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Saturday, October 23, 2010

LOHARDAGA October,23`2010 11:33AM+++...

"Way to a man's heart is through his stomach, & to a woman's heart is through the man's wallet !!‌"

"A beautiful building up on a hill is a waste of time. An ugly building downtown will make you rich !!" 

"Be like a sponge ! ...eagerly soaking up every bit of information. Information is POWER & of course strength !!"

"It's true, that we do not inherit the world from our parents; we borrow it from our children !!"

-Shrikant Tiwari .

Friday, October 22, 2010

अग्नि पथ!

लोहरदगा,   थाना टोली / थाना रोड           २२,अक्टूबर`२०१० ०८:३२ सायं 
One of his inspirational poems, Agneepath ("Path of fire"), was used as the theme (and its title as the title) for the 1991 blockbuster movie featuring his actor son Amitabh Bachchan, as a ruthless mafia don. This movie was a massive success earning Amitabh Bachchan a National Award for his performance. You can see Amitabh narrating the poem through out the movie.
The poem describes the entire gamut of sufferings that the human race had gone through and is going through.
Here is the actual poem - Agneepath:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

वृक्ष हों भले खड़े,
हो घने, हो बड़े,
एक पत्र-छॉंह भी
माँग मत, माँग मत, माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी!
कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!

ये महान दृश्य है, चल रहा मनुष्य है,
अश्रु श्वेत् रक्त से,
लथ पथ, लथ पथ, लथ पथ !
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
Vriksh ho bhale khade, ho ghane ho bade, Ek patra chhav bhi mang mat, mang mat, mang mat Agneepath Agneepath Agneepath.
Tu na thakega kabhi, tu na thamega kabhi, tu na mudega kabhi, Kar shapath, kar shapath, kar shapath, Agneepath, Agneepath, Agneepath.
Ye mahaan drishya hai, chal raha manushya hai, Ashru shwet raqt se lathpath, lathpath, lathpath, Agneepath, Agneepath, Agneepath.
_______________________________

Bachchan used to introduce himself as
Mitti ka tan, masti ka man, kshan-bhar jivan– mera parichay.
(मिट्टी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन, मेरा परिचय)
(A body of clay, a mind full of play, a moment’s life - that is me).
-श्रीकन्त-

Thursday, October 21, 2010

अमिताभ बच्चन की अग्रेजी ब्लॉग रचना ...

लोहरदगा,   थाना रोड / थाना टोली      _      ०१:२९ दोपहर 
अमिताभ बच्चन की अग्रेजी ब्लॉग रचना ...
...साफ़ बात है भाऊ, एकदम समझे में नई आता है ! बार-बार dictionary खोलना पड़ता है, इससे तो अच्छा है कि अपनी ही कही जाय, जिसे "अपने" लोग समझ-बूझ सकें ! भाषा सबसे अच्छी वो ही है जो मुझे समझ में आती है !! जो हमारे यहाँ के लोग आपस में बोलते-बतियाते हैं ! हमें नहीं शौक की हम जान-बूझ कर बकलोल बनने के लिए अमिताभ बच्चन की अंग्रेजी ब्लॉग रचना को सिर्फ इसलिए पढ़ें की वो अमिताभ बच्चन की लिखी-कही हुई हैं ! अमिताभ बच्चन को अपनी बात अंग्रेजी में ही कहना सहज लगता है तो वो अंग्रेजी में ही लिखें-बोलें हमें क्या !? असंख्य तो उनके प्रशंसक भरे पड़े हैं इस दुनिया में, जिन्हें अंग्रेजी और सिर्फ अंग्रेजी ही आती है, पूरे भारत वर्ष में ही अनेक भाषाएँ हैं, अपनी भाषा के आगे किसी दुसरे की भाषा ना समझ पाने का अफ़सोस तो होता है पर उस-से कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि उस-से हमारा कोई लेना-देना नहीं होता है, ...लेकिन अगर लेना-देना पड़ जाए तो? तब मुश्किल होती है !! लेकिन एक हमारे पसंद-नापसंद से अमिताभ बच्चन को क्या लेना-देना !! क्या फर्क पड़ जाएगा अगर सिर्फ हम उनके ब्लॉग को ना पढ़ सकें तो ! क्या अमिताभ बच्चन को खबर है कि उनकी अग्रेजी ज्ञान पर भले हमें प्रसन्नता हो पर उसे ना समझ पाने से हमें कितना दुःख होता है !! नहीं है! ना है _और ना उनकी इस ज़िन्दगी में उनको कभी इस बात का बोध होगा. इसलिए अच्छा है हम ही संभल जाएं. छोड़ दे उनके ब्लॉग को पढना, और ...फिर बे-फ़ालतू का कमेन्ट करना...,  अच्छा होगा हम छोड़ ही दें. छोड़ ही देते हैं !
जिस काम का कुछ हासिल ना हो वो क्यूँ करें ??
-दुर्र हो- !!
...और भी ग़म हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवा !!
लेकिन अमित भईया ! आपकी फ़िल्में देखना हम नहीं छोड़ेंगे ! अच्छा लगेगा तो डी.वि.डी. या वि.सी.डी. खरीद लेंगे नहीं तो जम के कोसेंगे.

Tuesday, October 19, 2010

दीपावली की तईयारी है !

