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Wednesday, March 27, 2013

THE IMMORTALS OF MELUHA by Amish Tripathi

मित्रों, SHIVA TRILOGY का पहला पार्ट =>"THE IMMORTALS OF MELUHA" पढ़ लिया! पढ़कर चमत्कृत हूँ! हतप्रभ हूँ! और बहुत ही, ...बहुत ही खुश भी कि 'अमीश' (Amish Tripathi) के रूप में भारत में एक ऐसे लेखक का अभुदय हुआ, प्रादुर्भाव हुआ है जिनके लेखन को , मैं, -कम-से-कम- मैं  तो विश्वस्तरीय कहूँगा, जिनके लेखन को समूचे देश में सराहा गया, अपनाया गया, प्रशंसा की गई, और की जाती रहेगी! सभी के लिए पढने योग्य, बहुत ही सरल भाषा में अत्यंत ही वृहद् और विषद कथानक! शानदार प्रस्तुति! पठनीय! पठनीय!! पठनीय!!! एवं _संग्रहनीय! किताब के पीछे छपे आखिरी लाइनों में 'अमीश' की तुलना Paulo Coelho से की गई है!

'शिव'
शिव एक आम आदमी है! तिब्बत स्थित 'कैलाश पर्वत' के भू-भाग में 'मानसरोवर' झील के पास के एक काबिले का कबीलाई नेता है! उसे अपने अतीत का ज्ञान नहीं! वहां उसका बचपन का साथी भद्र है, जिसके साथ चिलम(में भरे गांजे) का कश खीचना, और आये दिनों अन्य कबीलों के साथ होने वाली लड़ाइयों के वह आदि हो चुके हैं! पर शिव को चैन नहीं! उसे बार-बार अपने चाचा की बात याद आती है जो कहता था कि ये तिब्बती काबिले की सरदारी उसका प्रारब्ध नहीं है! तो फिर उसका प्रारब्ध क्या है?

इस किताब के किरदार 'शिव-पुराण' के अनुसार ही हैं; अलबत्ता उनकी एंट्री, और उनका पद(ओहदा), उनकी महत्ता और शिव के साथ उनका संपर्क और सम्बन्ध कहानीकार ने अपनी शैली में रचा है, जो कथानक को सहस्रों शताब्दियों पहले की कथा न कहकर वर्तमान युग के शुरूआती देश-काल (Before 1900 BC) की चर्चा करता है! फिर भी कहानी में शिव के आगामी जीवन में आने वाले और पात्रों के नाम भी पुरातन 'शिव-पुराण' के अनुसार ही हैं! सिर्फ कहानी कहने का यह ढंग है कि शिव को "भगवन शंकर" कदापि न समझकर एक साधारण इंसान के रूप में स्वीकार कर कथानक के प्रवाह के साथ हो लिया जाय! आगे आने वाले किरदार भी (पुरातन) नामकरण वाले हैं, जो आते जाते हैं; लेकिन कई ऐसे भी हैं जिनके नाम जाने/पढ़े हुए होने के बावजूद, उनके पद(ओहदा), और कार्य आपको चमत्कृत करेंगे, सवाल खड़े करेंगे और उत्तर जानने के लिए आप पन्ना पलटते जाने को विवश हो जायेंगे!

नंदी! दक्ष! सती! और ब्रहस्पति ! _ये सभी मेलुहवासी सूर्यवंशी हैं! पर्वतेश्वर! _ये एक दबंग किरदार है (पढ़ते समय बारम्बार -पता नहीं क्यों, राज बब्बर का चेहरा- सामने आ जाता है!!); ये सती के धर्मपिता और सूर्यवंशी मेलुहा साम्राज्य का सेनाधिपति है; इनकी धर्मपुत्री होने के कारण ही सती का एक नाम 'पार्वती' भी है! दक्ष सूर्यवंशी साम्राज्य के राजा हैं! नंदी एक साधारण अधिपति(कप्तान) है, जिनके साथ तिब्बत से शिव का 'मेलुहा' आगमन होता है! सती, राजा दक्ष की बेटी है। और ब्रहस्पति _एक सरयूपारी ब्राम्हण हैं जो मेलुहा का प्रधान वैज्ञानिक है जिसके जिम्मे "सोमरस" के अलावे और भी कई ऐसे अनुसंधानों का जिम्मा है जिसमे सर्वत्र का हित है, जो शिव से मिलते ही उसका मित्र बन जाता है। जबकि पर्वतेश्वर, रामभक्त और उनके आदर्शों का बहुत ही कट्टर अनुयायी है, जो क़ानून और नियम भंग के खिलाफ है! जिसे "नीलकंठ" के ऊपर कोई भी अंधविश्वास नहीं है! पर धीरे-धीरे ... कुछ होता है! किताब में पढ़िए ....! 'आयुर्वती' साम्राज्य की चिकित्सक हैं!

पश्चिमी छेत्र के सूर्यवंशियों की राजधानी "देवगिरी" की _पूरब की ओर के चंद्र्वंशियों से पुरानी शत्रुता है! चंद्र्वंशियों की राजधानी "अयोध्या" है!! सबको यकीन हैं कि चंद्र्वंशियों ने ही "नागाओं" को अपने साथ मिला लिया है जो आये दिन मेलुहा; जो दरअसल 'सप्त-सिन्धु' की वजह से -India- है, पर आतंकवादी हमला कर उसे तबाह करने पर तुले हैं! नागा _जो अपना चेहरा कभी नहीं दिखाते; जो हमेशा एक "फणदार चोंगा" और नकाब पहने होते हैं, जो कतई यकीन के काबिल नहीं, अत्यंत ही भयानक और निर्दयी हैं, बहुत ही काबिल योद्धा हैं! चंद्र्वंशियों को इस किताब में खलनायक और नागाओं को उनका साथी बताया गया है, _क्या वाकई ऐसा ही है!!?? ...फिर एक नागा! _वही नागा जो सती के पीछे शुरू से पड़ा है, क्यों नदी में डूबती दो स्त्रियों की मगरमच्छ से रक्षा करता है, जो एक स्त्री के द्वारा कोसे जाने पर भावुक होकर रोने जैसा हो जाता है ..!!??

चंद्रवंशी _जिनके राजा 'दिलीप' हैं, उके पुत्र का नाम 'भगीरथ' है और पुत्री का नाम 'आनंदमयी' है! क्या ये सचमुच इस किताब के खलनायक हैं!? हाँ! तो कैसे? नहीं! नहीं!? तो ..तो क्या रहस्य है!!? वे नागाओं जैसे निक्रिष्ट्तम "आतंकवादियों' से मिलकर सूर्यवंशियों के खिलाफ लागातार आक्रमण पर आक्रमण क्यों किये जा रहे हैं?

छोटी झड़प हो, छापामार लड़ाई हो, बड़ा हमला हो या छोटा, या फिर युद्ध ही क्यों न हो; इनका प्रस्तुतीकरण इतने कमाल का है जो हमें उसी युग और देश-काल की सैर कराता है जो लेखक की रचना दिखाना चाहती है! (दिमाग में 'ग्लैडियेटर' के युद्ध का दृश्य उभरता है!)

सती _का किरदार शुरुआत में कई उलझनें पैदा करता है; जिनका उत्तर मिलने पर एक-बा-एक हम आवक-से हो जाते हैं; जिन्होंने एक दीर्घ-आयु जिया है, जो कोमल हैं; नृत्य सीखतीं हैं, जो एक वीरांगना हैं! अदभुद योद्धा! जिनके क्रोद्ध में भगवती भवानी की छवि दिखेगी! "अग्निपरीक्षा" क्या और कैसे होती है वो इस किताब में पढ़िए! सती, शिव से प्रेरणा पाकर "तारक" जैसे एक भयानक और महाशक्तिशाली योद्धा को पराजित करतीं हैं और जो उसकी जान न लेकर उसे क्षमा कर देतीं हैं! लेकिन जो विकर्म/अछूत/शापित/पूर्वजन्म के दुष्कृत्यों की वजह से शापित है!!? आखिर क्यों? पूरे देश में ही विकर्म व्यवस्था से शिव आहत है! .......बे-शक शिव-सती का विवाह होता है; लेकिन उसे होते पढना एक रोमांचकारी यात्रा है जिसे हरेक "पढ़ाकू" पढना चाहेगा। पढ़-पढ़कर फिर पढना चाहेगा!

अपनी यात्रा में शिव कई ऐसे क्षणों से और हालातों से गुजरता है कि आप भावविभोर होंगे, और रोमांचित भी!
शिव _नटराज से नीलकंठ, नीलकंठ से महादेव (देवों के देव!) बनता है। ऐसा कोई अंधविश्वास उसे बनाता है या कोई अटल विशवास, या उसके कर्म या उसका प्रारब्ध? क्या वह प्रभु श्री राम के छोड़े अधूरे कार्यों को पूरा कर पायेगा? क्या शिव को उसके सभी सवालों के जबाब मिल जाते हैं?

ब्रहस्पति की प्रयोगशाला मंदार पर्वत पर है! जहाँ सोमरस बनाया जाता है और भी अन्य अनुसंधान किये जाते है! शिव-सती के विवाह के पश्चात ही उस पर एक आतंकवादी हमला होता है जिसमे समूचा पर्वत और प्रयोगशाला ध्वस्त हो जाते हैं! चारों तरफ तहस-नहस हो चुके प्रयोगशाला की ईमारत के अवशेष और कई-कई व्यक्तियों की छिन्न-भिन्न लाशें पड़ीं हैं! चारों तरफ खूनआलूदा अंग-प्रत्यंग बिखरे पड़े हैं लेकिन उनमे से किन्ही से ब्रहस्पति के बारे में पक्की सूचना नहीं मिलती कि वे जीवित है या भयानक विस्फोटों में वे पूर्णतः जलकर ख़ाक हो गए! ...शिव क्रोध में है! वह बारीकी से घटनास्थल की पड़ताल करता है तो उसे एक चमड़े का ब्रेसलेट मिलता है जिस पर तीन साँपों द्वारा '-ॐ-' की आकृति बनी हुई है!! शिव घोषणा करता है कि वह किसी प्रयोग की वजह से घटी कोई दुर्घटना नहीं, बल्कि सोची-बिचारी साजिश थी जिसके पीछे उसी नागा का हाथ है जिसके साथ शिव-सती की भिडंत हो चुकी है! अपने भ्राता सामान मित्र ब्रहस्पति की हत्या का बदला लेने के लिए कठोरतम शपथ लेकर शिव चंद्र्वंशियों के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर देता है!!

"अरिष्टनेमि" कौन थे?
"हर हर महादेव" जैसे उद्घोष की क्या व्याख्या है!?

किताब का नाम "IMMORTALS"अमर"/मृत्युंजय रखने का क्या अभिप्राय है! क्या सभी "अमृत" पिए हुए हैं!!?

इस किताब के और दो भाग पढने हैं अतः एक सवाल मुझे अभी से परेशान कर रहा है! वो ये कि हमारे हिन्दू धर्मग्रंथों (शिव-पुराण, जिसका मैंने एक बार अध्ययन करने का सौभाग्य पाया है) में राजा दक्ष को शिव का परम विरोधी बताया गया है। जबकि अभी तक जो 'दक्ष' का रूप सामने आया है उसमे श्रीराम के पिताश्री दशरथजी के सामान प्रेम और वात्सल्य है। जिन्हें भगवन शंकर और दक्ष की शत्रुता का पता है; असमंजस में हैं, और उत्कंठा के मारे मेरा तो बुरा हाल है कि आगे क्या हुआ, या होगा?? यदि अमीश की कहानी पुराण को ही फॉलो करती है तो (अमिश की किताब में) ऐसा क्या हुआ होगा जिससे राजा दक्ष जैसा शिवभक्त, शिव का विरोधी ही नहीं बल्कि शत्रु बन जाता है!? खैर ये तो आगे की बात है....

पूरे उपन्यास का विश्लेषण करना मेरे लिए असंभव है क्योंकि मैं इसके योग्य नहीं! फिर भी शिव के मित्र भद्र का वीरभद्र नामकरण, त्रिशूल का वजूद में आना, शिव का सौम्य स्वभाव और उसकी व्यूह रचना और उसका युद्ध कौशल, और उसका क्रोध, अग्निबाण की सत्यता, _सती पर उसका प्रयोग और परिणाम!; सोमरस और सरस्वती नदी का रहस्य आपको चमत्कृत करेगा और लोमहर्षक अनुभूति का अहसास कराएगा! चंद्र्वंशियों की असलियत जिनका (इसी किताब के) आखिर में पता लगने पर आपको सच्चा रोमांच होगा।

यह किताब जिस तरह समाप्त(नहीं) होता है; व्यग्र करता है कि बिना कुछ विचारे दुसरे भाग को थाम लिया जाय..;

शिव अपने सवालों के जबाब के लिए अयोध्या स्थित 'रामजन्मभूमि' मंदिर में जाता है जहाँ उसे 'तीसरा' पुरोहित/पंडित मिलता है जो उसके सवालों के जबाब देने वाला है! वहां तक वह छिपते-छिपाते आया है! मंदिर से अपने विश्राम गृह को लौटने के क्रम में मंदिर के प्रांगन में ही उसे सती (-शिव की पत्नी बन चुकी सती-) से मुलाक़ात होती है, जो अपने पति की चिंता और अनुराग में उसके पीछे वहां आ गई है ...कि अचानक वही, _वही, _वही खतरनाक 'नागा' जो अत्यंत ही भयानक शत्रु प्रतीत होता है, उन पर घात लगा कर जानलेवा हमला कर देता है .......
to be continued ....
धत्त!तेरे की!!
ऐसे तो यार अखबारों में कार्टून ही छापे जाते थे!!
...तो मिलते है फिर दुसरे भाग के बाद ...
सादर नमस्कार.
_श्री .
PS: दीपांशु जी की सलाह से ली गई किताब "-the alchemist_", written by Paulo Coehlo; मेरे हाथों में है! और SHIVA TRILOGY के शेष दोनों भाग भी, असमंजस में हूँ कि पहले किन्हें पढूं! क्या TOSS करूँ? देखते हैं जी ...

Saturday, March 23, 2013

होली है !!:

होली है !!

