महान आदमी - महान इंसान जब कोई महानता करता है, तो उसे इस बात का कोई भान तक नहीं होता। न ही वो कोई सूचना प्रसारित करके कोई महानता वाला कार्य करता है। उसकी नजर में सामान्य सा उसका जीवन, सामान्य से उसके काम -कब, क्यों, कहाँ, कैसे किसपर- कोई उपकार भलाई या एहसान कर जाते हैं इसका उसे पता तक नहीं होता। उपकृत व्यक्ति के बारे में उसे -पूर्व या पश्चात- कोई सूचना तक नहीं होती। वो अपने एकचित निर्मल मन से अपने 'सामान्य से काम' में लीन रहता है। उपकृत व्यक्ति के स्वच्छ ह्रदय से ऐसे महान आदमी - महान इंसान के प्रति खुद-ब-खुद दुआ निकल जाति है। महान इंसान को उपकृत व्यक्ति कि "थैंक्स" तक सुनाई नहीं देती। लेकिन वो महान विभूति अनजानें में ही पुण्य का भागी बन जाता है।
...पछले दिनों मेरे साथ कुछ ऐसा ही हुआ, जब श्री हरमिंदर छाबरा जी के निमित्त, के सदके मुझे मेरा दोस्त (डॉक्टर हरमिंदर सिंह कालरा) मिल गया। लेकिन इसका श्रेय सीधे श्री सुरेन्द्रमोहन पाठक सर को जाता है, हक़ीक़तन जिनके सम्मान में लिखे मेरे लेख में मैंने अपने दोस्त को याद किया था...
_श्री .