लोहरदगा,     थाना टोली / थाना रोड   ___   १९,अक्टूबर`२०१०   ०१:२४ दोपहर 
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दशहरा की खुमारी है, 
दीपावली की तईयारी है !
चूना और रंग की सोचते हैं .
झाड़ू-पोछा को दुछत्ती पर खोजते हैं .
रेज़ा-कुली लगाना है,
दाम ! सस्ते में पटाना है !
घर-मकान-दुकान से,
दफ्तर-रजिस्टर-कलम और दवात से,
दल्लिद्दर के खदेराई की  
सबकी साफ़-सफाई की,
दीवाली की बाट जोहते हैं. 
लक्ष्मी-मईया को खुश रखने के लिए
नए "रोकड़-खाते" की बात करते है!
दशहरा की खुमारी है, 
दीपावली की तईयारी है !


Monday, October 18, 2010

"_नाना भाँति राम अवतारा, रामायण सतकोटि अपारा_"

रावण ने जलने से इनकार कर दिया, बोला पानी बरस रहा है ! फिर भी "फ़ौज" ने उसे फूंक डालने में कोई कसर नहीं छोड़ी. पानी के बाण आसमान से बरस रहे थे, जिससे बचने के लिए फ़ौज और जनता तितर-बितर हो कर पनाह ढूंढ रही थी. अध्-जले रावण ने अगले साल के लिए ललकार लगाई जिसे "फ़ौज" और जनता ने आतिशबाजी से जबाब दे कर स्वीकार किया. हो गया दशहरा !!
"_नाना भाँति राम अवतारा, रामायण सतकोटि अपारा_"

Sunday, October 17, 2010

नवरात्री पूजन-हवन के बाद...

नवरात्री पूजन-हवन के बाद माँ दुर्गा के पूजा पंडालों में उमड़ी भीड़ प्रत्येक वर्ष की भाँति आज फिर से अतुल्य -भारत की अखंडता का एहसास पूरी बुलंदी से स्थापित कर रही है, मेरे ख्याल से इसमें दो राय नहीं होगी, ख़ास कर माँ के दर्शनाभिलाशी भक्तजन अवश्य ही मुझसे सहमत होंगे जो कि "रिकार्ड-तोड़" भीड़ में भी एक-दूसरे को कुचलते-मसलते-धकियाते पंडाल-दर-पंडाल घूम रहे हैं !
कल दशहरा - विजयादशमी का मेला ... जहाँ रावण-वध का ड्रामा खेला जायेगा और रावण का पुतला दहन होगा !

Tuesday, October 12, 2010

१०० वर्षीय माँ का ५९ वर्षीय पुत्र

आज नानी अपने घर आ गई. उनके बड़े पुत्र, १०० वर्षीय माँ का ५९ वर्षीय पुत्र, -मेरे मदन मामा-, आज वो भी आ गए. माँ-बेटे का मिलन हो गया !

