मैंने निश्चय कर लिया है कि अब अपने कुछ मित्रों के पठान-पाठन से सबक लेकर कुछ कालजयी रचनाओं को पढने और कुछ सीखने का। इसलिए शायद अब इस ब्लॉग पर मैं कम ही पोस्ट रखूँगा। आत्मविश्लेषण के लिए स्वयं को पहचानने की आवश्यकता है। मुझे मेरी भूलों का अंदाजा हो रहा है। मेरा सोचना ठीक निकला। दुनिया प्यार- मोहाब्बत और दिलवालों से भरी पड़ी है। उनमे से जो भी चुनोगे हीरे-मोती ही मिलेंगे। फिर अपनी हांकने से पहले सामने फैले विशाल ज्ञान के भण्डार जो अनमोल रचनाएं हैं उन्हें पढ़े बिना कुछ कहना करना नादानी होगी। संभल कर चलने में ही गति है। और यही संभलने का सही वक़्त है।
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_श्रीकांत तिवारी .
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_श्रीकांत तिवारी .