रहा था! जिसे पढ़ते समय मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि किस करवट इसे पढने से सही सूझेगा!!?? या उलटा लटक कर पढूं कि तिरछा पलटकर पढूं?? ‘घरसे बाहर किताबों की संगत मेरी सबसे बड़ी साथी हैं, साब! इस आड़े-तिरछे के संग आँख फोड़ते मैं कुछ औरअच्छाकी आस में जब व्हीलर की दूकान पर पहुंचा तो मेरी नज़रें किसी चंचल बालक की तरह अपने लिये मुफीद खिलौने की तलाश में उसकी सभी रैकों पर और सामने पसरी पड़ी मग्ज़िन्स पर फिरने लगीं! 
उन्हुंह:! ना...ह:! धत्त! ...! ...!! ...!!! आयें!!??
_:“
अरे वाह!!मेरी नज़र किताबों के हुजूम में एक रैक पर ऊपर और नीचे के बीच में सैंडविच्ड इस किताब पर पड़ी! रंग लाल! लेखन सफ़ेद!! लिखा है : “...और प्राण!मुझे फाटक से सब समझ में आ गया कि किसी मान्यवर ने मेरे प्रिय मलंग चाचाऔर दोस्त शेरखानको अपनी श्रद्दांजलि पेश कर दी है जो अब जन-साधारण के लिये उपलब्ध है! मैंने दुकानदार से उस किताब कि मांग की! ...कौन?...कौन?? करते उस दुकानदार को मैं अपनी ऊँगली के इशारे से इस किताब तक पहुंचाया! जिसे निकालने में बंदे को अपने जबड़े अमिताभ की तरह भींचने पड़े! आखिरकार मेरी उत्कंठा समाप्त हुई और यह किताब मेरे हाथों में थी, कि –‘जिया’- धक् से रह गया!!! लिखा है :
प्राक्कथन
_
अमिताभ बच्चन
!!!!!!!!!!!!!!!?????????????
_"
कितना पैसा भईया!!!???.......!"
जो कीमत उन्होंने बोली उतने मेरी जेब में
 नहीं थे! मैंने अपना बैकपैक कंधे से उतारा और सामने बिछी मैगज़ीन्स कि चटाई पर रखकर खोला, उसमे से पैसे निकाले और भुगतान किया! वे मुझे छुट्टा वापस किये अपने हाथ ताने-ताने थक गए तो टोके :"लीजिये!"
आयें!? क्या!!?? ओह! थैंक्स!! मैं वहीँ खड़े खड़े किताब पढने लगा था और सचमुच खो गया था! फिर संभला! किताब को हसरत भरी नज़रों से एकबार फिर निहारकर मैंने उसे बैकपैक में डाला और छोटेको फोन लगाया! उसने मुझे स्थान बताया कि उसजगह खड़ा रहूँ वह बस पहुँच गया है!
हम घर पहुंचे! तो गुनगुन मुझसे चिपट गयी फिर रुंवासी होकर पूछी कि "बाबुजी, कल आप मुझे स्कूल से लेने आईयेगा ना??" मैं भावुक हुए बिना नहीं रह सका! माँ को देखते उसके चरणों पड़ा! बहु ने प्रणाम किया फिर डुग्गु महाशय (यथार्थ)बावा बावा- कहते मेरी तरफ लपके! दोनों बच्चों को अपनी गोद में उठाकर उन्हें चूमते दुलारते मैं मेरे अपने कमरे में पहुंचा बच्चों को आराम से उतारकर बैकपैक को बेड पर फेंककर कपडे उतारे और हल्का होने भागा! आया तो बच्चे दादीके पास जा चुके थे! मैंने कमल से एक पजामा माँगा तो उसने मुझे लुंगी थमा दी कि मेरा पजामा आपको नहीं आएगा!
_"
यार! ये लुंगी में मैं बिलकुल भठियारा लगता हूँ!" मैं खीजा फिर यूँ ही लपेटकर बेड पर लेट गया, व्यग्रता से बैकपैक खोलकर उसमे से आड़े-तिरछेको दूर ------लेब्दा’- कर मैंने अमिताभ बच्चन की स्याही वाली और विख्यात फिल्म जर्नलिस्ट -श्रीमानबन्नी रुबेनकी किताब “...और प्राण!को निकाला! इसका टाईटल मुझे कोई आश्चर्यजनक और अजनबी नहीं बल्कि स्वाभाविक, वांछित प्रत्याशित और सटीक लगा, क्योंकि जिस फिल्म में प्राण साहब होते हैं उसमे उनका नाम सभी कलाकारों के बाद आखिर में आना और म्यूजिक की शानदार झमाके के साथ स्क्रीन पर प्रकट होना 

 ...and PRAN
का उभरना मेरे लिये एक स्थापित तरतीब वाली बात थी, जिसके साथ ही मैं बड़ा हुआ! मैंने किताब में गोता लगाया! जब माँ ने टोका कि :कुछ खईबे-पियबे कि खाली किताबे पढ़त रहबे?” तब मैंने अनिच्छा से इसे छोड़ा और खाने चला गया! फिर यारों रात बीत गयी! पर प्राण नहीं निकली! प्राण प्राण में समा गयी!
इस किताब की शरुआत में अमिताभ बच्चन पहले अपनी बात कहते हैं! इनके कहने का ढंग आपको रोमांचित करेगा, भावुक करेगा और ज्ञानार्जन करेगा!
और जब किताब शुरू होती है तो प्राण खुद मैं फिर दुहराता हूँ- प्राण साहब खुद आपसे बात कर अपनी समूची जीवन गाथा को यूँ सुनायेंगे जैसे आप और प्राण साहब के बीच और कोई मईयवा –‘आड़ा-तिरछा’- की गुंजाईश नहीं!
यह किताब १९२० से २०१३ तक के भारतीय सिनेमा का इतिहास यूँ पेश कर रहा है कि आप इसका मालिक बनकर गौरान्वित महसूस करेंगे!
सचित्र जीवन-यात्रा!
एक गौरव गाथा!
पृष्ठ संख्या ५१० !!
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और प्राण








 स्वयम !
साक्षात!
सजीव!
संलग्न फ़ोटोज़ इसी किताब की हैं!
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शुभम~
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श्री.