Monday, October 11, 2010

MERI NAANI

११-अक्टूबर-२०१०      लोहरदगा      थाना टोली/रोड     ०३:५७ (दिन)  
- पूरा दिन -
MY GRAND(-MATERNAL-)MOTHER !! 
उम्र १०० +वर्ष !!! AGE =100 +Yrs. 
कल रात के १० के बजे करीब मैं अमिताभ बच्चन के बारे में सोचते हुए कुछ लिखने के लिए अपने विचारों से जूझ रहा था कि अचानक मुरारी मामा का फ़ोन आया कि नानी की तबियत ज्यादा खराब हो गयी है उसे डॉक्टर के पास ले जाना है, सो मैं गाड़ी ले कर जल्द पहुंचुं !! "...रात के इस वक़्त दरवान ने गेट पर ताला जड़ दिया होगा, और गद्दी का कुतवा भी खुल गया होगा, ....ह्म्म्म ..!...मुश्किल होगी !!" ...फिर भी मैंने एक पल भी जाया किये बगैर तुरंत वीणा को ये बात बताई और गाड़ी की चाबी ले कर घर से निकला, ये देख कर मन को शांति मिली की गद्दी का गेट अभी भी खुला था, मैं अन्दर जा कर दरवान को आवाज़ देता हूँ, उसके साथ उसका जोड़ीदार 'गोपाल' वहीँ था गाड़ी स्टार्ट करते हुए बाहर निकालते समय मैंने गोपाल से ये कह कर कि "...तुरंत आता हूँ, अगर मुझे देर हो जाये और तब तक कुत्ता ,जो खुल चुका होगा, तो मेरे वापस आने पर उए काबू में रखे ताकि मैं सुरक्षित घर जा सकूँ , ससुरा बड़ा कटाह है !" 
मैं मामा के घर जल्दी पहुंचा, नानी ठीक तो थी पर सोफे पर लेटी हुई थी, उसके सर पर तेल चुपड़ा हुआ था, बहुत कमज़ोर और नि:सहाय लग रही थी, मेरा मन द्रवित हो गया, मामा ने उसे बताया कि मैं आया हूँ तो वो रोने लगी और शिकायत करने लगी कि मैंने आना-जाना छोड़ दिया है..., और भी अनेक बातें करते हुए अपने सभी पुत्रों को याद कर के भावुक हो कर काफी परेशान हो गई, ..१०० से ज्यादा की उम्र में बुखार से तपते वृधा नानी को उस दशा में देख कर सबका मन भारी हो गया. मुरारी मामा ने दनादन सभी को उनके मोबाइल पर कॉल किया और उन्हें सीधी सूचना देते हैं कि "...माई के तबियत ठीक नइखे, डाक्टर हिंया ले जा तनी, ..आ के भेंट कर ल लोग, तूं लोग के इयाद कर-कर के रोव-तीया, ल बात कर ल माई से ...!! ..फिर  मोबाइल नानी के कान से लगा कर उसका loudspeaker ऑन कर देते हैं, और नानी से कहते हैं "...ले माई ले बात कर, भईया हवन !" बड़का मामा {मदन मामा] अपनी माँ को खूब तसल्ली देते हैं और शीघ्र आने का वादा करते है,  "...ले माई ले बात कर, नन्हका ह !!" "...ले माई ले बात कर,दिदिया हीय !" ...यूँ ही कई कॉल कर के सभी से नानी कि बात करवा दी गई, और नानी कि तबियात कि जानकारी सभी को दे दी गई, ...कि जिन्हें-जिन्हें मिलना हो वो आ कर मिल लें ...!!!
फिर हम नानी को गाड़ी पर बैठाते हैं, ...नानी इस उम्र में और अपनी खराब तबियत की इस दशा में भी किसी का सहारा नहीं लेना चाहती थी, लेकिन जीर्ण शरीर और कमज़ोर आँखों से लाचार नानी को हमने उसी के कहे अनुसार सहारा देते हुए टॉर्च से रौशनी दिखाते हुए गाड़ी पर बैठा कर डॉक्टर गणेश प्रसाद के यहाँ ले जाते हैं जहाँ मामा ने पहले से फ़ोन कर के डॉक्टर साहब की इजाजत ले ली थी. डॉक्टर ने नानी की तबियत की जांच की और दवाएं तजवीज़ कर हमें बताया कि घबराने कि बात नहीं है, बी.पी. बढ़ा हुआ है, बुखार नहीं है, लेकिन फिर चढ़ सकता है, नानी वहां भी बदस्तूर रोए जा रही थी, डॉक्टर साहब ने उसकी जांच की, समझाया-बुझाया और अपने पास से २-tablets दे कर खिलने को कहते हैं, एक बी.पी.और दूसरी नींद की गोली है ताकि रात को शांति से सो सके ! तस्सल्ली पा कर नानी को वापस मामा के घर पहुंचा कर मैं वापस लौट आया.
..........लेकिन डॉक्टर साहब ने जो नींद की गोली नानी को दी गई थी वो नानी पर भार पड़ी और नानी बेसुध हो गई, उसे अपना और अपने शारीर का कोई होश न रहा, रात भर मामा-मामी औए बच्चे सभी परेशान रहे . सुबह वीणा ने मुझे सारी रात की बात कही कि कैसे रात में मामा-मामी परेशान रहे ! दिन के ११ बजे मैं वीणा के साथ मामा के यहाँ गया, कलावती भी साथ चली.  ...नानी बेसुध अपने FAVOURITE सोफे पर लेटी हुई थी.....! चेहरा निस्तेज हो गया था ...! मेरा मन भारी होने लगा, ...नींद की गोली के असर से अभी वो मुक्त नहीं हुई थी, ...सो कुछ खा-पी नहीं सकने के कारण एकबारगी अत्यंत ही कमज़ोर हो गई थी, ...सिर्फ एक रात......चंद घंटे में ही वो दुर्दशा की सी स्थिति में पहुँच गई थी ! ............वीणा ने बहुत कोशिश की कि नानी कुछ बात करे, .....लेकिन..... नानी नहीं बोली ! ...सिर्फ थोडा हिली-दुली, तब मामा और छोटी मामी माँ दुर्गा की आरती उतार रहे थे..., आरती से निपट कर मामा ने आ कर जरा ऊंचा बोल कर नानी को बताया की "...माई !अरे वीणा आईल बाड़ी, ऊठ ! लेकिन नानी ज्यादा कुछ न कर और कह सकी, फिर वीणा ने मामी ने उनकी सेवा सुश्रुषा की.
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[जरा रुकिए ! लगता है नानियाँ को होश आ गया है ! मामा का फ़ोन आया है, नानी मुझे गाली बक रही है कि मैं उसे जंजाल में फंसा कर कहाँ भाग गया !!? .........मैं चला ! माँ साथ में है !]
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.........आखिरकार नानी ने वीणा को पहचाना और रोने लगी, वीणा नानी को समझाती है, मैं बताता हूँ की मैं हूँ तो कुछ अस्पस्ट सा बोलती है, लेकिन मुझे देखती है और माँ के बारे में पूछती है, वीणा नानी को दिलासा देती है कि माँ आ रही है शाम तक पहुँच जाएगी, बडका मामा भी परसों आ जायेंगे. मुरारी मामा मोबाइल से छोटका मामा को कॉल करते हैं और मोबाइल नानी के कान के नजदीक कर के बोलते हैं कि "..ले माई नन्हका ह, बतिआव" ...नानी बड़े ही करुण-क्रंदन से आंसू बहाते रोने लगती है, "... तू हीं लोग पर हमार प्राण अंटकल बा बबुआ, अब हम न बाँचब !!!"  पुजारी मामा अपनी माता को तस्सल्ली देते हैं की वो भी जल्द आ रहे हैं.
