हैं समस्या बेटे गर, समाधान है बेटियाँ!
तपती धुप में जैसे, ठंडी छाँव हैं बेटियाँ !!
होकर भी धन पराया, है सच्चा धन अपना,
दिखावे की दुनियां में, गुप्तदान हैं बेटियाँ!!
अपनी बदहाली की, कीं सबने बहुत चर्चाएँ!
हैं ढापति कमियों को, मेहरबान हैं बेटियाँ!!
तनाव भरी गृहस्थी में, है चारों ओर तनाव!
व्यंग्यबाणों के बीच, जैसे ढाल हैं बेटियाँ!!
हैं दूर वे हम सबसे, है फिक्र उन्हें हमारी!
करतीं दुआयें हरदम, खैरख्वाह हैं बेटियाँ!!
है बेटा कुलदीपक, घर ये रौशन जिससे,
दो घर जिनसे रौशन, आफताब हैं बेटियाँ!!
हैं लोग वे ज़ल्लाद, जो ख़त्म उन्हें हैं करते!
टिका जिनपे परिवार, वह बुनियाद हैं बेटियाँ!!
मांगतीं हैं मन्नत, बेटों की खातिर दुनिया!
श्रीकांत की नज़र में, महान हैं देश की बेटियाँ!!
(सड़क पर गिर हुआ प्लास्टिक बैग/चिरकुट मिला जिसपर लिखी यह इबारतें छपीं थीं! न जाने किस महान आत्मा की यह रचना है जो आज मेरे काम आई!)
_श्री .
तपती धुप में जैसे, ठंडी छाँव हैं बेटियाँ !!
होकर भी धन पराया, है सच्चा धन अपना,
दिखावे की दुनियां में, गुप्तदान हैं बेटियाँ!!
अपनी बदहाली की, कीं सबने बहुत चर्चाएँ!
हैं ढापति कमियों को, मेहरबान हैं बेटियाँ!!
तनाव भरी गृहस्थी में, है चारों ओर तनाव!
व्यंग्यबाणों के बीच, जैसे ढाल हैं बेटियाँ!!
हैं दूर वे हम सबसे, है फिक्र उन्हें हमारी!
करतीं दुआयें हरदम, खैरख्वाह हैं बेटियाँ!!
है बेटा कुलदीपक, घर ये रौशन जिससे,
दो घर जिनसे रौशन, आफताब हैं बेटियाँ!!
हैं लोग वे ज़ल्लाद, जो ख़त्म उन्हें हैं करते!
टिका जिनपे परिवार, वह बुनियाद हैं बेटियाँ!!
मांगतीं हैं मन्नत, बेटों की खातिर दुनिया!
श्रीकांत की नज़र में, महान हैं देश की बेटियाँ!!
(सड़क पर गिर हुआ प्लास्टिक बैग/चिरकुट मिला जिसपर लिखी यह इबारतें छपीं थीं! न जाने किस महान आत्मा की यह रचना है जो आज मेरे काम आई!)
_श्री .