होली के शुभ अवसर पर आप सभी को किसम-किसम की रंग बिरंगी शुभकामनायें! पढ़िए जबलपुर के हास्य कवि प्रदीप चौबे जी की ये कविता जिसे 1980 के दशक में लोकप्रिय पत्रिका "धर्मयुग" में पढ़ा था! आज इन्टरनेट पर पढ़ा, सो आप मित्रों के साथ शेयर करता हूँ! इस कविता में भारतीय रेल के 'जनरल' बोगी में सफ़र करने वाले यात्री का अनुभव, उसकी व्यथा कथा; हास्य के रस में भीगी हुई : 

भारतीय रेल की जनरल बोगी
पता नहीं आपने भोगी कि नहीं भोगी
एक बार हम भी कर रहे थे यात्रा
प्लेटफार्म पर देखकर सवारियों की मात्रा
हमारे पसीने छूटने लगे


हम झोला उठाकर घर की ओर फूटने लगे
तभी एक कुली आया
मुस्कुरा कर बोला - 'अन्दर जाओगे ?'
हमने कहा - 'तुम पहुँचाओगे !'
वो बोला - बड़े-बड़े पार्सल पहुँचाए हैं आपको भी पहुँचा दूंगा
मगर रुपये पूरे पचास लूँगा.
हमने कहा - पचास रुपैया ?
वो बोला - हाँ भैया
दो रुपये आपके बाकी सामान के
हमने कहा - सामान नहीं है, अकेले हम हैं
वो बोला - बाबूजी, आप किस सामान से कम हैं !
भीड़ देख रहे हैं, कंधे पर उठाना पड़ेगा,
धक्का देकर अन्दर पहुँचाना पड़ेगा
वैसे तो हमारे लिए बाएँ हाथ का खेल है
मगर आपके लिए दाँया हाथ भी लगाना पड़ेगा
मंजूर हो तो बताओ
हमने कहा - देखा जायेगा, तुम उठाओ
कुली ने बजरंगबली का नारा लगाया
और पूरी ताकत लगाकर हमें जैसे ही उठाया
कि खुद बैठ गया
दूसरी बार कोशिश की तो लेट गया
बोला - बाबूजी पचास रुपये तो कम हैं
हमें क्या मालूम था कि आप आदमी नहीं, बम हैं
भगवान ही आपको उठा सकता है
हम क्या खाकर उठाएंगे
आपको उठाते-उठाते खुद दुनिया से उठ जायेंगे !
हमने कहा - बहाने मत बनाओ
जब ठेका लिया है तो उठाओ.
कुली ने अपने चार साथियों को बुलाया
और पता नहीं आँखों ही आँखों मैं क्या समझाया
कि चारों ने लपक कर हमें उठाया
और हवा मैं झुला कर ऐसे निशाने से
अन्दर फेंका कि हम जैसे ही
खिड़की से अन्दर पहुँचे
दो यात्री हम से टकराकर
दूसरी खिड़की से बाहर !
जाते-जाते पहला बोला - बधाई !
दूसरा बोला - सर्कस मैं काम करते हो क्या भाई ?


अब जरा डिब्बे के अन्दर झाँकिए श्रीमान
भगवान जाने डिब्बा था या हल्दी घाटी का मैदान
लोग लेटे थे, बैठे थे, खड़े थे
कुछ ऐसे थे जो न बैठे थे न खड़े थे, सिर्फ थे
कुछ हनुमान जी के वंशज
एक दूसरे के कंधे पर चढ़े थे
एक कन्धा खली पड़ा था
शायद हमारे लिए रखा था
हम उस पर चढ़ने लगे
तो कंधे के स्वामी बिगाड़ने लगे बोले - किधर?
हमने कहा - आपके कंधे पर !
वे बोले - दया आती है तुम जैसे अंधे पर
देखते नहीं मैं खुद दूसरे के कंधे पर बैठा हूँ
उन्होंने अपने कन्धा हिला दिया
हम पुनः धरती पर लौट आए
सामने बैठे एक गंजे यात्री से गिड़गिडाये - भाई साहब
थोडी सी जगह हमारे लिए भी बनाइये
वो बोला - आइये हमारी खोपड़ी पर बैठ जाइये
आप ही के लिए साफ़ की है
केवल दो रुपए देना
मगर फिसल जाओ तो हमसे मत कहना !

तभी एक बोरा खिड़की के रास्ते चढा
आगे बढा और गंजे के सिर पर गिर पड़ा
गंजा चिल्लाया - किसका बोरा है ?
बोरा फौरन खडा हो गया
और उसमें से एक लड़का निकल कर बोला
बोरा नहीं है बोरे के भीतर बारह साल का छोरा है
अन्दर आने का यही एक तरीका है
हमने आपने माँ-बाप से सीखा है
आप तो एक बोरे मैं ही घबरा रहे हैं
जरा ठहर तो जाओ अभी गददे मैं लिपट कर
हमारे बाप जी अन्दर आ रहे हैं
उनको आप कैसे समझायेंगे
हम तो खड़े भी हैं वो तो आपकी गोद मैं ही लेट जाएँगे


एक अखंड सोऊ चादर ओढ़ कर सो रहा था
एकदम कुम्भकरण का बाप हो रहा था
हमने जैसे ही उसे हिलाया
उसकी बगल वाला चिल्लाया -
ख़बरदार हाथ मत लगाना वरना पछताओगे
हत्या के जुर्म मैं अन्दर हो जाओगे
हमने पुछा- भाई साहब क्या लफड़ा है ?
वो बोला - बेचारा आठ घंटे से एक टाँग पर खड़ा
और खड़े खड़े इस हालत मैं पहुँच गया कि अब पड़ा है
आपके हाथ लगते ही ऊपर पहुँच जायेगा
इस भीड़ में ज़मानत करने क्या तुम्हारा बाप आयेगा ?
 
एक नौजवान खिड़की से अन्दर आने लगा
तो पूरे डिब्बा मिल कर उसे बाहर धकियाने लगा
नौजवान बोला - भाइयों, भाइयों
सिर्फ खड़े रहने की जगह चाहिए
एक अन्दर वाला बोला - क्या ?
खड़े रहने की जगह चाहिए तो प्लेटफोर्म पर खड़े हो जाइये
जिंदगी भर खड़े रहिये कोई हटाये तो कहिये
जिसे देखो घुसा चला आ रहा है
रेल का डिब्बा साला जेल हुआ जा रहा है !
इतना सुनते ही एक अपराधी चिल्लाया -
रेल को जेल मत कहो मेरी आत्मा रोती है
यार जेल के अन्दर कम से कम
चलने-फिरने की जगह तो होती है !


एक सज्जन फर्श पर बैठे हुए थे आँखें मूँदे
उनके सर पर अचानक गिरीं पानी की गरम-गरम बूँदें
तो वे सर उठा कर चिल्लाये - कौन है, कौन है
साला पानी गिरा कर मौन है
दीखता नहीं नीचे तुम्हारा बाप बैठा है !
क्षमा करना बड़े भाई पानी नहीं है
हमारा छः महीने का बच्चा लेटा है कृपया माफ़ कर दीजिये
और अपना मुँह भी नीचे कर लीजिये
वरना बच्चे का क्या भरोसा !
क्या मालूम अगली बार उसने आपको क्या परोसा !!


एक साहब बहादुर बैठे थे सपरिवार
हमने पुछा कहाँ जा रहे हैं सरकार ?
वे झल्लाकर बोले जहन्नुम में !
हमने पूछ लिया - विथ फॅमिली ?
वे बोले आपको भी मजाक करने के लिए यही जगह मिली ?

अचानक डिब्बे में बड़ी जोर का हल्ला हुआ
एक सज्जन दहाड़ मार कर चिल्लाये -
पकड़ो-पकड़ो जाने न पाए
हमने पुछा क्या हुआ, क्या हुआ ?
वे बोले - हाय-हाय, मेरा बटुआ किसी ने भीड़ में मार दिया
पूरे तीन सौ रुपये से उतार दिया टिकट भी उसी में था !
कोई बोला - रहने दो यार भूमिका मत बनाओ
टिकेट न लिया हो तो हाथ मिलाओ
हमने भी नहीं लिया है गर आप इस तरह चिल्लायेंगे
तो आपके साथ क्या हम नहीं पकड़ लिए जायेंगे ....
वे सज्जन रोकर बोले - नहीं भाई साहब
मैं झूठ नहीं बोलता मैं एक टीचर हूँ ....
कोई बोला - तभी तो झूठ है टीचर के पास और बटुआ ?
इससे अच्छा मजाक इतिहास मैं आज तक नहीं हुआ !
टीचर बोला - कैसा इतिहास मेरा विषय तो भूगोल है
तभी एक विद्यार्थी चिल्लाया - बेटा इसलिए तुम्हारा बटुआ गोल है !


बाहर से आवाज आई - 'गरम समोसे वाला'
अन्दर से फ़ौरन बोले एक लाला - दो हमको भी देना भाई
सुनते ही ललाइन ने डाँट लगायी - बड़े चटोरे हो !
क्या पाँच साल के छोरे हो ?
इतनी गर्मी मैं खाओगे ?
फिर पानी को तो नहीं चिल्लाओगे ?
अभी मुँह मैं आ रहा है समोसे खाते ही आँखों में आ जायेगा
इस भीड़ में पानी क्या रेल मंत्री दे जायेगा ?

तभी डिब्बे में हुआ हल्का उजाला
किसी ने जुमला उछाला ये किसने बीड़ी जलाई है ?
कोई बोला - बीड़ी नहीं है स्वागत करो
डिब्बे में पहली बार बिजली आई है
दूसरा बोला - पंखे कहाँ हैं ?
उत्तर मिला - जहाँ नहीं होने चाहिए वहाँ हैं
पंखों पर आपको क्या आपत्ति है ?
जानते नहीं रेल हमारी राष्ट्रीय संपत्ति है
कोई राष्ट्रीय चोर हमें घिस्सा दे गया है
संपत्ति में से अपना हिस्सा ले गया है
आपको लेना हो आप भी ले जाओ
मगर जेब में जो बल्ब रख लिए हैं
उनमें से एकाध तो हमको दे जाओ !


अचानक डिब्बे में एक विस्फोट हुआ
हलाकि यह बम नहीं था
मगर किसी बम से कम भी नहीं था
यह हमारा पेट था उसका हमारे लिए संकेत था
कि जाओ बहुत भारी हो रहे हो हलके हो जाओ
हमने सोचा डिब्बे की भीड़ को देखते हुए
बाथरूम कम से कम दो किलोमीटर दूर है
ऐसे में कुछ हो जाये तो किसी का क्या कसूर है
इसिलए रिस्क नहीं लेना चाहिए
अपना पडोसी उठे उससे पहले अपने को चल देना चाहिए
सो हमने भीड़ में रेंगना शुरू किया
पूरे दो घंटे में पहुँच पाए
बाथरूम का दरवाजा खटखटाया तो भीतर से एक सिर बाहर आया
बोला - क्या चाहिए ?
हमने कहा - बाहर तो आजा भैये हमें जाना है
वो बोला - किस किस को निकालोगे ? अन्दर बारह खड़े हैं
हमने कहा - भाई साहब हम बहुत मुश्किल में पड़े हैं
मामला बिगड़ गया तो बंदा कहाँ जायेगा ?
वो बला - क्यूँ आपके कंधे
पे जो झोला टँगा है
वो किस दिन काम में आयेगा ...
इतने में लाइट चली गयी
बाथरूम वाला वापस अन्दर जा चुका था
हमारा झोला कंधे से गायब हो चुका था
कोई अँधेरे का लाभ उठाकर अपने काम में ला चुका था


अचानक गाड़ी बड़ी जोर से हिली
एक यात्री ख़ुशी के मरे चिल्लाया - 'अरे चली, चली'
कोई बोला - जय बजरंग बली, कोई बोला - या अली
हमने कहा - काहे के अली और काहे के बली !
गाड़ी तो बगल वाली जा रही है
और तुमको अपनी चलती नजर आ रही है ?
प्यारे ! सब नज़र का धोखा है
दरअसल ये रेलगाडी नहीं हमारी ज़िन्दगी है
और हमारी ज़िन्दगी में धोखे के अलावा और क्या होता है ?
***********************************************
_श्री . 

होली है !!

भारतीय रेल – हुल्लड मुरादाबादी की हास्य कविता:


भारतीय रेल – हास्य कविता

एक बार हमें करनी पड़ी रेल की यात्रा
देख सवारियों की मात्रा
पसीने लगे छुटने
हम घर की तरफ़ लगे फूटने

इतने में एक कुली आया
और हमसे फ़रमाया
साहब अन्दर जाना है?
हमने कहा हां भाई जाना है….
उसने कहा अन्दर तो पंहुचा दूंगा
पर रुपये पुरे पचास लूँगा
हमने कहा समान नहीं केवल हम हैं
तो उसने कहा क्या आप किसी समान से कम हैं ?….

जैसे तैसे डिब्बे के अन्दर पहुचें
यहाँ का दृश्य तो ओर भी घमासान था
पूरा का पूरा डिब्बा अपने आप में एक हिंदुस्तान था
कोई सीट पर बैठा था, कोई खड़ा था
जिसे खड़े होने की भी जगह नही मिली वो सीट के नीचे पड़ा था….

इतने में एक बोरा उछालकर आया ओर गंजे के सर से टकराया
गंजा चिल्लाया यह किसका बोरा है ?
बाजु वाला बोला इसमें तो बारह साल का छोरा है…..

तभी कुछ आवाज़ हुई ओर
इतने मैं एक बोला चली चली
दूसरा बोला या अली …
हमने कहा कहे की अली कहे की बलि
ट्रेन तो बगल वाली चली..
______________________श्री________________________
अगर ये नकलची 'बन्दर' हैं! तो हम क्या किसी से कम हैं!! 

Friday, March 22, 2013

SHIVA TRILOGY (PART 1) THE IMMORTALS OF MELUHA ...