नानी रात से, तब दिन के १२ बजे तक, ढंग से कुछ खाया नहीं होने के कारण बहुत सुस्त हो गई थी . खिलाने-पिलाने कि कोशिश कि जाती है लेकिन वो ढंग से पानी भी नहीं पी पा रही थी, मुझे उस "नींद कि गोली " के असर पर गुस्सा आ रहा था, मामा भी अफ़सोस करने लगे, फ़ोन पर डॉक्टर साहब से बात करते है तो डॉक्टर कहते हैं कि वो "बहुत कम पॉवर की दवा थी "...अईसा होना तो नई चाहिए था !" ...मामा मुझसे सलाह मांगते हैं, ...मेरा खुद का हाथ-पाँव फूला हुआ था और मुंह सूखा हुआ था सो मैंने मामा से कहा कि अगर कुछ खाय-पीयेगी नहीं तो फिर "भर्ती" करना पडेगा, ...मामा डॉक्टर से मशवरा करते हैं. ...थोड़ा इन्तजार के बाद मैं अपना निश्चित फैसला बोलता हूँ कि नानी को भर्ती कर ही दिया जाना चाहिए, यूँ घर में अटकल लगते ही रह जायेंगे, अत: डॉक्टर को मामा फिर फ़ोन कर कहते हैं कि वो नानी को ले कर आ रहे हैं, डॉक्टर साहब सहमती देते हैं. फिर नानी को डॉक्टर के क्लिनिक ले चलने के लिए जब नानी को कहा जाता है, ... नानी किसी भी प्रकार के शारीरिक श्रम के लिए तब तक बिलकुल ही असहाय हो चुकी थी, सो वीणा के कहने पर मैं नानी को अपनी बाहों से उठा कर गोद में ले कर गाड़ी पर बैठाता हूँ, फिर घर के कुछ लोग मामी और वीणा साथ चलते हैं. 
डॉक्टर का क्लिनिक -"OVER -PACKED"- था कोई "BED " खाली नहीं था, मरीजों कि संख्या काफी थी, ...हम किसी दुसरे अस्पताल या क्लिनिक के लिए सोचते हैं लेकिन जी नहीं मानता, ...फुर्सत पाते डॉक्टर साहब हमें देख कर असहाय भाव से मुस्काते हैं, ..."mission -hospital " ले जाने को कहते हैं, ...लेकिन हम हिचकिचाते हैं, वहां के एक स्टाफ ने कहा कि कुछ देर में एक "bed " खाली होने वाला हैं, मामा केबिन के लिए पूछते हैं तो स्टाफ बोलता है कि "अभी वईसा कोई चांस नईं हऊ ..!" मजबूरन genral -ward के खाली होने वाले -बेड- के लिए हम अपनी सहमती देते है क्योंकि स्टाफ बोलता है कि अगर हम कहें तो गली में एक चौकी दाल देगा ! "...न-न हम इन्तजार करंगे" मैं क्लिनिक के चिकने फर्श पर फिसल जाने के डर से अपनी चप्पल गाड़ी के नजदीक खोल देता हूँ तब तक नानी और बाकी सभी गाड़ी में इन्तजार से तंग आ गए थे इसलिए मैं नानी को फिर अपनी गोद में उठा कर डॉक्टर साहब के 'EXAMINATION -ROOM' के टेबल पर ले जा कर लिटा देता हूँ. डॉक्टर के आदेश पर नानी की फिर जांच होती है, ...कोई "गंभीर बात" नहीं थी !! लेकिन नानी के कुछ न खाने-पीने के कारण उसकी कमजोरी को देख कर और हमारे आग्रह करने पर डॉक्टर ने अपनी सहमती दे कर अपने स्टाफ को निर्देश दिया की -bed - खाली होते ही नानी को वहां शिफ्ट कर -"dripp -" चालु करे दे. 
थोड़े इंतज़ार के बाद -bed- खाली  होने की खबर मिलते ही मैं नानी को फिर अपनी गोद में उठा कर वार्ड में ले चला, नानी बेसुध-सी थी जो अपने जिस्म को हलचल में पा पर पूछती है "_अरे ! गड़िया चले लागल का?" मैं नानी की बात में हाँ-हूँ करते वार्ड में  जाता हूँ जहाँ -बेड- खाली बताया गया वहां मैं -बेड- पर बिछे बिछावन के मुताबिक नानी को लिटाने ही लगा था की मामा ऐसा करने से मना करते हुए कहते हैं कि दूसरी दिशा में लिटाऊं, ."...क्यों?" "...क्योंकि वो उत्तर दिशा है, जो मृतक-शरीर की दिशा होती है !!!" मैंने वैसा ही किया. फिर नर्स ने नानी को -dripp - लगा दिया.  
इस दरम्यान -लड्डू- स्कूल से वापस आ गया था लेकिन घर पर ताला लगा पा कर बिरेंदर के यहाँ चला गया था, वहां से बिरेंदर ने फ़ोन कर के ये बताया और पूछा की दूध वाले सिंध जी आये हैं, घर गये थे लेकिन ताला लगा देख कर वापस आ गए, सो दूध लेना है या नहीं? मैंने ले लेने की निर्देश दिया. और वीणा को बतलाया. थोड़ी देर नानी पर ध्यान रख कर और उसे ठीक पा कर मैं, वीणा और कलावती वापस घर आ गए.
लड्डू घर आ गया था, माँ को रांची में ट्रेन पर बैठा कर कमल ने इसकी सूचना मुझे दी, मैंने बिरेंदर को कहा को वो स्टेशन जा कर Motercycle से माँ को लिवा लाये क्योंकि दुर्गा-पूजा के पंडालों की -SCAFFOLDINGS- (बांस के मचान etc.) और बाज़ार की भीड़ में फौर-व्हीलर चलाने से मैं हिचकिचा रहा था. 
शाम को गद्दी से वापस आया तब तक माँ आ चुकी थी लेकिन खूब परेशान सी थी, सफ़र जो महज़ सवा-घंटे का है, '-माल-गाड़ी-' को '-पास-' देने के लिए SHUNTING में काफी देर 'टांगरबसली' स्टेशन पर खड़ी रही थी. ...फिर माँ, वीणा और लड्डू को ले कर मैं डॉ. गणेश प्रसाद के क्लिनिक पहुंचा. नानी अब ठीक लग रही थी लेकिन खूब अन्साई सी और बेचैन थी, कमज़ोर तो थी ही और एक नन्हें बच्चे की तरह बार-बार घर चलने के लिए कह रही थी. माँ ने अपनी माँ को देखा, बातें की उसके पाँव के तलुओं को अपने साडी के पल्लू से सहलाया, उसे समझाया-बुझाया और खुद चैन पाया. नानी अब खुद अपने हाथ से ग्लास थाम रही थी और पानी पी पा रही थी. मैंने नानी कहा कि मैं आ गया हूँ तो नानी कहती है कि "...हम त सोचनी ह कि तें ना अईबे, हमारा के बझा के अपने घरे चल गईलअ ह !" सभी हंस पड़ते हैं. 
अब मैं चैन से *"_कौन बनेगा करोडपति_"* देखने जा सकता था !

