माँ
माँ संवेदना है, भावना है, अहसास है माँ
माँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास है माँ
माँ रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है माँ
माँ मौस्थल में नदी या मीठा सा झरना है माँ
माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है माँ
माँ पूजा की थाली है मन्त्रों का जाप है माँ
माँ आँखों का सिसकता हुआ किनारा है माँ
माँ गालों पर पप्पी है, ममता की धरा है माँ
माँ झुलसते दिनों में कोयल कि बोली है माँ
माँ मेहंदी है, कुमकुम है, सिन्दूर की रोली है माँ
माँ कलम है, दवात है, स्याही है माँ
माँ परमात्मा की स्वयं एक गवाही है माँ
माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है माँ
माँ फूँक से ठंढा किया कलेवा है माँ
माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवं है माँ
माँ ज़िन्दगी है, मोहल्ले में आत्मा का भवन है माँ
माँ चूड़ी वाले हाथों पे मजबूत कंधों का नाम है माँ
माँ काशी है, काबा है, चारों धाम है माँ
माँ चिंता है, याद है, हिचकी है माँ
माँ बच्चे कि चोट पर सिसकी है माँ
माँ चूल्हा, धुंवाँ, रोटी और हाथों की छाला है माँ
माँ ज़िन्दगी की कडुवाहट में अमृत का प्याला है माँ
माँ पृथ्वी है, जगत है, धुरि है माँ
माँ बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है माँ
तो माँ कि यह व्यथा अनादि है, अध्याय नहीं है,
और माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है
तो माँ का महत्त्व दुनियाँ में कम हो नहीं सकता
औ, माँ जैसा दुनियाँ में कोई हो नहीं सकता
तो मैं 'तेजवंती-कला' की पंक्तियाँ माँ के नाम करता हूँ
मैं दुनियाँ की सब माताओं को प्रणाम करता हूँ
पिता
पिता जीवन है, संबल है, शक्ति है
पिता सृष्टि के नाम कि अभिव्यक्ति है
पिता ऊँगली पकड़े बच्चे का सहारा है
पिता कभी कुछ खट्टा, कभी खारा है
पिता पालन है, पोषण है, परिवार का अनुशासन है
पिता धौंस से चलने वाला प्रेम का प्रशासन है
पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है
पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आसमान है
पिता "अप्रदर्शित" अनंत प्यार है
पिता है तो बच्चों को इन्तजार है
पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने हैं
पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने हैं
पिता से परिवार में प्रतिपल राग है
पिता से ही माँ का बिंदी और सुहाग है
पिता परमात्मा की जगत के प्रति आसक्ति है
पिता गृहस्थ-आश्रम में उच्च स्थिति की भक्ति है
पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ती है
पिता रक्त में दिए हुएसंस्कारों की मूर्ति है
पिता एक जीवन को जीवन का दान है
पिता दुनियाँ दिखाने का अहसान है
पिता सुरक्षा है, सर पर हाथ है
पिता नहीं तो बचपन अनाथ है
तो पिता से बड़ा तुम अपना नाम करो
पिता का अपमान नहीं, उसपर अभिमान करो
क्योंकि माँ-बाप की कमी कोई पाट नहीं सकता
और ईश्वर भी इनके आशीषों को काट नहीं सकता
विश्व में किसी भी देवता स्थान दूजा है
माँ-बाप की सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है
विश्व में किसी भी तीर्थ की यात्राएं व्यर्थ है
यदि बेटे के होते माँ-बाप असमर्थ हैं
वो खुशनसीब हैं, माँ-बाप जिनके साथ होते हैं
क्योंकि माँ-बाप की आशीषों के हज़ारों हाथ होते हैं
(कवि _श्री ओम व्यास जी की कविता!)
_श्री .
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इसी कविता को अईया और बाबुजी की कहानी -दुर्भिक्ष- के अंतिम पन्नों में उनकी आरती रखा गया है!
http://shrikanttiwari.blogspot.in/2013/10/blog-post_18.html
प्रणाम
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