SHIVA TRILOGY (NOVEL; PART 1) THE IMMORTALS OF MELUHA ...के उस स्थान पर हूँ जहां शिव, राजा दक्ष के निर्णयानुसार 'मेलुहा' के भ्रमण पर निकलता है और कोटद्वार पहुँच कर पहली बार आम जनता की उपस्थिति में (दक्ष के निवेदन अनुसार) -नीलकंठ- के रूप में सामने आता है! मेलुहा का एक अँधा बूढा 'प्रभु' (शिव) से मिलना चाहता है! बड़ी भीड़ है! नंदी और वीरभद्र जनता की भीड़ में शिव के लिए आसान रास्ता बनाने के लिए भीड़ के आवेग को रस्सी से रोके हुए हैं, कि शिव की नज़र उस श्रद्धा के आंसुओं से तर-ब-तर अंधे बूढ़े पर पड़ती है। वह नंदी और वीरभद्र को इशारा करता है कि उसे आने दें। बूढा व्यक्ति का बेटा, जो अंधे का सहारा है, उसे भी शिव के निर्देश पर बूढ़े के साथ शिव के पास आने दिया जाता है। बूढा शिव के पैर छूना चाहता है...कि, उसका बेटा 'कड़क कर'(डांटने की तरह) बोलता है_
`Father!` scolded the son.
Shiva was stunned by the harshness in the son's tone which was in sharp contrast with the loving manner in which he had spoken for. `What happened?`
`I am sorry, my Lord,` apologised the son. `He didn't mean to. He just forgot himself in your presence.`
`I am sorry, my Lord,` said the blind man, his tears flowing stronger.
`What about?`, asked Shiva.
`He is a vikarma,(विकर्म!/अछूत!/शापित!/पूर्वजन्म के पाप के लिए दण्डित!) my Lord,`said his son, `ever since disease blinded him twenty years ago. He should not have tried to touch you.`
Sati, who was now standing near Shiva, had heard the entire conversation. She felt sympathy for the blind man. She knew the torment of having even your touch considered impure. But what he had tried to do was illegal.
`I am sorry, my Lord,` continued the blind man.`But please don't let your anger with me stop you from protecting our country. It is the greatest land that Parmaatma created. Save it from evil Chandravanshis. Save us, my Lord.`
The blind man continued to cry while folding his hands in a penitent Namaste. Shiva was shaken by the dignity of the blind man.
(शिव मन ही मन) He still loves a country that treats him unfairly. Why? Even worse he doesn't even appear to think he's being treated unfairly.
Tears welled up in Shiva's eyes as he realised that he was looking at a man whom fate had been very unkind to.
(शिव मन ही मन) I will stop this nonsense.
Shiva stepped forward and bent down. The flabbergasted son tremmbled in disbelief as he saw the Neelkanth touch the feet of his vikarma father. The blind man was at sea for a moment. When he did understand what the Neelkanth had done, his hand shot up to cover his mouth in shock.

Shiva rose and stood in front of the blind man. `Bless me, sir, so that I find the strength to fight for a man as patriotic as you.`

The blind man stood dumb-struck. His tears dried up in his bewilderment. He was about to collapse when Shiva took a quick step forward to hold him, lest he fall to the ground. The blind man found the strength to say, `Vijayibhav`. May you be victorious. ...और दोस्तों! मेरे आँसू बह निकलते हैं....
_________________________
और एक बात बताऊँ! "सती" भी Vikarma,(विकर्म!/अछूत!/शापित!/पूर्वजन्म के पाप के लिए दण्डित!) है!! ...क्या? क्यों? कैसे?... जानने के लिए आइये मेरे साथ 'अमीश' के देश मेलुहा ......
_श्री .

Thursday, March 21, 2013

ANGELS & DEMONS

अभी हाल ही में  वैटिकन सिटी में नए पोप का चुनाव हुआ है, जिससे मुझे DAN BROWN की इस किताब ANGELS & DEMONS की याद आ गई! .........

कोलकाता! सन 2009! तारिख याद नहीं, पर अगस्त का महीना-(सावन का महीना)-है! मैं मेरे बेटे प्रीतीश के साथ कोलकाता आया हुआ हूँ! प्रीतीश की B.Tech में दाखिले की काउन्सलिंग 'साल्ट-लेक स्टेडियम' में हो चुकी है! हम कोलकाता; प्रफुल्ल कानन रोड स्थित(केश्टोपुर) मेरे भांजे सौरभ के घर(फ्लैट) पर वापसी की पैकिंग कर रहे हैं! आज रात 10:20PM पर हमारी वापसी की गाड़ी का समय है! समय 07:30PM के करीब हैं, और कोलकाता स्टेशन ...बहुत दूर है! हम हड़बड़ी में हैं! सौरभ अपने (TCS)-OFFICE से रात 10PM से पहले नहीं लौट पाता, सो हमने तयशुदा बात के मुताबिक चाबी दरवान के सुपुर्द की सौरभ से मोबाइल पर बात हुई, और बिना कुछ खाय-पीये हम पिता-पुत्र स्टेशन के लिए निकल पड़े! स्टेशन पहुँचते-पहुँचते 09:30 बज गए! स्टेशन पर हमने कुछ खाया और अपनी ट्रेन के लिए निर्धारित प्लेटफार्म नंबर 22/23 पर, हाँफते-हाँफते, पहुंचे! प्लेटफार्म पर जो -धीमी-सी- चहल-पहल थी उससे हमें आभास हुआ कि कोई गड़बड़ है! पता करने पर मालुम हुआ कि ट्रेन छः घंटे लेट है, रात एक बजे तक आवेगी! '..........!' मन बहलाने के लिए हम प्लेटफार्म पर घूमने लगे और मेरी आदत के मुताबिक हम एक बुकस्टाल पर जाकर किताबें ताड़ने लगे! मुझे एक मिल गया, ...नहीं दो मिल गए! मैंने दाम चुकाय और एक खाली जगह देखकर बैठा और टाइम-पास शुरू! बहुत पहले का "पढ़ा हुआ" (श्री वेदप्रकाश शर्मा जी का) 'बहु मांगे इन्साफ' फिर नए सिरे से मैंने पढना शुरू किया! अचानक जिम्मी(प्रीतीश) ने मुझे झंझोड़ा! '_हाँ! क्या है? _'इधर आइये ना!" _'काहे?' _दत्त, आइये तो!' मैं मन ही मन कुढ़ते उसके पीछे चला, तो वो मुझे एक बुकस्टाल-सी ट्रॉली के पास ले गया, और उसके डिस्प्ले पर मुझे देखने को कहा! मैंने पूछा_ 'हाँ! क्या देखूं?' तो उसने एक किताब को ऊँगली से छुआ और बोला कि वह किताब वो खरीदना चाहता है! मैंने कीमत पूछी तो दाम सुनकर मैं बिदक गया! तब जिम्मी ने मेरी मनुहार शुरू की '..."दी डा विन्ची कोड" फिल्म आपने देखी है न?' '...हाँ!', '..ये  उसी फिल्म के लेखक DAN BROWN की किताब है, "दी डा विन्ची कोड" इन्हीं के बुक पर आधारित थी, और ये उसी लेखक की नयी किताब है "ANGELS & DEMONS !"; इस पर भी मूवी बन चुकी है; बस रिलीज़ होने ही वाली है!' '...तो?' '...म्म-च्छ:; मुझे लेना है!' '...तो? '...दे..त`_पापा!' '...!' _वह किताब खरीदी गई! और जब तक ट्रेन न आई जिम्मी ने मुझे मेरी किताब को अलग रखवा कर उस नई -अंग्रेजी- किताब को पढने को कहने लगा! मैंने कहा:"-दुर्र, हमरा बुझैतई? _'आप पढ़िए तो, कोई एग्जाम थोड़े ही देना है, जैसे हिंदी को पढ़ते हैं, उसी तरह ये भी हैं!' _मैंने शंकालु भाव से उसके पन्ने पलटे, उलट-पलट कर देखा, और बेटे को खुश करने के लिए उसी की सुझाई एक पृष्ठ को पढने लगा लिखा था :  -PROLOGUE-
Physicist Leonardo Vetra smelled burning flesh, and he knew it was his own. He stared up in terror at the dark figure looming over him, `What do you want!`
`La chiave,` the raspy voice replied. `The password.`
`But... I don't___'
The intruder pressed down again, grinding the white hot object deeper into Vetra's chest. There was a hiss of broiling flesh.
Vetra cried out in agony. `There is no password!` He felt himself drifting toward unconsciousness.
The figure glared. `Ne avevo paura. I was afraid of that.`
Vetra fought to keep his senses, but the darkness was in. His only solace was in knowing his attacker would never obtain what he had come for. A moment later, however, the figure produced a blade and brought it to Vetra's face. The blade hovered. Carefully. Surjically.
`For the love of God!` Vetra screamed. But it was too late. ज्यादा कुछ समझ में नहीं आया फिर भी जो आया उसके मुताबिक>>
दोस्तों, इतना पढने के बाद, हम जैसे 'रहस्य-रोमांच के रसिक पाठकों' को जो रोमांच होता है, और जो जिज्ञासा का तूफ़ान जोर मारता है, उसकी मार मैं न झेल सका! मैंने इस -अंग्रेजी- की किताब में तुरंत डुबकी मार दी, लेकिन प्रीतिश ने मुझसे जबरन खींच निकला: '-लाइए, दीजिये!' _'काहे? _'मुझे पढना है!' मैंने उसे दूसरी किताब थमाई:_'जाओ, खेलो!' _'ओहोह:, ... इस तरह हम पिता-पुत्र में प्यारी नोंक-झोंक होने लगी! मैंने प्रीतिश को वो किताब दे तो दी, लेकिन अब मेरा जी नहीं लग रहा था! हमारी ट्रेन आने तक मैंने उससे छीना-झपटी कर के कई बार उसे पढना चाहा, लेकिन बेटे ने कहा कि वो घर पहुँचते तक उसे पूरी पढ़ लेगा, तब मुझे दे देगा! मैंने बात मान तो ली, लेकिन सारे सफ़र में मुझे -हॉलीवुडियन- सपने आते रहे! आखिरकार जब यह किताब पूर्णतः मेरे काबू में आ गई, और (अंग्रेजी का कम ज्ञान होने के कारण) बड़ी मेहनत से, लेकिन खूब रूचि लेकर जब मैंने इस उपन्यास ANGELS & DEMONS को पढना शुरू किया तो एक नए अनुभव की स्फुरण और कहानी के प्रवाह की जादुई पकड़ में जकड़ा मैं इसे पढता गया, पढता ही गया! यूँ 7-8 दिनों में जब मैंने इसे पूरा किया तब मैंने अपने में कुछ तबदीली महसूस की! '_मुझे किसी और किताब में अब मन नहीं लग रहा था! फिर मुझे याद आया कि प्रीतिश ने कहा था कि इस किताब पर मूवी बन चुकी है!! मैंने इस मूवी को ढूंढना शुरू किया, नहीं मिला। तब मैंने DAN BROWN पर ध्यान केन्द्रित किया। 'इन्होने और भी तो किताबें लिखी होंगी!?'  जरूर!! मैंने ढूँढा तो DAN BROWN की और 4 (चार) किताबें मिलीं! जिन्हें मैंने पढ़ा!

लेकिन अभी ANGELS & DEMONS की ही बात करूँगा! चूँकि मैं फिल्म:"दी डा विन्ची कोड" देख चूका था अतः हार्वर्ड युनिवेर्सिटी के प्रोफ़ेसर, Symbologist, Mr. Robert Langdon (HOLLYWOOD Star TOM HANKS) से परिचित था, लेकिन उतना ही जितना फिल्म में चित्रित था! Robert Langdon से सही मायनों में मुलाकात मुझे DAN BROWN की इस किताब ANGELS & DEMONS से हुई, जो मेरे उपन्यास की पढ़ाई के मामले में, मेरी ज़िन्दगी का पहला इंग्लिश नोवेल है!!

 __Robert Langdon एक भयानक सपने से जागता है, अभी सुबह नहीं हुई है! तभी उसे एक फोन आता है! फोन कर्ता रहस्यमय तरीके से बात करता है! बातचीत के दरम्यान वह Robert Langdon को अपना नाम Maximillian Kohler बताता है, कहता है कि वह एक 'particle physicist' है! और उसे आमंत्रित करता है, तुरंत! अभी! इसी वक़्त! वो उसके लिए प्लेन Boston Airport पर भेज भी चुका है, जो उसे एक घंटे में उसके गंतव्य तक पहुंचा देगा! Robert Langdon के इनकार, और ऐतराज़ पर वह उसे एक FAX भेजता है जो एक लाश की फोटो है! Robert Langdon को फोटो ने जितना नहीं चौंकाया, उससे कहीं ज्यादा उसे उस "प्रतीक" SYMBOL ने चौंकाया!! लाश एक बुजुर्ग की थी जिसकी छाती पर 'मुहर' दाग कर एक SYMBOL बनाया गया था! वह सिंबल था "- Illuminati -!" रोबर्ट लैंगडन सिहर उठता है! वह उस प्रतीक और उसके भयानक इतिहास से परिचित था! उसकी जिज्ञासा बढ़ जाती है! वह और सवाल पूछता है तो Kohler उसे it's URGENT; कह शीघ्र आने को कहता है कि शेष बातें 'वहीं' होंगी! Robert Langdon उस रहस्यमय यात्रा पर उतनी सुबह ही रवाना हो जाता है! जो प्लेन उसके लिए भेजा गया है वैसा उसने कभी नहीं देखा था!!...यह उड़ता भी है!? प्लेन उसे ले उड़ता है; प्लेन का पायलट उसे प्लेन के बारे में और गंतव्य स्थल के बारे में जानकारी देता है: `Just relax, We'll be there in an hour.`
`And where exactly is "there"? Langdon asked, realizing he had no idea where he was headed.
`Geneva,` the pilot replied, revving the engines. `The lab's in Geneva.`
`Geneva,` Langdon repeated, feeling a little better.
`Upstate New York. I've actually got family near Seneca Lake. I wasn't aware Geneva had a Physics lab,`
The pilot laughed. `Not Geneva, New York, Mr. Langdon, Geneva, Switzerland.`
`Switzerland?` Langdon felt his pulse surge, `I thought you said the lab was only an hour away!'
`It is, Mr. Lagdon.` The pilot chuckled. `This plane goes Mach fifteen.` .............. इसी तरह मित्रों मेरी भी नब्ज़ और धड़कन बेकाबू थी!

इन बातों से परे, दूर कहीं एक भयानक षड्यंत्र रचा जा चुका है! षड्यंत्र रचयिता को killer एक यंत्र सौंपता है! षड्यंत्र रचयिता killer को अपना नाम "Janus" बताता है! और उसे आगे के कामों को अंजाम देने के लिए प्रोत्साहित करता है! और killer जो -अपने पुरखों की तरह- हशीश का प्रयोग करता है Hassassin से Assasin बना अपने काम पर निकल पड़ता है!