11,OCTOBER`2010 -00:01-hrs. !!

"भए प्रकट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी l 
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ll 
लोचन अभिरामा तनु घनश्यामा निज आयुध भुज चारी l 
भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी ll
कह दुई कर जोरी अस्तुति तोरी केही बिधि करौं अनंता l
माया गुन ग्यानातीत अमाना बेद पुरान भनंता ll
करुना सुख सागर सब गुन अगर जेहि गावहीं श्रुति संता l 
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयऊ प्रगट श्रीकंता ll 
ब्रम्हांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै l 
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै ll 
उपजा जब गयाना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै l 
कही कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ll 
माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा l 
कीजै सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा ll 
सुनी बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा l  
यह चरित जे गावहीं हरिपद पावहीं ते न परहीं भवकूपा ll"

Sunday, October 10, 2010

१०,अक्टूबर`२०१०

नवरात्र/ माँ नव-दुर्गा क़ि पूजा की तृतिया 
श्री अमित भैया !
सादर प्रणाम,
आज "दैनिक जागरण" अखबार में आपका साक्षात्कार/interview पढ़ा. आपने प्रत्येक प्रश्नों के उत्तर में जो कुछ भी कहा उसे जान कर मैं रोमांचित हो उठा क़ि ठीक ऐसी ही बातें मैं आपके बारे में अपने ब्लॉग : http://shrikanttiwari.blogspot.com/ पर "_अमिताभ बच्चन और मैं_" शीर्षक लेख-माला के अंतर्गत लिख चुका हूँ ! आपका हमेशा अपने -'बाबूजी'- से जुड़ाव मेरी आपके प्रति मेरे प्रेम और निष्ठा को और बढ़ा देता है, निश्चय ही आप मेरे प्रेरणा श्रोत हैं ! मेरे अमित भईया !! आप मेरे बड़े हैं इसीलिए आपके आचरण का अनुसरण करना चाहिए क्योंकि ये सृजनात्मक और रचनात्मक आचरण हैं, इसीलिए प्रेरणास्पद हैं !
भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवतगीता में कहा भी है :  
"यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरोजन: l 
स यात्प्रमानन कुरुते लोक्स्तदनुवर्तते ll" 
(गीता ३/२१)
= "महापुरुष जो-जो आचरण करता है, साधारण मनुष्य उसका अनुसरण करते हैं, वह पुरुष अपने विलक्षण कर्मों से जो आदर्श स्थापित कर देता है, सम्पूर्ण विश्व उसके अनुसार कार्य करता है."
कल ११,अक्टूबर`२०१० को आपका जन्म दिन है और आप ६८ वर्ष के होने वाले हैं, बस कुछ ही घंटे बाकी हैं, ...ये एक ऐसी बात है जो लम्बे आख्यान का विषय बन जाएगी, अत: शुभ-घडी, शुभ-समय के लिए मेरी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
 श्री अमित भैया !
आपके जन्म-दिन पर आने वाले पलों से आगे, दिनों से आगे, वर्षों से आगे ! ... आगे !! ...आगे-ही-आगे ...तक के लिए हमारे पूरे परिवार क़ि तरफ से जन्म-दिन क़ि हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !!!   
आपका और हमारा साथ कभी न छूटे !!
HAPPY BAIRTH DAY TO YOU !
-आपका अपना,

Saturday, October 9, 2010

०९ अक्टूबर २०१० - शारदीय नवरात्र - नव-दुर्गा माँ की पूजा की द्वितीया !

