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Monday, April 8, 2013

THE SECRET OF THE NAGAS [SHIVA TRILOGY part-II, by Amish] (3)

THE SECRET OF THE NAGAS [SHIVA TRILOGY part-ll] यह किसी भी तरह से इस अनुपम,सर्वोत्कृष्ट और असाधारण महागाथा की 'लघु कथा' (3) नहीं है! सिर्फ उपसंहार सहित एक विनीत नेवेदन है >>>

इस उपन्यास के पिछले (2)विश्लेष्ण के वक़्त, कथानक के प्रवाह के साथ मैं इतने प्रश्नों से घिर गया था जितना कभी किसी भी तरह के काल्पनिक रहस्य कथाओं के नहीं हुआ था! पिछले लेख को जहाँ मैंने भन्नाते माथे के साथ छोड़ा था वह बिलकुल ठीक था! क्योंकि उससे आगे की कथा इतनी सुदृढ़, चकित कर देने वाली और सशक्त है कि किसी भी तरह से किसी भी विश्लेषण की आकांक्षा नहीं रखती अतः ऐसा करना; एक महान रचना के प्रति (एक अवांछित) धृष्टता कहलाएगी!  इस किताब, इस विषय के बारे में और कुछ कहना नए पाठकों का मज़ा ख़राब करना होगा! सिर्फ एक विनम्र निवेदन है, अपने देश की महानतम संस्कृति की खातिर एक बार इस "शिव-त्रय" को अवश्य पढ़ें!  जिन्हें आध्यात्म में रूचि है और बचपन से लेकर आज तक कॉमिक्स से लेकर 'शिव पुराण' तक आपने भगवन शंकर की जितनी लीलाएं पढ़ीं, देखीं, सुनी है उन सबका एक तरह से रिफ्रेशमेंट कोर्स पूरा हो जाएगा! ...शायद कुछ ज्ञान वर्धन भी हो!

मैं सिर्फ इतना ही निवेदन करूँगा कि मैंने इस किताब (2nd-part _English Version) को पूरा पढ़ लिया! पढने के बाद जहाँ खुश हूँ उससे ज्यादा कहीं ज्यादा 'उत्कंठा के मारे', उत्तेजित हूँ! मेरे पिछले कथन के बाद ...आगे बढ़ते ही रहस्य की परतें खुलने लगतीं हैं! लेकिन सुकून मिलने की जगह सस्पेंस और बढ़ता ही जाता है - बढ़ता ही जाता है!! हर रस्योद्घाटन, जो सवाल या रहस्य उपन्यास के पहले भाग THE IMMORTALS OF MELUHA (SHIVA TRILOGY part-I) से ही खड़े हुए हैं,  PART-II उन सबका जबाब है! जिसे पढ़कर आप अपनी-अपनी अवस्था और विचार के मुताबिक मंत्रमुग्ध होंगे, भावविभोर होंगे, चमत्कृत होंगे, हसेंगे, आंसुओं से आँखे भी भीगेंगी, दिल की धड़कन बेकाबू होगी, शेष दुनिया के लिए (..संभवतः) गूंगे-बहरे हो जायेंगे, हर्ष और उल्लास के साथ-साथ कभी गुस्से से खून भी खौलेगा, नए-नए किरदारों का आगमन, उनके नाम, उनके कर्म, उनकी उपस्थिति, उनके साथ बीतती घटनाएं, आपको किताब से अलग नहीं होने देंगी! ...उमा, माया, परशुराम, काली, कार्तिक, गणेश.....

और सबसे बड़ी बात, _सभी सवालों के जबाब मिल जाने के बवजूद इतने नए सवाल अचानक हमला बोलेंगे कि झेला नहीं जाएगा!  जरा एक झलक देखिये : (किन्ही के पास है और पढ़ चुके हैं तो भी एक बार Page No. 373 की इन लाइनों को पढ़िए)>>>
`Enough!' shouted Shiva. `Don't any of you get what really happened?` The Neelkanth turned towards Nandi and Kartik, `Take a hundred men and go down river. See if there are any survivors from the enemy ships. I want to know who they were.`
Nandi and Kartik left immediately. Shiva looked at the people around him, seething, `We were all betrayed. Whoever was firing those arrows was not picking and choosing targets, They wanted us all dead.`
`But now did they come up the Godawari? asked Kali.
Shiva glared at her. `How the hell should I know? Most people here didn't even know this river wasn't Narmada!`
`It has to be the Nagas, My Lord`, said Bhagirth. `They cannot be trusted!`
`Sure!` said Shiva, sarcastically. `The nagas sprung this trap to kill their own Queen. And then Ganesh led a counterattack on his own people and blew them up with daivi astras. If he had daivi astras and wanted to us dead, why didn't he just use the weapons on us?`
Pin-drop silence.
`I think the astras were meant to destroy Panchavati. They planned to slaughter us easily from their ships and then sail up to the Nagas capitol and destroy it as well. What they didn't bet on was the Naga wariness and extensive security measures, including the devil bosts. That saved us.`
What the Neelkanth was saying made sense. Ganesh thanked Bhoomidevi silently that the Naga Rajya Sabha had agreed to his proposal of arming the banks of the Godavari outpost with devil boats for any such eventuality.
`Someone wants us all dead,` sais Shiva. `Someone powerful enough to get such a large arsenal of daivi astras. Someone who knows about the existence of such a huge river in the South and has the ability to identify its sea route. Someone resourceful enough to get a fleet of ships with enough soldiers to attack us. Who is that person? That is the question.`  
_______अब आप खुद सोचिये इतने लम्बे कथानक में जहाँ समस्त उत्तर मिल गए-से आभास होते है वह इस वक्तव्य पर आकर एक "TURN" लेता है; जिसका उत्तर Amish की SHIVA TRILOGY का तीसरा भाग देगा, तो आप उसे बिना पढ़े रह पायेंगे, तब, _जब वो आपके हाथों में और नज़रों के सामने आपके हवाले हो?_नहीं न!?
फिर तीसरे उपन्यास के नाम पर भी तो गौर फरमाइए वायु पुत्रों की शपथ! वायु पुत्र= हनुमानजी!
जय बजरंग बलि! तोड़ दुश्मन की नली!
तो, फिर नमस्कार!
मैंने THE OATH OF THE VAAYUPUTRAS (3rd & Last part of AMISH'S SHIVA TRILOGY) पढना शुरू कर दिया है .....
विनयावनत,
_श्री .