रोबर्ट लैंगडन जिनेवा में Maximillian Kohler, से मिलता है, जो अपाहिज है, एक अत्याधुनिक व्हील-चेयर का मोहताज़, बीमार व्यक्ति है और जो -CERN- (The European Organization for Nuclear Research) का Director general है, के लैब पहुँचता है और हर वक़्त उसके आश्चर्यों में इजाफा होता जाता है! जहाँ एक _"चोरी"_ हो चुकी है! लैंगडन बुजुर्ग वैज्ञानिक Leonardo Vetra की नंगी लाश को देखता है जिसकी छाती पर (Ambigram की तरह का) एक _Illuminati_ लिखी मुहर दागी गई थी! इसी प्रतीक की वजह से, चूँकि रोबर्ट लैंगडन एक प्रतीकशास्त्री है, Maximillian Kohler ने मामले को समझने के लिए उसे अर्जेंट बुलाया था! वह ऐसी symmetrical आकृति है जिसे ऊपर-नीचे दोनों तरफ से सामान रूप से पढ़ा जा सकता है! `Look at his face,`Kohller said.
Look at his face? Langdon frowned. I thought you said something was stolen.
Hesitantly, Langdon knelt down. He tried to see Vetra's face, but the head was twisted 180 degrees backward, his face pressed into the carpet.
Struggling against his handicap Kohller reached down and carefully twisted Vetra's frozen head. Cracking loudly, the corpse's face rotated into view, contorted in agony. Kohller held it there for a moment.
`Sweet jesus!`Langdon cried, stumbling back in horror.Vetra's face was covered  in blood. A single hazel eye stared liflessly back at him. The other socket was tattered and empty. `They stole his eye?`...........! तब रोबर्ट लैंगडन, Maximillian Kohler को Illuminati का पौराणिक इतिहास बताता है, और इस आकृति की वर्तमान में मौजूदगी पर हैरान होता है! Maximillian Kohler, रोबर्ट लैंगडन को CERN की सैर करता है, और बताता है कि Leonardo Vetra एक गोपनीय, अति-महत्वपूर्ण प्रयोग पर काम कर रहा था! इन्हीं बातों के दरम्यान Leonardo Vetra की बेटी Vittoria Vetra का आगमन होता है, जो अपने पिता की तरह ही पार्टिकल फिजिक्स की वैज्ञानिक है, जिसे अपने पिता की म्रत्यु का समाचार मिल चूका है। Maximillian Kohler, रोबर्ट लैंगडन से उसका परिचय करता है। और पूछता है कि पिता-पुत्री किस इजाद (प्रयोग) पर कार्यरत थे! तब कुछ बहस के बाद कि पुलिस को सूचना क्यों न दी गई? ...के बाद Vittoria उन्हें LHC (The Large Hadron Collider) दिखाती है। लैब से LHC की सैर किसी तिलस्म से कम नहीं! LHC की जानकारी रोबर्ट लैंगडन को विस्मित करती है! LHC की प्रयोगात्मक पाइपलाइन जमीन के काफी नीचे 28KM व्यास की है जिसमे पार्टिकलस की टक्कर में उर्जा के साथ antimatter भी बनता है जिसे उसी समय स्टोर करना जरूरी होता है! Vittoria विस्तार से अपने प्रयोग की चर्चा करती है और बताती है कि इस प्रयोग के दरम्यान उसके पिता ने उसकी मदद से हासिल "antimatter" को 'store' जमा कर के सुरक्षित रख लिया है! Antimatter के वजूद से जहाँ रोबर्ट लैंगडन को ताज्जुब होता है वहीँ Maximillian Kohler भी सन्न हो जाता है! Maximillian Kohler को कुछ शंका होती है, वह Vittoriya को कहता है वो उन्हें stored "antimatter" दिखाए! LHC जमीन से छः मंजिल नीचे स्थित है! वे एक लिफ्ट द्वारा नीचे जाते हैं! तब..., वहां हैरतंगेज़ खुलासा होता है कि Leonard Vetra की आँख क्यूँ "चुराई" गई थी! और antimatter : (जैसा Vittoria बताती है : It is the energy source of tomorrow. A thousand times more powerful than nuclear energy!)जिसके एक अत्यंत-अत्यंत ही सूक्ष्म कण(5000 nanograms, visible amount!) को दिखाती है perfectly visible to a naked eye, जो एक ख़ास किस्म के specilally designed "canister" में suspended _लटका हुआ है! जिसे एक ख़ास किस्म के Scope द्वारा ही देखा जा सकता है! Vittoria उस कण के 500 nanograms कण को एक सुरक्षित चैम्बर में प्रयोग कर दिखाती है कि वह कितना घातक है!! धमाके की रौशनी (Like an Annihilation!) से सबकी (अइअइयो, मेरी भी!) आँखें चुंधिया जातीं हैं! `G....God!` जबकि उसके पिता द्वारा जमा किया हुआ, This was a droplet the size of a BB. A full quarter of a gram!....that converts to.....almost five kilotons! that much antimatter could literally liquidate everything in a half mile radius! _अलग, उस फ्लोर से भी और नीचे एक ख़ास स्टोरेज canister में रखा (a quarter of a gram Antimatter) था! और जहाँ जिस चैम्बर में यह Antimatter की मात्रा को रखा गया था उसके प्रवेश द्वार को खोलने के लिए *_रेटिना स्कैन_* जरूरी था,..... तभी वहां गिरा पड़ा खून में लिथड़ा हुआ एक eyeball मिलता है! तब सबकी समझ में आता है कि क्यों Leonardo Vetra की आँख निकल ली गई थी! तब Vittoria खुद की आँख के स्कैन से दरवाजा खोल कर अन्दर जाती है तो ....वह स्टोर्ड Antimatter अपने सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक स्थान से डिस्कनेक्टेड, "_बैटरी-युक्त Canister सहित_" गायब था! ...उसकी बैटरी 24घंटे तक ही कनस्तर के मैकेनिज्म को पॉवर देने में सक्षम थी, उसके बाद ....जैसे ही बैटरी ख़त्म हुई कि antimatter ___MATTER के सम्पर्क में आएगा,...और महाविनाश! ...हडकंप मच जाता है!

 .........इस बीच CERN, Geneva से दूर, कहीं ज्यादा दूर एक सिक्यूरिटी स्टाफ को अपने टीवी स्क्रीन्स से भरे कमरे में एक स्क्रीन पर एक अजीबोगरीब यंत्र दिख रहा है जिसकी बैटरी में काउंट डाउन हो रहा है, जिस सिक्यूरिटी कैमरा Camera #86 से वह इमेज आ रहा है वह कैमरा अपने निर्धारित जगह से गायब है! किसी ने जान-बूझकर ऐसा किया है! टीवी पर चमकता यंत्र साफ़-साफ़ किसी अनहोनी की धमकी दे रहा है .........

.........इधर CERN में सेक्रेटरी Sylvie घबराई हुई-सी Maximillian Kohler, के सुबह के आदेशानुसार Leonardo Vetra को ढूंढ रही है! उसने Leonardo Vetra को "पेज" किया, FAX किया, कॉल लगाया, अर्जेंट मेल भेजी लेकिन कोई जबाब नहीं आ रहा! इसलिए वह खुद उन्हें ढूँढने निकल पड़ी है और लैब में भटक रही है! Maximillian Kohler चूँकि एक बीमार व्यक्ति हैं अतः उन्हें नियत समय पर सुई-दवाई की याद कराना भी Sylvie का काम है, पर डायरेक्टर साहब नदारद हैं! ओपरेटर ने सूचना दी कि Maximillian Kohler के लिए एक इमरजेंसी कॉल है, और 'फोन कालर' की जानकारी मिलने पर उसकी घबराहट और बढ़ गई! अतः एक पब्लिक एड्रेस सिस्टम पर अब यह मेसेज गूँज रहा है : `Maximillian Kohller, Kindly call your office immediately.`  तब तक (पाताल लोक!! से) सतह पर आ चुके Maximillian Kohler को वह सन्देश सुनाई देता है और उसकी व्हील-चेयर पर फिक्स सभी यंत्रों में अचानक 'जान' आ जाती है! वह कॉल रिसीव करता है! कॉल सुनते ही Kohler बेचैन और बहुत व्यग्र हो जाता है :`It would be unwise,` Kohller finally said. `to speak of this by phone. I will be there immediately.` he was coughing again. `Meet me .....at Leonardo da Vinci Airport. Forty minuts.` ....और Kohler की तबियत बिगड़ने लगती है!.............`I am coming.` Then he clicked off his phone. ...... अत्यधिक तबियत बिगड़ने के कारण Kohler को ऑक्सीजन मास्क लगाया जाता है; उसे इलाज़  के लिए ले जाया जा रहा होता है तब Kohler, रोबर्ट लैंगडन और विटोरिया वेट्रा को कहता है "ROME रोम",.. "The Swiss...", ...`Go....`,   ........`Go.......,` .........`Call me .......` यहाँ तक की सांस फुला देने वाली कहानी के बाद हमारी 'रोम' _वैटकन सिटी; Vatican City, the smallest country in the world._ की यात्रा प्रारंभ होती है!

आगे की कहानी ये है कि पोप की मृत्यु हो जाने के कारण नए पोप के चुनाव -II conclave! The Vatican Conclave-के लिए दुनिया भर से चुने हुए कार्डिनल्स आये हैं! वैटकन सिटी के पहरेदार जो स्विस गार्ड कहलाते हैं के प्रमुख Commander Olivetti को चिंता जनक समाचार मिले हैं! सिक्यूरिटी से किसी घातक यंत्र (बम) की सूचना दी है, जिसकी 'घडी में अब सिर्फ छः घंटे बचे हैं!! ...और सबसे दहलाने वाली खबर कि पोप के पद के लिए चुने गए चार उपयुक्त the chosen four कार्डिनल्स the preferitti गायब हैं! जबकि सिस्टीन चैपेल में कॉन्क्लेव बस शुरू होने ही वाला है!! रोबर्ट लैंगडन और विटोरिया वेट्रा की मुलाकात Commander Olivetti से होती है और विटोरिया उसे animatter के बारे में बतलाती है और वे आग्रह करते हैं की Canister की खोज होने और उसकी बैटरी बदल देने के दरम्यान वैटकन सिटी को खाली करवा दिया जाय! या `At least postpone the event.` की गुजारिश करते हैं! जिसे खिल्ली उड़ाते हुए नकार दिया जाता है! तब रोबर्ट लैंगडन "Chamberlain" Carlo Ventresca से मिलने की गुजारिश करता है; जो स्वर्वासी पोप के "hand servant" हैं! और जो नए पोप के चुनाव होने तक महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं! Chamberlain Carlo Ventresca से मुलाकात बड़ी जद्दोजहद के बाद होती है, वहीँ Hassassin का फोन आता है जो दावा करता है : `I am a messenger of the Illuminati.`
`What do you want?`
`I represent the men of science......, यूँ हुई बात में उसका कोई मकसद स्पष्ट नहीं होता! उसे धन नहीं चाहिए! उसे कुछ नहीं चाहिए! वह सिर्फ तबाही चाहता है! _क्यों? वो ठहाके लगता है! पर उसके खतरनाक इरादे ज़ाहिर हो चुके हैं! वह "विज्ञान की चार बेदियों पर(on the four alters of science!)" -चर्चों के भीतर- उन चारों कार्डिनल्स की "-मुहर दाग कर"- पब्लिक और मीडिया के सामने उनकी हत्या करेगा ताकि विज्ञान की धर्म पर विजय हो! वह वैटिकन सिटी का विनाश चाहता है! उसकी धमकी है कि चारों गायब कार्डिनल्स उसके कब्जे में हैं और आज रात के ठीक 12 बजे जबकि antimatter तबाही लायेगा वह बारह बजने तक उससे पहले हर घंटे एक पादरी को क़त्ल करता जाएगा ...., यहाँ अब सिर्फ रोबर्ट लैंगडन ही है जो उसकी बातें, और इतिहास और प्रतीकों की सहायता से इस विनाश को रोक सकता है!......रोबर्ट लैंगडन यह चुनौती स्वीकार तो नहीं करता पर वह निर्दोषों को मरने देना भी नहीं चाहता! वह Hassassin से हुई बात और प्रतीकों का पीछा करते हुए कातिल के पीछे पड़ जाता है। यहाँ विटोरिया हर क़दम पर उसके साथ है! रोबर्ट लैंगडन को सिर्फ एक सूत्र मिला है वो है विज्ञानं की चार वेदियाँ = 1.EARTH, 2.AIR, 3.FIRE, 4.WATER ..... फिर क्या होता है? क्या सचमुच में यह बे-मकसद का पागलपन था? अगर षड्यंत्र था तो कौन था वह रहस्यमय Janus जो Hassassin को इस कत्लोगारत का और वैटिकन सिटी के विनाश का काम सौंपता है!? _क्यों? क्या Illuminati फिर से वजूद में आ गए हैं!? पूरी धरती से सारी मीडिया और श्रद्धलुओं की भीड़ है! सबकी जान खतरे में है ... तबाही और मौत अब सिर्फ पांच घंटे दूर है!!

बंधुओं आइये और रोबर्ट लैंगडन के साथ प्रतीकों के पीछे एक ऐसी दुनिया में चलिए जिसके ताले कभी नहीं खुले हैं! उन तालों को खोलना है! कैमरा #86 कहाँ है? जहाँ कैमरा है वहीँ Antimatter वाला canister भी है! इसके लिए पढ़िए DAN BROWN की लिखी किताब ANGELS & DEMONS !