०९ अक्टूबर २०१० - शारदीय नवरात्र - नव-दुर्गा माँ की पूजा की द्वितीया !
#221
"_जय माँ दुर्गा पूजा समिति _ थाना टोली_" के पूजा पंडाल से वेद-मंत्रोचार की ध्वनि Loud -Speakers के माध्यम से वातावरण में प्रवाहित हो रही हैं ! वीणा ने अपनी सारी उम्मीदें माता भगवती भवानी से लगा रखीं हैं ! कितने ही वषों से ये इच्छा है हमारी _माता वैष्णो देवी की यात्रा पर जाने का, ...लेकिन माता की अब तक आज्ञा नहीं हुई है, ...माँ अभी शायद हमारा और इम्तिहान लेगी, ...फिर शायद भाग्य जागें ! सब कुछ जैसे माँ से ज्यादा "-शायद-" पर ही निर्भर हो गया है !

ऐसी मान्यता है की नवरात्र के इसी पावन वातावरण में दुष्ट-राक्षसी-शैतानी-शक्तियां भी  खुद को बलवान करती हैं ! तंत्र-मन्त्र से तांत्रिक गतिविधियाँ भी इसी समय जोर पकड़ती हैं, शैतानी शक्तियों के उपासक कुण्डलिनी जगाने  के घोर कर्म-कांडों में लिप्त पाए जाते हैं जो मांस-मदिरा के सेवन और "बली" चढ़ाने से ले कर अध्-जले मुर्दे के मांस तक को खाने के जघन्य अमानवीय कृत्य को अंजाम देने में जुट जाते हैं !! इन दुष्ट शक्तियों की कुदृष्टि से अपने मासूम बच्चों को बचाने के लिए माताएं अपने बच्चों की नज़र उतरती हैं, ...बच्चों की आँखों, ललाट के किनारे और नाभि और पैरों के तलुओं में काजल टिक देती हैं ताकि उनके बच्चे सुरक्षित रहें !! सास अपनी बहुओं को घर की ड्योढ़ी से बाहर झाँकने से रोकती हैं "..कि कहीं किसी की नज़र न लग जाय...!"  


"भगवान् है तो शैतान भी है !" ...इस विषय पर तब से बहस जारी है जब से मनुष्य का समाज और उसकी मान्यताएं हैं ! ये एक ऐसा वृहद् विषय है जिस पर सदियों से बहस जारी है और अभी आगे भी ये बहस चलती ही रहने की संभावना है, जिसमे अपने कोई विचार कहने की स्तिथि में मैं नहीं हूँ, ...लेकिन दुनिया भर में अध्यात्म और विज्ञान के क्षेत्र के सबसे बड़े विद्वानों में बहस अभी भी जारी है ! ऐसा नहीं है की ये लोग एक सभागार में या किसी टेबल के गिर्द बैठ कर बहस कर रहे हों, बल्कि अपने तौर-तरीकों से और अपने काम से, अपनी गतिविधियों और कार्यकलापों से अपनी बात कहते ही रहते हैं. दुनिया भर के फिल्मकार इस विषय को सबसे पसंदीदा विषय मान कर इसपर लगातार, धडाधड फिल्म-पर-फिल्म बनाये जा रहे हैं, चाहे वो HOLLYWOOD हो या फिर हमारा BOLLYWOOD !! छोटा फिल्मकार हो या बड़ा हर कोई इस विषय पर अपनी फिल्मे बनाना पसंद करता है. इसके लिए जिम्मेदार कुछ हद तक हम दर्शक भी हैं ! बचपन से ही हमें कहानी सुनने का जो शौक लग गया होता है वो शौक हमारी उम्र के साथ बढ़ता ही जाता है !! फिल्मे काल्पनिक कहानी कहने का ही एक दूसरा ढंग है जिसमे कहानी के पात्र हमारी कल्पनाओं को सत्यापित करते से प्रतीत होते है !! यही बात हमें फिल्मे देखने को विवश करतीं हैं. ...उस पर से भूत-प्रेत का विषय  ! ...वो तो हमें बचपन से ही भाता रहा है ! अमिताभ बच्चन जैसे आधुनिक मान्यताओं वाले सुप्रसिद्ध अभिनेता ने  भी *"_अक्स_"*  फिल्म में प्रेत से ग्रसित पात्र का अभिनय किया...और उनकी वो क्रूर हंसी...!!! इसी फिल्म के एक गाने के अंश में अमित जी गाते हैं "...जब तक राम है रावण रहेगा !" अभी हाल ही में लता मंगेशकर जी -८१- [81]- वर्ष की हुईं, जन्मोत्सव पर एक INTEVIEW में उन्होंने हँसते हुए कहा कि अपने CAREER में सबसे ज्यादा गाने उन्होंने भूतों के गाए हैं !  इसीप्रकार धार्मिक फिल्मे भी सिर्फ भारत में ही बनती रहीं हैं, लेकिन मात्र बाज़ार पकड़ने के उद्देश्य से अब हिन्दू धर्म-ग्रंथों, पौराणिक कथाओं और पुराण की कहानियों पर ANIMATION फिल्मे HOLLYWOOD और BOLLYWOOD, सभी जगह बनने लगी हैं. हनुमानजी और भीम भाई अब कार्टून बन गए हैं जो अजीब-अजीब हरकतें करते दिखाए जा रहे है ! रामायण और महाभारत की ANIMATED फिल्म तैयार हैं ! लेकिन हरेक कहानी को एक खलनायक तो चाहिए-ही-चाहिए !!! ऐसा ही भाव HOLLYWOOD की COMIC CHARACTER पर आधारित फिल्म "_BATMAN the dark knights _" के खलनायक स्व. हीथ लेज़र फिल्म के हीरो -BATMAN- से कहते हैं कि ...मैं तुम्हें मारना नहीं चाहता, क्योंकि तुम्हारे बगैर मैं करूँगा क्या ? लेकिन जैसे ही तुम मुझे मार डालोगे ,एक हत्यारे जरूर बन जाओगे और यही मेरा मकसद है, तुम्हें भी अपने जैसा ही बुरा बनाना !" फिल्म के इस किरदार *"_JOKER _"* का यादगार पात्र खूबसूरती से निभाने के लिए HEATH LEDGER को (मरणोपरांत ही सही) उस साल के "OSCAR AWARD "-(Academy Award for Best Supporting Actor)- से सम्मानित किया गया.

उपन्यासकार भी इस विषय पर खूब लिखते रहे हैं ! Abraham "Bram" Stoker (8 November 1847 – 20 April 1912) was an Irish novelist and short story writer, best known today for his 1897 Gothic novel Dracula.
ब्राम स्टोकर की सन-१८९७ ई. में लिखी DRACULA की प्रसिद्धि एक इकलौता ऐसा उदाहरण है जिसके बाद और कुछ लिखना-कहना अतिश्योक्ति ही होगी. मुझे ये बात बहुत अचंभित करती है की "पाश्चात्य-जगत",-पच्छिम- (Europe /यूरोप, America) में भूत-प्रेत हमारे देश-[भारत]-से ज्यादा प्रासिद्ध हैं !! Hollywood में जितनी Horror फिल्मे बनती हैं या बन चुकी हैं, उसके मुकाबले हमारे यहाँ तो समझिये नहीं के बराबर Horror फिल्मे बनती हैं !

पिछले साल २००९ में अपने बेटे प्रीतीश के इंजीनियरिंग में admission / नामांकन  के लिए संपन्न होने वाले कोउन्सेल्लिंग (-counselling -) में मैं कोलकाता उसके साथ गया था, वहीँ रेलवे स्टेशन पर व्हीलर्स-शॉप से जिम्मी (प्रीतीश) ने डैन ब्राउन (DAN BROWN) का लिखा उपन्यास "_ANGELS & DEMONS _" खरीद कर मुझे दिया की मैं इसे जरुर पढूं ! इस उपन्यास पर फिल्म बन चुकी है. मैंने अनिच्छा से उपन्यास पढना शुरू किया, लेकिन सच मानिये मैं इन लेखक महोदय की लेखनी औए उनके research और ज्ञान का कायल हो गया, ऐसी रचना बगैर वृहद् research के असंभव है ! इन्हीं लेखक महोदय की लिखी "_The Da Vinci Code_"-बेस्टसेलर- उपन्यास रही और खूब लोकप्रिय हुई, जिस पर पहले ही फिल्म बन चुकी है, इसी फिल्म के नायक -Tom Hanks- को फिर उसी पात्र Professor Robert Langdon के रूप में "_ANGELS & DEMONS _" में फिर पेश किया गया. "_ANGELS & DEMONS _" की कहानी ने मुझे इतना व्यग्र कर दिया की क्या बताऊँ !! ...इस पर आधारित फिल्म को देखने की लालसा ने मुझे बेचैन-सा कर दिया था, आखिरकार कुछ महीने पहले रांची के एक DVD स्टोर्स में से ले कर ये फिल्म मैंने देखी. इस फिल्म की कहानी ठीक वो ही है जिस पर आज मैंने ये पृष्ठ लिखना शुरू किया है... "_शैतान-Vs-भगवान्-" !! ...लेकिन भूत-प्रेत कतई नहीं !! न ! "_पदार्थ-Vs-प्रतिपदार्थ_" ("_Matter -Vs -Antimatter _") ...विशुद्ध विज्ञान !! ...आध्यात्म-Vs-विज्ञान !! ये है फिल्म का विषय ! ये फिल्म, HORROR फिल्म कतई नहीं है लेकिन जो कुछ भी है एक thriller के रूप में लाजबाब है !

नवरात्र ! एक तरफ माँ की उपासना तो दूसरी तरफ शैतान की जाग्रति !...एक ही साथ !! ...एक ही वक़्त !!!  ...जंग जारी है...! जो दशहरा के दिन -[शायद ]- अपने अंजाम पर पहुंचेगा ! ...हमारा सब कुछ मान्यताओं पर ही तो निर्भर है !! रीति-रिवाज सबकुछ !! ...मान्यताओं के अनुसार ही तो क़ि -*"इसी दिन"*- श्रीरामजी ने रावण का वध किया था ! ..इसी दिन माँ ने महिषासुर की गर्दन काटी थी !! ..वो सर्व-शक्तिमान इश्वर जिसने कभी राम कभी कृष्ण और कभी उनकी सर्वे-शक्तिस्वरूपा माँ दुर्गा का अवतार ले कर  गौ, धरती , मनुष्यों और देवताओं के शोक हरतीं हैं !!! वो ही हमारी भी रक्षा करें ...ये ही प्रार्थना है .