1.EARTH, 2.AIR, 3.FIRE, 4.WATER इनके AMBIGRAM मुहर को देख कर इसके बनाने वाले "_कारीगर_" को सलाम करने को जी चाहता है! सलाम John Langdon साहब! पांचवां प्रतीक The Illuminati Diamond का है जो उपन्यास में तो दिखाया गया है, लेकिन फिल्म में गायब है! इस नोवेल को पढने के बाद मैंने इसकी मूवी को ढूंढना शरू किया, जो मुझे 2010 में मई के महीने में मिली! जब इसे देखा तो बड़ी कोफ़्त हुई! उपन्यास के कथानक को फिल्म में जिस तरह पेश किया गया है; वह उपन्यास के समान धड़कन बढ़ने वाली, सांस अटकाने वाली, और खून जमा देने वाली बिलकुल नहीं है; जबकि उपन्यास शर्तिया है!! पात्रों के नाम उपन्यास के अनुसार नहीं हैं! फिल्म में Maximillian Kohler नदारद है! जिसकी उपन्यास के कथानक में क्लाइमेक्स के वक़्त "पुनःप्रवेश" चौंकाने वाला है! जिसकी कथानक के कई रहस्यों से पर्दा उठाने में बहुत बड़ा, _सबसे बड़ा योगदान है! जिसकी Re-entry में यह सवाल निहित है कि कहीं सभी षड्यंत्रों के पीछे उसी का हाथ तो नहीं!? वो "Janus" को कब-क्यूँ-कहाँ और कैसे जानता है!!?? 'Anitmatter' - जिसका इस्तेमाल इस उपन्यास में गलत हाथों में पड़ने की वजह से घातक है; क्या वो वह विध्वंश मचा पाता है, जिसके लिए उसे वैटकन सिटी में ही कहीं छिपाया गया है!? उपन्यास में Hassassin के द्वारा Vittoria Vetra का अपहरण  होता है, जिसे ढूंढते हुए Robert Langdon उस स्थान पर पहुँच जाता है जहां Vittoria क़ैद है! वहाँ Robert Langdon  और Vittoria मिलकर Hassassin से लड़ते हैं! ...क्या होता है!? स्वर्गवासी पोप की मृत्यु क्या स्वाभाविक थी या उसी षड्यंत्र की शुरुआत का हिस्सा,...हत्या!!?? सबसे बड़ा सवाल : इतने बड़े घटनाक्रम का आखिर उद्देश्य क्या था? इन सभी उत्तर को जानने के लिए इस नायब नोवेल को कम से कम एक बार पढना तो बनता ही है। अतः इस उपन्यास को अवश्य पढ़िए! CERN की जानकारी बस इतनी ही दी गई है जितनी कि इसके निर्माता को फिल्माने की इज़ाज़त मिली होगी! वो भी पता नहीं असली है कि नकली!  इसीलिए; Maximillian Kohler, इस पात्र से ज्यादा ही मुतासिर होने के कारण मैंने ऊपर CERN की चर्चा की, लेकिन उतनी नहीं, उस तरीके से नहीं, _जितना और जिस तरीके से श्रीमान DAN DROWN ने किया है! भले फिल्म मत देखिये पर यह नेवेल पढ़िए जरूर! और अपने अनुभव हमसे शेयर कीजिये! दोस्तों यदि आप रहस्य-रोमांच की दुनिया में मजे को ढूंढते हैं तो आपको एक पड़ाव इस नेवेल के माध्यम से मिलता है! इस उपन्यास का क्लाइमेक्स आपको भाव-विभोर करेगा, चमत्कृत करेगा और आप अपने धड़कन को सम्भालने की मेहनत करते हुए चौंकते जायेंगे, चौंकते ही जायेंगे!!

सदर नमस्कार।








_श्री .

Wednesday, March 20, 2013

आज बुढऊ कहलएँ :

आज बुढऊ कहलएँ :

>>'पद' : माने = "चिन्ह" बनावै लागी!
>>'पैर' : माने = "जूता" नापई लागी।
>>'पाँव' : = (मतलब "गोड़") : = माने धूर (धूल) माटी में सनाइवै लागी; ताकि दूरे से परनाम कईर लेवल जाय, जेकर से उ मईला हमन के नई लागे!
दुरेहें से बोल्हन : 'पाँव लागी बाबा!', 'गोड़
लागी मालिक!'
>>'लात' : = अब एकर माने-मतलब त सभई कोई जनयं लन! _अर्रे! चाहे खावय ला, चाहे खिलावै ला!
>>'चरण' : = सिरिफ परनाम करय लागी!

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_श्री .

रावण को जिंदगी

उसे नहीं मालूम उसने मेरा कितना भारी नुकसान किया है! उसने मेरी श्रद्धा को लात तो मारी ही, साथ-ही-साथ उसने मेरी हंसी-ख़ुशी-उत्साह-उल्लास-उत्कर्ष पर जो घातक वार किया है, उसका खामियाजा उसे उपरवाले के दरबार में अवश्य ही भुगतना पड़ेगा! जब-जब किसी मित्र का पैगाम आता है, खुश होने बदले मैं रोने लगता हूँ, ये, _ये ज़ुल्म किया है उसने मेरे साथ, कि अब मैं अपने मित्रों तक से दूर, बहुत दूर हो गया हूँ कि अब मैं उनके सवालों के जबाब तक नहीं दे पाता! हम जिस प्रत्याशा से मित्र बने उस उम्मीद और उन सपनों का बड़ी बेरहमी से क़त्ल कर दिया उसने! आप खुद सोचिये कि जब सारे मित्र, जिन्हें उस पर अभी भी पूरा अकीदा है, मिलकर उसकी स्तुति गायेंगे, तब मेरी क्या दशा होगी? ये भी सोचिये कि अपनी इस क्रूरता से उसने उन लोगों को मेरी खिल्ली उड़ाने, और घमंड में फूलकर कहकहे लगाने का अवसर दिया है, जो शायद इस एक्सीडेंट के पीछे हैं, _शैतान! उसने शैतानो के हाथ मजबूत किये हैं, जो इसी दिन की ताक में थे! संभव था कि कुछ और वक़्त बिताने के बाद सभी गिले-शिकवे दूर हो जाते, और निर्मल दोस्ती की एक खूबसूरत दुनिया के हम बासिन्दे होते, लेकिन उसने इन सभी संभावनाओं, और सपनों को पूरी निर्दयिता के साथ उसने कुचल दिया! वह मंच जो पवित्र है, पावन है जो उसी के नाम के साथ उसी को समर्पित हैं, जिस मंच का नाम ही FANS of  ... है, उसपर किस मुँह से और कैसे बना रह सकता हूँ! ...और आप देखते जाइए कैसे ये खेल और रंग दिखाता है, और क्या-क्या 'बन्दर के गुलाटी' जैसे खेल पेश करता है, जिस खेल के खिलाड़ी और दर्शक दोनों होंगे, अपने ही खेल पर ताली पीटेंगे और घमंड में अट्टहास कर रावण को जिंदगी देंगे!! ...जो मेरे ख़याल से शुरू हो भी चूका है!

मैंने एक मंच छोड़ा है, दुनिया नहीं! हम अपने घर में किसी की भी कल्पना से कहीं ज्यादा खुश हैं!



रोते-रोते हँसना सीखो

रोते-रोते हँसना सीखो,
हँसते-हँसते ...रोना ...
रोते-रोते हँसना सीखो,
हँसते-हँसते ...रोना ...
जितनी चाबी भरी राम ने,
उतना चले ...खिलौना
रोते-रोते हँसना सीखो,
हँसते-हँसते ...रोना ...
जितनी चाबी भरी राम ने,
अरे, उतना चले ...खिलौना
रोते-रोते हँसना सीखो,
हँसते-हँसते ...रोना ...

हम दो, एक हमारी प्यारी-प्यारी मुनिया है
बस यही छोटी सी, अपनी सारी दुनिया ...है 
हम दो, एक हमारी प्यारी-प्यारी मुनिया है
बस यही छोटी सी, अपनी सारी दुनिया ...है 
खुशियों से आबाद है,
अपने घर का कोना-कोना
रोते-रोते हँसना सीखो,
हँसते-हँसते ...रोना ...
जितनी चाबी भरी राम ने,
अरे, उतना चले ...खिलौना
रोते-रोते हँसना सीखो,
हँसते-हँसते ...रोना ...

बड़ी-बड़ी खुशियाँ है छोटी-छोटी बातों में,
बड़ी-बड़ी खुशियाँ है छोटी-छोटी बातों में,
नन्हे-मुन्ने तारे जैसे लम्बी रातों में,
बड़ी-बड़ी खुशियाँ है छोटी-छोटी बातों में,
ऐसा सुंदर है ये जीवन,
जैसे कोई सपन-सलोना
रोते-रोते हँसना सीखो,
हँसते-हँसते ...रोना ...
जितनी चाबी भरी राम ने,
अरे, उतना चले ...खिलौना
रोते-रोते हँसना सीखो,
हँसते-हँसते ...रोना ...
______________
 _बाबूजी!

रोना! कभी नहीं रोना,

रोना! कभी नहीं रोना,
चाहे टूट जाये कोई खिलौना,
खिलौना ...
सोना! चुपके से सोना,
चाहे टूट जाए सपना सलोना,
सलोना ...
लल्ला ला, लाल...लाला लल्ला
ला ल लल लल्ला ला...ल ल लल्ला
रुरु, रु ...
लल्ला

दुःख-सुख की क्या बात है!
क्या दिन है, क्या रात है ...
आंसू भी मुस्कान बनें,
ये तो अपने हाथ है
आशाओं की डोरी में सदा,
तुम मन के फूल पिरोना ...
रोना! कभी नहीं रोना,
चाहे टूट जाये कोई खिलौना,
खिलौना ... 
लल्ला ला, लाल...लाला लल्ला
ला ल लल लल्ला ला...ल ल लल्ला
रुरु, रु ...
लल्ला

देखो बच्चों बाग़ में, 
सब कलियाँ नहीं खिलतीं,
दुनिया में इंसान को
सब चीजें नहीं मिलतीं
जो अपना नहीं,
तुम उसके लिए
जो अपना है नहीं खोना '
रोना! कभी नहीं रोना,
चाहे टूट जाये कोई खिलौना,
खिलौना ... 
लल्ला ला, लाल...लाला लल्ला
ला ल लल लल्ला ला...ल ल लल्ला
रुरु, रु ...
लल्ला
ललो लल लल्ला लल्ला लल लल लाआआ ...हा हा हा

रंग से और ना घाम से,
जात से और ना नाम से,
इज्ज़त मिलती है यहाँ
देखो अच्छे काम से
कोई काम बुरा तुम मत करना
बदनाम कभी नहीं होना ...
रोना! कभी नहीं रोना,
बाबूजी नहीं रोना, पापा नहीं रोना, मामा नहीं रोना, भईया नहीं रोना 
चाहे टूट जाये कोई खिलौना,
खिलौना ...
सोना! चुपके से सोना,
चाहे टूट जाए सपना सलोना,
सलोना ...
लल्ला ला, लाल...लाला लल्ला
ला ल लल लल्ला ला...ल ल लल्ला
रुरु, रु ...
लल्ला
http://www.youtube.com/watch?v=ftaLMkq13oA
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 मेरे बच्चे 

Tuesday, March 19, 2013

रक्त-ख़त

रक्त-ख़त ``*The Last Supper with SMP*``

गुरु 'श्री तेगबहादुर जी' से क्षमा प्रार्थी हूँ.और यूँ मुझे शिक्षा देने के लिए आपको साधुवाद एवं धन्यवाद करता हूँ। और भविष्य में इन महान विभूतियों की सूक्तों के प्रति पूरी श्रद्धा रखते हुए, शपथ लेता हूँ: आइंदे कभी इनका (अनर्गल) उपयोग नहीं करूँगा!

मान्यवर, आप कहते हैं कि इन्टरनेट अथवा facebook पर आपके नाम पर हो रहे किसी भी कथन-लेखन कार्य से आपका कोई सरोकार नहीं है! साहब, यह गलत है। इस सारे खेल-तमाशे की कुछ-ना-कुछ जिम्मेवारी आपके ऊपर अस्वश्य ही आयद होती है। आपके नाम पर कई ग्रुप बने हैं, जिनमे आपके लिखे उन ग्रुपों के प्रति शुभकामना उस ग्रुप का मान बढ़ाती ही नहीं उन्हें घमंडी और उदंड भी बना रही है। कई-कई लोग हैं जिनके व्यवहार किसी गुंडा तत्व के सामान हैं, पर कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके सान्निध्य से सुख मिलता है। आपके फोटो, आपके हस्तलेख, आपके दस्तखत और आपके प्रशंसकों को लिखे आपके पत्रों का खुला प्रयोग हो रहा है; जो मैं नहीं करता। स्वयं आपके नाम से _आपके फोटो को 'प्रोफाइल फोटो' बनाकर ग्रुप बनाय गए हैं, जो साफ़-साफ़ उन पाठकों को छलावा और धोखा देता है, जो इनकी असलियत को नहीं पहचान कर निश्छल मन से उस वेबसाइट को आपका नीजी पेज समझ कर श्रद्धा से जुड़ते जा रहे हैं; पर जब असलियत का पता चलता है तो कुढ़ कर रह जाते हैं, स्वयं को छला हुआ पाते हैं!

Surendra Mohan Pathak
Surendra Mohan Pathak The Legend
Fans of Surendra Mohan Pathak
Fans of Sardar Surendra Singh Sohal a.k.a. Vimal kumar khanna. 
SUNIL KUMAR CHAKRABORTHY CHEIF REPORTER DAILY BLAST PRASHANSAK MANCH
Blast
Yaaran Naal Bahaaran..........etc. etc.  सब facebook पर हैं!
इन सबको आपकी छत्रछाया आपके द्वारा प्राप्त है! आप स्वयं नत्थी हुए पड़े हैं साहब! आपके महान व्यक्तित्व के आगे मेरी क्या विसात! मैं तो अब फेसबुक पर रहना भी नहीं चाहता। facebook का अपना अकाउंट ही मैंने बंद कर दिया। पर मेरे सच्चे शुभचिंतकों, मित्रों और परिवार की खातिर उनके आगामी सलाह का अनुसरण करते हुए फिर "Re-activate" करना पड़ा तो सबसे पहले उन कंटेंट्स की सफाई कर दूंगा, जिसमें आपकी जरा सी भी उपस्थिति होगी! और आगे ऐसा न हो इसकी शपथ लेता हूँ।

आपके घनघोर प्रशंसक ऐसे कार्य कर रहे हैं जो आपके हमप्याला - हमनिवाला होने का दम और दंभ भरते हैं! __ये ठीक है!? मैंने अपने अनुभवों की सूचना दे दी तो बे-ठीक!!? नत्थी नहीं होना चाहते तो पूरी तरह बंद करवाइये ये खेल-तमाशा! घोषणा कीजिये कि कोई आपके नाम को facebook / internet पर यूँ न उछाले! लेकिन ये नहीं करेंगे आप, करना चाहेंगे भी नहीं, क्योंकि सेलेब्रेटी फिगर हैं - लीजेंड हैं, जो हो रहा है आपके प्रिय बालकों की चुहुलबाजी है! अतः वे मन बहलावें और डंडा भाँजें! चलने दो क्या फर्क पड़ता है! पर मुझे कहेंगे- दूषेंगे, सिर्फ इसलिए कि किन्ही अज्ञात कारणों से आप मुझसे विरक्त हो चुके हैं। क्यों आपने परमिशन दी कि internet पर आपको यूज़ किया जाय?????

प्रशंसा जितनी मीठी और सुपाच्य होती है, आलोचना इसी वजह से कडवी और बदहजमी का कारण बन जाती है। बाज़ार से खरीदी वस्तु का, मोल दे कर खरीदा गया प्रोडक्ट अच्छा नहीं होगा तो शिकायत होगी ही। प्रोडक्ट अच्छा होगा तो वाहवाही मिलेगी ही। और एक ग्राहक, एक उपभोक्ता होने के नाते ऐसा करने का सभी को पूरा हक़ है। शानदार रेस्टुरेंट के खाने की शिकायत करने पर मैनेजमेंट क्षमाप्रार्थी होता है, नया फ्रेश खाना पेश करता है पर ये नहीं कहता कि आइन्दा इस रेस्टुरेंट में मत आना। वो रोक के दिखाये! नहीं रोक पायेगा! आपको एक आलोचना चुभ गई! मेरी साधना, मेरा सात्विक प्रेम, मेरी अगाध श्रद्धा नहीं सूझी, न ही कद्र हुई! देश-विदेश के घूमे लोग, रईसजादे ही आपको छू सकते हैं, मैं सुदूर प्रांत का वासी 'एक लेबर-क्लास आदमी' जिसने लगातार 35 वर्षों तक आपके चरणों में श्रद्धा के फूल चढ़ाता रहा _अछूत हो गया!? भगवान् भी भक्त के बिना अधूरे हैं। आप भी पाठकों - प्रशंसकों के बिना अधूरे हैं। मेरी आराधना, मेरी भक्ति में कहाँ ऐसा खोट आपको दिखा जो मैं "अहसान" करने जैसा भौंडा काम कर रहा हूँ? मैं लगातार शरणागत होता गया और आप लगातार कोड़े बरसाते गए! क्यों!? मैंने आपके हाथ जोड़े, पैरों पड़े, क्षमा मांगी, नाक रगड़े, रोया, बिलबिलाया, गिड़गिड़ाया, प्रार्थना, विनती, स्तुति सभी किया। बदले में आपने क्या प्रसाद दिया!? _
"भगवान् बदल लो!" ('_ किसी दुसरे लेखक के उपन्यास में मन लगाइये!)
"वाह प्रभु!"
आपकी लीला आप ही जानें जो अपरमपार है! साहब, 'अब' आप बहुत बड़े आदमी बन चुके हैं। आपकी सलाहियात और पहुँच बड़ी है। मेरे पत्रों के 'गलत' प्रयोग से आप मुझ पर जो ज़ुल्म चाहें ढा सकते हैं। इसके लिए आप क्या करेंगे मुझे मत बताइये, बस बिजली की तरह टूट पदिये और मुझे मेरे परवार सहित नेस्तनाबूत कर दीजिये! आइये! मार डालिए!!

आपको अभिजात्य वर्ग से प्रेम हो गया है और गरीब-गुरबा आपके लिए मात्र subject बन गए हैं! मात्र सब्जेक्ट! जिस तरह से आपने मेरा तिरस्कार करते हुए थूका है, सिर-माथे मालिक! बहुत बड़ी शख्शियत और बहुत बड़ा व्यक्तित्व है आपका जिसके वजन के नीचे मैं कुचला गया! मेरा जीवन, मेरे गीत, मेरे संगीत, मेरा उत्साह, मेरा उल्लास सभी पर आपने घातक वार किया है। मिथ्या लांछन लगा कर के! बधाई! आपका 'एक प्यार भरा बोल' इसे (इस विध्वंस को) बचा सकता था, लेकिन खेद है, समृद्धि आपके सिर चढ़ गई, और आप नीचे गिर गए!

"पूर्वांचल सिल्वर सिटी" के ऊंचे "टावर वन" वाले बाबू साहब! ऊपर से नीचे देखने पर हरेक चीज़ और इंसान भी  छोटा ही दिखता है! अब आप खुद को ही खलनायक बनाकर उपन्यास पेश कीजिये जिसका हीरो सदैव हारेगा, मरेगा और शैतान की जीत होगी! अब भारत माता की गोद में नहीं किसी विदेशी ज़मीन में खुशबू खोजिये! क्योंकि भारत में अधर्म, अत्याचार, अनाचार और दुर्व्यवहार आप जैसे महामहिमामय लोगों के कारण कभी ख़त्म नहीं होगी। माता हमेशा रोती रहेगी। और आप अपने उन चमचों के साथ 'अमरीकसिंह काला बिल्ला' पीते रहें, जो आपको "साहित्यकार!", साहित्यकार! साहित्यकार! कहकर खुश करते रहते हैं! हंह: साहित्यकार! छेह:! लानत है!

इंसान की जब बेइज्जती होती है, तब यदि उसे उस कारण का पता चलता है तो उस 'कारण' से सम्बंधित वस्तु या व्यक्ति से उसे स्वतः घृणा हो जाती है और यह घृणा उसके शरीर के साथ प्राणांत तक हमसफ़र बनी रहती है। कभी-कभी इस घृणा को वो इंसान विरासत में बाँट भी जाता है। यही आपको हो गया है। घृणा का रोग! पता नहीं क्यों? और कब और कैसे? मेरे लिए पिता तुल्य भ्राता को मुझसे घृणा हो गई! विरक्ति हो गई! क्यों? जिस तरह बड़े सम्मान के साथ आपने मुझे धिक्कारा और दुत्कारा है वैसा कोई आवारा कुत्ते के साथ भी नहीं करता। मुझे झूठी जानकारी दी गई थी कि आप बड़े सीधे-सादे, सरल ह्रदय और अत्यंत ही -ग्रेट-, महान एवं दयालु व्यक्ति हैं। महान शब्द बड़ा व्यापक है। तक़रीबन 35 वर्षों की संगत को जो जिस निर्दयिता के साथ आपने रौंदा है वह इन बातों से सर्वथा भिन्न है। और सिद्ध हुआ कि मुझे भ्रमित किया गया था। आप अपने प्रशंसकों से बड़े प्रेम भाव से मिलते हैं; _यह बात तो आपने स्वयं ही खारिज कर दी। दरअसल मैं स्वयं ही भ्रमित हो गया था, किसी और को क्यों दोष दूं। मेरे निश्छल प्रेम को और मेरे हालात को आपने Emotinal Blackmail समझ लिया यह आपकी सबसे बड़ी, गलत धारणा और अनुमान है। बेशक, हाँ! मैं आपके उपन्यासों का प्रशंसक और दीवाना हूँ, अतः आप मेरे हीरो बन गए, और मैं आपके दर्शनों के लिए लालायित हो गया। आप किरदार गढ़ते हैं, आपके किरदारनिगारी की क्षमता कमाल की है और निःसंदेह आप भारत देश में हिंदी पल्प फिक्शन Crime / Thriler और मिस्ट्री के एक अकेले अलमबरदार और बेमिसाल रचयिता हैं और यह भी सत्य है कि आपके बाद यह छेत्र और हिंदी जासूसी / थ्रिलर की दुनिया सूनी हो जाएगी और हजारों-लाखों के आंसू कभी नहीं सूखेंगे। लेकिन साहब खेद है कि आपका मुझसे दुर्व्यवहार, मेरे व्यक्तित्व का गलत आकलन, और इधर हाल के आपके तीन पत्र यह सिद्ध करतें हैं कि बजातेखुद आप अपने किरदारों में से किसी एक के सामान भी नहीं हैं। महान तो बड़े दूर की बात है। कम से कम मेरा ये भरम तो टूटा! अब मुझे आपके दर्शन की कोई लालसा नहीं! मेरा जीवन "+" (plus)SMP Novels खूब सफल है; लेकिन आपका जीवन! "-"(minus) एक प्रशंसक, एक भक्त, _असफल है। "हर किसी की ज़िन्दगी में गम और ख़ुशी दोनों होतें हैं। इस संसार में सभी चीज़ें हमारे हाथ में हों यह मुमकिन नहीं है। हमारी कोशिश ये होनी चाहिए कि सभी हालातों को अपनाये और ज़िन्दगी में आगे बढे। हमें ये समझना जरुरी है कि इश्वर दर्द सहने की ताक़त सभी को नहीं देता।" __ये आप ही के शब्द हैं। 

उपन्यास 'तीसरा कौन' में आपका फोटो फीचर छपा था और श्री महेंद्र शर्मा, जो अपना नाम facebook पर Shrma Mahendra के नाम से उपस्थित हैं, का एक आर्टिकल छपा था। जिसे पढ़कर मैं आपका अकिंचन भक्त बन गया। जबकि आपके उपन्यासों का दीवाना मैं उससे भी कई वर्षों पहले से था। सभी ने आपकी सराहना की हैं। आपसे मिल चुके सभी लोगों ने आपकी तारीफ में शेरों-शायरी, कविताएं लिखकर आपका यशोगान किया है। पर मेरे साथ ऐसी बेरुखी का क्या कारण है, साहब? मेरी सोच, मेरे विचार मेरे साथ भांड में जाएँ आपको क्या!! आपने तो मुझे खारिज कर दिया। आपके प्रति मेरी असीम श्रद्धा का खुलासा आपको "अहसान"(!) दिखता है, मेरे दुःख, मेरी पीड़ा आपको इमोशनल ब्लैकमेल लगते हैं। मैं मिलने की रट छोड़ दूं, क्योंकि इसमें मेरा 'हित' है! मैं आपसे मिलने की रट लगाय रहूँ तो मेरा 'अहित' होगा, साहब!?क्या करेंगे_ पीटेंगे? या मुझे किसी अत्याचार के हवाले कर देंगे! पुलिसिया डंडे का मजा चाखावेंगे! या मेरी जान ले लेंगे!? मुझे तो अभी से खौफ हो रहा है,... इस धमकी का कारण मालिक!? 

मैंने आपकी प्राइवेसी में कब 'घात' लगाईं, साहब!? सिर्फ मिलने की पवित्र तमन्ना थी, जिसे यदि आप स्वीकार करते तो सारी दिल्ली में कहीं भी, किसी भी स्थान पर मुझे आने को कहते! मात्र ५-मिनट भी समय दे देते! आपका क्या बिगड़ जाता? _कुछ नहीं। लेकिन मेरा तो सब कुछ संवंर जाता! सिर्फ पता पूछना (आग्रह, निवेदन) आपकी "प्राइवेसी" में "घात" कैसे हुआ, साहब!? आप एक शानदार मेजबान हैं, पर मैंने कभी किसी तरह की कोई ऐसी बात कही जो मेरी ऐसी मंशा को रेखांकित करता हो कि यह किसी की प्राइवेसी में घात है? कोई लालच किया? क्यों इतने रुष्ट हो गए आप!?

यह आम चर्चा है, जो आपके हमप्याला-हमनिवाला खासुलखासों ने ही प्रचारित किया है, नाहक किया है, बड़ाई लूटने और शाबाशी बटोरने के वाहियात मनसूबे के साथ किया किया है जिसे वो तमगों की तरह चमकाते चले जा रहे हैं, उन्हीं ने ये बताया कि आप अपने प्रशंसकों को 'घर' आने को निमंत्रित करते हैं! वे प्रूफ भी देते हैं। फोटो भी झलकते हैं। और लेख भी लिखते हैं! और यूँ बधाईयाँ भी बटोरते हैं। जब सभी आपसे मिल सकते हैं तो मैं क्यों नहीं, साहब!? मुझमे क्या कमी या खराबी पाई आपने!? मैंने तो स्वयं ऐसे किसी भी बेहुदे प्रदर्शन से सदा, सर्वथा परहेज रखा! फिर प्रत्याशा में पूछकर मैंने ऐसा क्या किया जो आम प्रशंसक नहीं करता!? सर्फ पता पूछकर मिलने की, अपने प्रिय लेखक से मिलने का निवेदन "सिर पर सवार" होकर प्राइवेसी में 'घात' करना कैसे हुआ साहब!? मेरी आराधना में कहाँ खोट है साहब!? क्या यही कि उसे मैंने आप पर जाहिर किया? आपके लगातार बेरुखी से कोड़े की फटकार-सी जलन जैसी मार का क्या कारण है, साहब? सिर्फ इसलिए कि मैं बेबाकी से अपना बचाव कर रहा हूँ? मुझसे ऐसी क्या गलती हुई? मुझसे स्थापित २२-२४ वर्षीय प्रेमभाव की अचानक अकालमृत्यु की क्या वजह हुई, मालिक? क्या कर दिया है मैंने!? मैंने तो अपना सर्वस्व आपको अर्पण कर रखा है, मेरा मोबाइल नंबर, मेरा E.mail ID, मेरे घर का पता_? फोन करते क्यूँ नहीं?? आपके घर का पता और मोबाईल नंबर इतना ही सीक्रेट है तो उसे चंद लोगों में भी क्यूँ बांटा? बांटा तो 'आम' कैसे हो गया!? जानने के बावजूद भी क्या मैंने कोई बेजा हरक़त की?? कभी फोन लगाया?? कभी घर में घुसने की कोशिश की? कई मित्रों ने ऑफर दिया कि गुंडों के क्यूँ मुँह लगते हो, पाठक सर का पता और मोबाइल नंबर मुझसे ले लो। पर मैंने _मैंने स्वयं मना किया कि देना होगा तो 'सर' स्वयं देंगे। आपने दिया नहीं, मित्रों से न मैंने पूछा, न उनके बताये मैंने जाना। फिर आपके घर का पता 'आम' कैसे हो गया!? इसके बावजूद भी मैंने कोई बेजा हरक़त की जो 'प्राइवेसी' में 'घात' कहलाती हों!? आपका पता पूछकर आपके दर्शनों की इच्छा की प्रार्थना आपकी प्राइवेसी में -'घात-' कैसे हो गई? आप सीधे कहते कि श्रीकांत, तुम मेरे घर न आकर फलाना जगह पर मिलो; तो मैं मना कर सकता? _नहीं। सर के बल हाथों में फूल, और आँखों में आंसू लिए मैं हाजिर हो जाता। वह ५ पांच मिनट मुझे मेरे लिए पूरे जीवन का संबल बन जाता। पर आप मुझसे नहीं मिलना चाहते। "याद" करके संतोष को कहते हैं! क्यों साहब, जब सभी आपसे मिल सकते हैं तो मैं क्यों नहीं मिल सकता? बताओ न साहब! क्या गुनाह है मेरा? मेरी हंसी-ख़ुशी-उत्साह-उल्लास-उत्कर्ष को यूँ क़त्ल कर देने का आपकी इस बर्बरता का क्या कारण है? २२-२४ सालों के आपके और मेरे परस्पर प्रेम को किस कलमुंहे की नज़र लग गई, मालिक!? आपको नहीं पता आपके इश्क में मैंने क्या खोया, जानना भी नहीं चाहते! कितने बेरहम हैं आप! आपके प्यार में पागल, मुझे आपके मारे मेरी मुस्कान मर गई! _आपको कोई फर्क नहीं। आपके दीदार का दीवाना मैंने दुश्मनी और अपमान की परवाह नहीं की! _आपको कोई मतलब नहीं! आपके एक प्यार भरे हाथ के स्पर्श की लालसा में मैंने न जाने कितने बहुमूल्य पलों की आहूति दे दी! _आपको कोई परवाह नहीं! आपके सुखद सान्निध्य के लिए लालायित, तरसते मैंने आपके बुलावे को खुली आँखों से कई महीने, दिन, रात गंवा दिए! _आपको कोई सरोकार नहीं! सिर्फ चमचे-बेलचे ही आपको रास आते हैं। जो आपके मुँह पर आपका गुणगान करते हैं और सुन-सुनकर आप, पुलकित हो कर उनकी पीठ ठोकते हैं। सुनील पैदा कर सकते हैं, पर सुनील बनने की काबिलियत से महरूम हैं, रमाकांत तो बहुत दूर की बात है! जीतसिंह जैसे फकीरों की फकीरी को विषय बनाना शौक है! _पर गरीबों, फकीरों को अपनाना आपकी तौहीन है। विमल जैसे किरदार गढ़कर पैसे पीट सकते हैं, पर उसके जैसे उच्च विचार और आचरण से बिकुल उलट हैं_ एक पाखंडी हैं! आप नहीं जानना चाहते की मैंने क्या किया सो नहीं बताऊंगा, पर जो मैंने किया और जो गंवाया है, उसके खामियाजे और उलाहने से बचे बिना आप इस फानी दुनिया से रुखसत नहीं हो सकते। आपकी आखिरी सांस में भी आपके इस -खालिस प्रशंसक- के आकस्मिक मौत की हाय लगी होगी। और आपको कभी चैन नहीं मिलेगा। कभी-भी चैन नहीं मिलेगा!!

बंद कीजिये और करवाइये facebook का खेल-तमाशा, यदि नत्थी नहीं होकर गैरतमंद बने रहना चाहते हैं तो! ताकि सबको सबक मिले और आप सहित अन्य लोगों को भी थोडा सुकून मिल सके। कलम-दवातिए हैं तो वही बने रहिये इसी में सबका भला होगा। मैं एक चित्रकार हूँ। प्रकृति ने -Mother Nature - ने मुझे अपने इस आशीर्वाद से नवाजा है। मैंने सोचा था, निर्णय किया था कि 'सर' जब बुलाएँगे तब इनमे से कुछ पेंटिंग्स मैं आपको भेंट करूँगा। पर अब नहीं। क्योंकि आप स्वयं इतने सम्मानित और महिमामंडित हैं कि 'और' सम्मान की आपको जरूरत नहीं। आपने मुझे इस काबिल छोड़ा ही नहीं कि मैं आपको इनके काबिल समझने की हिम्मत भी कर सकूँ। आपने मुझे आपही के प्रति अच्छा बने रहने के काबिल नहीं छोड़ा!

अब जब हम एक-दुसरे के प्रति अच्छे नहीं रहे तो मेरे पास आपकी रचनाओं (उपन्यासों) [More than 200] का क्या काम!? ये सभी, जिसमे अभी तक एक पतितपावन खुदा की तरह आपका 'वास' था, _वीरान हो गए, खंडहर होकर आपको श्राप देते रहेंगे! और अब धिक्कर-दुत्कार-तिरस्कार-नफरत-हिकारत-घृणा और शाप तो इनके पन्ने-पन्ने आपको देंगे जो आपकी झूठी "प्राइवेसी" की भेंट चढ़ गए! मेरी आत्मा देगी। और वे लाखों प्रशंसकों की धारणाएं देंगी जिन्हें छलावे में रखकर आप अब तक बधाईयाँ और बड़ाईयाँ बटोरते आए हैं! आप एक ररूखे, Rude व्यवहार वाले, खुन्दकी व्यक्ति में तब्दील हो चुके हैं। समृद्धि ने आपको अपने प्रशंसकों से दूर कर दिया। शारीरिक अक्षमता के कारण आपको सुनने में कठिनाई हो गई है, लेकिन घमंड और पूर्वाग्रह में आप अंधे भी हो गए हैं! आप समझते हैं कि अब आपके पास खोने के लिए कुछ नहीं हैं, क्योंकि आपके राजसूय-यज्ञ का घोड़ा आपके अपने अंगने में ही घूम कर वापस आ गया है। लेकिन अभी-अभी आपने अपने प्रिय प्रशंसक भ्राता, एक भक्त, एक निर्दोष भाई को खोया है! चकाचौंध से बौराय हुए 'प्रभु' आपको न इसका भान है, न भय है।

आपकी प्राइवेसी आपको मुबारक। लेकिन जरा मालुम करने की कोशिश तो कीजिये कि किसने आपके , नोयडा का (फुल एड्रेस; जान बूझकर  यहाँ नहीं लिखा गया!) पता और आपका मोबाइल नंबर (जान बूझकर यहाँ नहीं लिखा गया) को प्रकाशित कर दिया!!? मेरा दावा है कि इन्टरनेट पर यह किसी अति-उत्साही आपके हमप्याला, हमनिवाला ने ही यह "अत्यंत गोपनीय" बात 'पब्लिक' कर दी! जबतक वो इसे हटाता, यह कई-कई लोगों में शेयर हो गया। लेकिन फिर भी मैंने इसे किसी के साथ न शेयर किया, न बताया, न बताऊंगा! न मैंने आपके मोबाइल पर फोन लगाया, न आपके घर आया, ना अब आ सकूँगा। अब आप घर बदलिए, मोबाइल नंबर बदलिए, या अपना कलेजा भून कर खाइये, आपकी मर्जी। न आप लिजेंड हैं, न आप खुदा हैं। न ही आप इबादत और आराधना के लायक हैं। आपने मुझे जिस कदर से नीचा दिखाया है और मेरी श्रद्धा को लात मारी है, उसके आगे इस पत्र में अंकित मेरी भड़ास कहीं नहीं ठहरती। फिरभी _अंतिम प्रणाम!

मैं जिस दुनिया में जा रहा हूँ वहाँ खंडहर हो चुकी आपकी खोखरी वाणी युक्त, समस्त उपन्यास भी जा रहे हैं। यही मेरे सच्चे मित्र, सखी-सहेली, और यार हैं जो एक साथ नया जनम लेकर नए सिरे से आपको अगले जनम में भी कोसते रहेंगे। श्रीकांत के परिवार और बच्चों और इस गरीब की हाय से बचना, मालको!

अब चैन से रहिये!  
पत्रोत्तर मत दीजियेगा।

मैं अपने स्वर्गीय बाबूजी की शरण लेता हूँ, जिनका ह्रदय इतना विशाल है की शायद वो आपको उनके पुत्र की आपके दिए तकलीफों, दुःख और खून को भी माफ़ कर देंगे। मैं बाबूजी से कहूँगा कि वे आपको कुछ न कहें।

अब मैं आपको स्याही का एक कतरा भी नहीं दूंगा।

समाप्त.

PS: घर का पता आम होते हुए भी, मेरी जानकारी के बावजूद, यह पत्र आपके पोस्ट बॉक्स पर ही भेजा जाता है। ताकि "प्राइवेसी" में -घात- न हो!

--इति--
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मैं मौजूद हूँ! अपने कर्तव्य के लिए! अपनी जिम्मेवारियों के लिए! अपने प्यारे परिवार के लिए! तब तक , जब तक मैं खुद न चाहूं कि चला जाऊं! 'इस' वाहियात शख्श के लिए तो एक कुत्ता भी अपनी जान नहीं देगा! मैं तो खुद 'बाबूजी' हूँ! मैं इस कृतघ्न से इतनी नफरत नहीं करता, जितना मैं अपने परिवार से मुहब्बत करता हूँ!

Friday, March 15, 2013

SIDNEY SHELDON

SIDNEY SHELDON की रचना, उपन्यास The Stars Shine Down मेरे ऑफिस में एक और उपन्यास के साथ रखा हुआ था! उपन्यास पढ़ाकू होने की वजह से उठाना, जांचना, उत्सुक होना और भी बहुत कुछ होना लाजिमी था सो हुआ और वह सब काम बिना कुछ पूछ-ताछ के सबसे पहले कर लिया गया! फिर मैंने पूछ-ताछ की तो पता चला कि स्वर्गीय किशोर बाबू के घर की, दीपावली (2010) की साफ़-सफाई चल रही थी जिसमे इन्हें कूड़े में फेंकने का आदेश था। भरत मामा मेरे उपन्यास के शौक से भली-भाँति परिचित होने के कारण मेरे पढने के लिए, _नहीं फेंक कर, ले आये थे, जिनमे से एक यह उपन्यास था! दोस्तों पूरी कथा बोरिंग लगेगी! मैंने  SIDNEY SHELDON के बारे में इन्टरनेट पर पड़ताल की! WIKIPEDIYA पर Crime fiction,/ Thriller लिखा देखते ही पढ़ाई शुरू हो गई! (दूसरा नोवेल,पता नहीं क्या था, पर नोवेल नहीं था।) SIDNEY SHELDON की यह किताब The Stars Shine Down (घर में भी दीपावली की सफाई चल रही थी, सो), मैंने पूरे घर में घूम-घूम कर जगह तलाश कर-कर के दिन-रात मिलाकर इसे तीन दिनों में पढ़ डाला! मुझे इंग्लिश का इतना ही ज्ञान है की थोड़ी डिक्शनरी की सहायता से वाक्यों को मेहनत से समझने की कोशिश करता हूँ! लिखने और बोलने में बिलकुल असमर्थ हूँ! -कृपया इसे मानियेगा! इस अधकचरे, कम इंग्लिश जानने वाले मुझे जैसे शख्श की इस रूचि से आप अवश्य सहमत होंगे कि कथानक जरूर मजेदार था वरना:-'दुर्र, फिटे मूं!' कौन इतना माथामारी करे! _साहब! मैं SIDNEY SHELDON के लेखनी का ऐसा सैदाई हुआ कि मैंने उनके और दुसरे उपन्यास मंगवाने शुरू कर दिए। और 2011 में `मई तक मैंने सभी पढ़ डाले! The Stars Shine Down एक पूरा जीवन है! संघर्षमय जीवन! जीतने के लत्त की ज़द्दोजहद! कुछ बनने, कुछ कर दिखाने के जूनून की अत्यंत भावप्रवण कहानी जिसमे छोटे से कस्बे में जूठन मांजने वाली एक बच्ची दुनिया की सबसे अमीर, सबसे बड़ी बिल्डर बनती है! इसमें रहस्य-रोमांच भी है! रहस्यमय हत्या भी! एक बार आप पढना शुरू करेंगे तो पूरा पढ़े बिना नहीं मानेंगे।

 : "IF TOMORROW COMES" पढ़िए! बहुत ही रोचक थ्रिलर है! इस कहानी में मजबूरन ठगी को अपनाने को विवश हुई एक सताई हुई सुंदर लड़की की कहानी है, जिसे एक ठग का साथ यूँ मिलता है कि एक दुसरे को पसंद करने के बावजूद ये एक दुसरे को छकाने और मात देने में ज्यादा रूचि लेते हैं! इसमें कहानी की हिरोइन द्वारा एक ऐसी ठगी को लिखा गया है जो आपको सुरेन्द्र मोहन पाठक द्वारा रचित विकास गुप्ता, 'ठग शिरोमणि' की जोरदार याद दिलाएगा और आप ये मानने को विवश हो जायेंगे कि 'विकास गुप्ता' का उपन्यास :"बारह सवाल" में रचित यह ठगी की घटना सिर्फ किरदारों, स्थान और वेष-भूषा में थोड़ी बहुत चेंज के अलावे पूरी ठगी की घटना शब्दशः एक दुसरे की कॉपी लगेगी! नक़ल शब्द से दुःख हो तो प्रेरणा कह लीजिये! एक-दुसरे से प्रेरित कह लीजिये! लेकिन इस नायब कथानक को दोनों उपन्यासों में इस ख़ास एक प्रसंग में पूरी समानता होने बावजूद मजा बना रहता है! और मनोरंजन ही यहाँ मकसद है। यह ठगी की घटना है : > एक बेशकीमती हीरा/नगीना/नग/पत्थल/मोती (ज्वेलर सर जी जो नाम कहें) को एक सेठ से खरीद कर '_वही डायमंड' उसी सेठ को (SIDNEY SHELDON की किताब "IF TOMORROW COMES"में ज्वेल्लेरी शॉप के इंचार्ज को, कहानी की हिरोइन के द्वारा--अकेले!!!) तीगुने-चौगुने दाम पर बेच देना! ज्वेलेर का लालच के हवाले होकर अति-व्यग्र होकर उस डायमंड को खरीद लेना और ठगा जाना! मनोरंजक लगता है। और भी कई ऐसी अनूठी ठगी जो आप चाहेंगे की कामयाब हो, उसे पूर्ण होता पाकर आपको आनंद आएगा! उपन्यास में गन्दगी जैसी कोई बात नहीं, जबकि SIDNEY SHELDON की सभी अन्य किताबों में निहित खुला सेक्स इसे किसी के साथ, खासकर घर के सदस्यों के साथ शेयर करने में दिल दहलता है! यहाँ भी वही हाल है। "IF TOMORROW COMES" पढ़िए! इसमें कोई भारी गन्दगी नहीं है, विशुद्ध मनोरंजन है, रोमांचक है! पूरा उपन्यास आपको पन्ने पलटने, पलटते चले जाने को विवश कर देगा! जिन्होंने पढ़ा है, वे अवश्य सहमत होंगे! खालिस मनोरंजन!

SIDNEY SHELDON की रचना, उपन्यास :"ARE YOU AFRAID OF THE DARK" पढ़िए!! Kelly Harris और Diane Stevens नामक दो विधवा नौजवान महिलाओं की अत्यंत ही रोमांचक कहानी है! इस उपन्यास का (भी) एक प्रसंग एसएमपी सर के उपन्यास (विमल सिरीज़) "कर्मयोद्धा" की याद दिलाएगी! Kelly Harris और Diane Stevens को जान का खतरा है! उनके पीछे दुनिया का माना हुआ वैज्ञानिक, खतरनाक वैज्ञानिक है, जो नहीं चाहता कि ये दोनों विधवा जिंदा रहें, पड़ा हुआ है! ये दोनों औरतें बहुत ही समझदार, धर्यवान पर व्याकुल और कभी अबला, तो कभी स्मार्ट, चपल-चालाक और बुद्धिमान हैं! इनके पति भी वैज्ञानिक थे और दुनिया के सबसे बड़े INTERNATIONAL THINK TANK माने जाने वाली रिसर्च संस्थान KIG (Kingsley International Group) के लिए किसी ऐसे इजाद में शामिल थे जिसकी एक रिसर्च और 'Nano Technology' से डेवलॉप एक सनसनीखेज रहस्य को जान जाते हैं, जिसके वजह से उनके जैसे और दो इंसान क़त्ल कर दिए जाते हैं! इस ग्रुप का मुखिया है एक होनहार, काबिल, स्मार्ट, अति-माहत्वाकान्छी, कामयाब, अरबपति वैज्ञानिक Tanner Kingsley! और  भाई! जो कैसे और क्यूँ Tanner Kingsley से ज्यादा काबिल और KIG के संस्थापक से एकबाएक बिलकुल नीम पागल-सा, गावदी हो जाता है?? मानवीय भावनाओं को भिगोती इन दुखी लड़कियों से सहानुभूति आपको द्रवित करेगी, और आप इनकी जीत के लिए दुआ कर उठेंगे! ये बेसहारी लड़कियां सिर्फ इसलिए जोखिम में पड़ जातीं हैं, जो सिर्फ ये जानने को व्याकुल थीं कि आखिर उनके पति(यों) की अचानक, घातक, एक्सीडेंटल, रहस्यमय, असामयिक, अचनाक मौत का क्या कारण है? उनकी जिज्ञासा ही उनकी दुश्मन बन जाती है, उन पर हमेशा एक जानलेवा हमलावर (असासिन) की नज़र है! लोमहर्षक रफ़्तार से घटती जान-जोखिम के बीच Kelly Harris और Diane Stevens अपने पीछे लगे हत्यारे को छकाने के लिए जो ड्रामा करतीं हैं वो हू-ब-हू -कर्मयोद्धा- के "मोहिनी सपरे" की याद दिलाता है, जो होटल सी-व्यू के मैजूदा सिक्योरिटी चीफ 'तिलक मारवाड़े' की गर्लफ्रेंड होती है, दफेदार मोहिनी के मार्फ़त मारवाड़े पर वार करने के लिए अपने गुर्गे मोहिनी के पीछे लगाता है तो कई बार की होशियारी के बावजूद एक बार वो फंसती है! जान बचाने के लिए वो अपनी बारबाला सहेली की सहायता से भागती है, सड़क पर भी सेम-टू-सेम ड्रामा होता है जिसमे एक ट्रैफिक हवलदार की दखल से वे बचती है! फिर उनकी कार का पीछा किया जाता है, तब मोहिनी की सहेली यहाँ Kelly Harris है, और मोहिनी Diane Stevens! :"ARE YOU AFRAID OF THE DARK" इन दोनों लड़कियों की बहुत ही रोमांचक कहानी है, जिसे ऐसे लेखक ने लिखा है जिनका हर उपन्यास अलग-अलग एहसास दिलाने वाला है! :"ARE YOU AFRAID OF THE DARK" इसे जरूर पढ़िए! 2007 में SIDNEY SHELDON के निधन से दुनिया के एक बेहतरीन STORYTELLER, उपन्यासकार की कमी हमेशा खलेगी! इस उपन्यास में अपनी और किताबों से अलग, अपने मूड से अलग, एक शताब्दी की कहानी कहने की ख़ास शैली जो अति-मनभावन है!...से अलग, :"ARE YOU AFRAID OF THE DARK" आपको  SIDNEY SHELDON की हरेक किताब को पढ़ डालने को विवश करेगी!

SIDNEY SHELDON की कहानियाँ किसी ख़ास सिरीज़ की कहानी नहीं हैं! इसके किरदार, और घटनास्थल विषवत-रेखा के आर-पार और कई महाद्वीपों की सैर कराती हैं! (भैया माफ़ कीजियेगा, सेक्स का मिश्रण सहना पड़ेगा!,) कहानी और SIDNEY SHELDON की लेखनी का जादू सिर चढ़कर बोलता है! सिर्फ सस्पेंस, और थ्रिल से मतलब रखने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के किरदारों, स्थानों और रोमांचित कर देने वाले घटनाक्रम के साथ-साथ घनघोर गरीबी, फकीरी में भी बहादुरी से जिंदा रहने की ज़द्दोज़हद और जीतने और जीतते रहने की जिद्द और उसके लिए हुनरमंद बनने की उत्साहवर्धक मिसालें जान कर, पढ़कर लोमहर्षक अनुभूति के लिए, और जीत की ख़ुशी को सेलेब्रेट करना, वर्ल्ड-वाइड शानदार अभिजात्यवर्ग, ग्लैमर & गोलरी की दुनिया, शानदार-शानदार रेस्टुरेंट्स के लज़ीज़ से लज़ीज़ भोजन और पेय पदार्थों के अहसास के आनंद के लिए, विश्वप्रसिद्ध ख्यात-कुख्यात व्यक्तित्वों के साथ जांबाजी के मजे के लिए, निर्मल, कोमल, दयालु और द्रवित कर देने वाली पुलकित कर देने वाली मानवीय भावनाओं में बहने के लिए, रामंचक प्रेम-कहानियोँ के साथ जानलेवा षड्यंत्र, कपटी किरदारों के चरित्र चित्रण, उनके अंजाम से रोमांचित होने के लिए, उदास होने से लेकर उत्साहित और उल्लासित होने के लिए, सफ़र में एक हमसफ़र के साथ के लिए शानदार टाइम-पास से कुछ ज्यादा मजेदार के लिए:SIDNEY SHELDON की सभी उपन्यास कमाल के हैं! कमाल के हैं! खेद हैं कि इस शानदार पल्प फिक्शन के रचयिता आज इस दुनिया में अपने प्रशंसको से बहुत दूर जा चुके हैं!

Writer
Sidney Sheldon was an Academy Award-winning American writer. His TV works spanned a 20-year period during which he created The Patty Duke Show, I Dream of Jeannie and Hart to Hart, but he became most ... Wikipedia
Born: February 11, 1917, Chicago
Died: January 30, 2007, Rancho Mirage
Awards: Tony Award for Best Musical, More
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संलग्न पुस्तकों को फोटो मेरे पास मौजूद SIDNEY SHELDON की किताबों का संग्रह है! SEX के समावेश के कारण मैं इन रचनाओं को "A" करार देता हूँ!

Novels
  • The Naked Face (1970)<:एक डॉक्टर की कहानी जो एक हत्या का प्राइम सस्पेक्ट है, खतरनाक माफिया जिसकी जान के दुश्मन हैं !
  • The Other Side of Midnight (1973)<:NOELLE PAGE & CATHERINE की कहानी। एक खूबसूरत फ्रेंच अभिनेत्री की दास्तान, कभी देवी, कभी रहस्यमय रमणी, कभी घातक षड्यंत्रकारी! एक रईस, जिद्दी ग्रीक ताइकून, एक भारी-भरकम रोबीला -खतरनाक किरदार : Constantin Demiris की दास्ता! _NOELLE PAGE की कहानी आप कभी नहीं भूल पायेंगे!
  • A Stranger in the Mirror (1976)<:TOBBY TEMPLE की कहानी जो विश्व का सबसे बड़ा कॉमेडियन बनना चाहता है! JILL CASTLE की द्रवित करने वाली दास्तान! {लेकिन ...SEX की बहुलता के कारण मुझे इससे ऐतराज है!}
  • Bloodline (1977)<:बहुत बढियां! बहुत बढियां! एक विश्प्रसिद्ध दवा निर्माता कंपनी के भीतर सत्ता के लिए षड्यंत्र! कहानी की हिरोइन से आपको प्यार हो जाएगा! इस कंपनी के साथापक पहले मालिक की कहानी आपको भाव-विह्वल करेगी, रोमांचित करेगी!
  • Rage of Angels (1980)<:शानदार कोर्टरूम ड्रामा! पढ़ लीजिये! बहुत बढियां है! भावुकता के साथ रोमांच, अंत तक रोचक! माफिया के रंग में रंगा ...!
  • Master of the Game (1982)<:SIDNEY SHELDON की सबसे मशहूर किताब! एक शताब्दी की गाथा! जीवन संघर्ष! तीन पीढ़ियों तक राज करने वाली विश्वप्रसिद्ध महिला उद्योगपति "KATE, Kathrine BLACKWELL की रोमांचक जीवन यात्रा! उसके पिता Jamie McGregor की न भूलने वाली जबरदस्त कहानी!
  • If Tomorrow Comes (1985)<: ऊपर वर्णित है! फिर कहूँगा: अवश्य पढ़िए!
  • Windmills of the Gods (1987)<:एक साधारण गृहस्थ, महिला शिक्षक MARY ASHLEY के पति की रहस्यमय हत्या के बाद `अचानक प्रेजिडेंट ऑफ़ USA द्वारा उसे राजदूत बनाकर Iron Curtain Country रोमानिया के खतरनाक माहौल में भेज दिया जाता है, जिसके पीछे दुनिया का सबसे खतरनाक रहस्यमय कातिल उसकी हत्या के लिए लगा दिया गया है!...उसके मासूम बच्चे हैं!...क्या होता है?.......अत्यंत ही लोमहर्षक Espionage कथा! पढ़ ही लीजिये!
  • The Sands of Time (1988)<:चार Catholic Nuns की कहानी! बहुत मजेदार! स्पेन की सैर के साथ बागी हीरो Jaime Miro के साथ एडवेंचर का मज़ा, जो तानाशाही मिलिट्री के खिलाफ जंग छेड़े हुए है!
  • Memories of Midnight (1990)The Other Side of Midnight का सीक्वल : जरूर पढ़ें!
  • The Doomsday Conspiracy (1991)साइंस फिक्शन! एलिएन!! Espionage कथा! पढ़ ही लीजिये!
  • The Stars Shine Down (1992)<:ऊपर वर्णित है! इसी ने मुझे समूचा (SIDNEY SHELDON)को पढने को प्रेरित किया!
  • Nothing Lasts Forever (1994)<:ओहो! इसे जरूर पढ़िए! इसे पढने के बाद मुझे खुद से कुढ़न हुई कि मैं डॉक्टर नहीं हूँ! हस्पताल का जीवन! मरीजों, बीमारियों से लडती तीन महिला डॉक्टर्स की भाव-भीनी कहानी! जिसमे एक सहेली की अस्वाभाविक मौत को हत्या सिद्ध कर कातिल की तलाश में महिला डॉक्टर Page Taylor के संघर्ष की कहानी!
  • Morning, Noon and Night (1995)<:wOw !! बस! (बे-झिझक अभी पढ़िए!) :wOw !!
  • The Best Laid Plans (1997)LESLIE STEWART, एक महत्वाकान्छी महिला पत्रकार की प्रेम कहानी, जो एक तरफ़ा हो जाने के कारण कई जानलेवा षड्यंत्र का कारण बन जातीं हैं! OLIVE RUSSEL, एक होनहार नौजवान जिसमे देशप्रेम का ज़ज्बा है लेकिन भ्रष्ट राजनीति उसे USA का PRESIDENT तो बना देती है, लेकिन किसी के हाथ खिलौना है, मुक्ति चाहता है! DANA EVANS, जो एक साधारण पत्रकार से सबसे बड़े टीवी चैनल की संघर्षरत न्यूज़ एंकर बनती है, लेकिन युद्ध छेत्र से live ब्रोडकास्टिंग उसे सफल और सेलेब्रेटी बना देती है! युद्धछेत्र में ही अनाथ, एक लूला बच्चा KEMAL, उसे मिलता है, जिसका एक हाथ धमाके में उड़ चूका है! लगातार प्रेसिडेन्ट के खिलाफ षड्यंत्र, रहसयमयी हत्याएं! आपको दूसरी बात सोचने की फुर्सत नहीं देगी!
  • Tell Me Your Dreams (1998)<:एक मनोवैज्ञानिक रहस्य कथा, जिसमे Brutal हत्या की अपराधी एक मानसिक रोगी लड़की है, गिरफ्तार होती है! मुक़दमा चलता है! पागलखाने भेज दी जाती है! डॉक्टर पाते हैं की वह दोहरी व्यक्तित्व को जी रही है, उसपर जब दूसरी व्यक्तित्व के प्रभाव का दौरा पड़ता है वह एक रक्त पिपासु-सी हो जाती है! पूरे उपन्यास के सफ़र करते जब आप अंत तक पहुंचेंगे,...सन्न रह जायेंगे! या जानकार की वह ऐसी रोगी क्योंकर बन गई?
  • The Sky Is Falling (2001)The Best Laid Plans का सीक्वल! DANA EVANS लीड रोल में ! साइबेरिया में भूमिगत रहस्यमय दुनिया! जमीन के नीचे ........! न्यूक्लियर पॉवर! प्लूटोनियम! मर्डर! मर्डर! मर्डर! तहकीकात! और बहादुर (लूला) बच्चा KEMAL! शानदार कथानक! एक बैठक -जो मेरे लिए चार दिन की हुई- में पठनीय! ....WoW! wOw !!
  • Are You Afraid of the Dark? (2004)<:ऊपर वर्णित है! इस उपन्यास को पढ़ लीजिये!
अब तक सभी को तीन-तीन बार रिपीट कर चूका हूँ!

एक विनम्र निवेदन मैं कोई भी उपन्यास सिर्फ और सिर्फ मनोरंजन के लिए पढता हूँ, कोई एग्जाम पास करने के लिए नहीं! मैं सीमित बुद्धि का आदमी हूँ! इसलिए कोई क्विज खेलने का भी ख्वाहिशमंद नहीं हूँ! अंग्रेजी नहीं जानने का अफ़सोस है! फिर भी पढता हूँ, क्योंकि एक खूंटे से बंधा रह कर मैं किताबों की दुनिया को कभी नहीं देख पाऊंगा! मुझे कहानी समझ में आ जाती है, बस यही काफी है! आप से अनुरोध है की कोई प्रेरक किताब पढने के लिए अपनी जानकारी से भी अवगत करायेंगे! अभी मेरे पास बहुत सी किताबें और हैं जिसकी जानकारी अब अगले ...अगली बार।
 सादर नमस्कार!
 विनयावनत,
_श्री .