-कहते हैं न क़ि विश्वाश रखिये !! अत:
"_HAVE FAITH !!!"

माँ दुर्गा सबकी रक्षा करें !
श्रीकन्त तिवारी

Friday, October 8, 2010

शारदीय नवरात्री प्रारंभ !

श्री अमित भैया !
सादर प्रणाम,
                   "...an enthusiastic or rather desperate misbehaviour !!!
 ...किसी अतिउत्साही की घोर निराशा और हताशा का ऐसा ही दुष्परिणाम होता है, क़ि वो अपने ही पूज्यनीय को दोष दे कर उनकी भर्त्सना करने का जघन्य काम करता है !! आप जैसा अभिभावक पा कर हम धन्य हैं, हमेशा से आपके हैं और आपके ही रहेंगे ! किसी का अनर्गल प्रलाप हमें आपके प्रेम, स्नेह और वात्सल्य से न अलग कर सका है, न कर सकेगा !! ...बस्स....आप प्रसन्न और स्वस्थ रहिये ...और हमें आपके साथ आज से प्रारंभ हुई नवरात्र, नवदुर्गा की पूजा, विजयादशमी का त्यौहार, दशहरा का मेला देखने का सोभाग्य मिलता रहे...मिलता रहे...मिलता रहे...मिलता ही रहे !!! 

आप Ramp पर SRK और हृतिक रौशन के साथ चले !!!
 ...ये अवश्य ही एक दर्शनीय दृश्य रहा होगा !
...खेद है मैं देख न सका पर भला हो ANAT MAGEN जी का (comment No. 256) जिन्होंने सम्बंधित दृश्य का URL पोस्ट करने की कृपा की है  : http://www.youtube.com/watch?v=ejK_GcxR-_U Thanks a lot to ANAT MAGEN !! अभी मैं अमिताभ बच्चन SRK औए हृतिक रौशन को एक साथ Ramp पर चलते देख पा रहा हूँ, ...ओह!! ग़ज़ब!!...शाबा...शाबा !!!

आज नवरात्री पूजा की कलश स्थापना का दिन है, घर पर इस बार कलश स्थापना तो नहीं हो सका लेकिन पत्नी ने नवदुर्गा माँ का पाठ स्वयं करने का संकल्प ले कर पाठ प्रारंभ कर दिया है, कृपया आप अपना आशीर्वाद हमें अवश्य देने की कृपा करेंगे. संयोग से आज की तारीख ०८/अक्टूबर/२०१० मेरे छोटे पुत्र अतुल -[लड्डू-]- की जन्म-तिथि की भी है, आज स्कूल जाते वक़्त सुबह उसने अपनी माँ से १०/रु. मांगे, ...क्यों? ...जो बात करेगा उसी को toffi देंगे बाकी को नई {NO} !!!
शेष शुभ,

शारदीय नवरात्री की हार्दिक शुभकामनायें!
-आपका अपना,
श्रीकन्त

Tuesday, October 5, 2010

R .P .TIWARY MEMORIAL LAQSHYA

R .P .TIWARY MEMORIAL  
 LAQSHYA  
...an endeavour towards your career !
TIWARI ENCLAVE , NEW ROAD, LOHADAGA -835302 JHARKHAND
Ph : WLL :- 06526 -294488
बंद !  
CLOSED !! PERMANENTLY !!!
०५, अक्टूबर`२०१०  ०१:३८ दोपहर  
लेकिन मेरे बाबूजी के नाम के साथ इस संस्थान/इंस्टिट्यूट का फ्लेक्स-बोर्ड अभी भी टंगा हुआ ही है, जैसे मेरी दुर्दशा पर हँसते हुए अपनी बदकिस्मती पर रो रहा हो !
सबका हिसाब हो गया है, ...किसी का कोई रूपया-पैसा बाकी नहीं रहा, ...न्यूज़-पेपर वाले विनय जी का बिल -final - आज तक का दे दिया गया और आगे से पेपर न देने को कह दिया गया !  कलिंदर को मैंने अभी रोक-कर रखा है ताकि सभी सामान की हिफाजत हो सके, लेकिन जल्दी ही कलिंदर को भी मुझे विदा कहना ही है जैसे मुर्शीद को आज विदा कह दिया. मेरी तरफ से मुर्शीद को इजाज़त है क़ि वो जब तक चाहें अपने स्तर पर यहाँ बैठ कर अपनी रोटी खुद कमा सकते हैं या फिर जा सकते हैं, ..जायेंगे ही, ...यहाँ क्या रक्खा है जो अब... !! ...शायद रांची ही जायेंगे जहाँ नए सिरे से रोज़ी-रोटी की तलाश करेंगे.
...!...
...और मैं !!? फिर से और बुरे हो चले अपने अविश्वस्मीय रूप से संकटग्रस्त आर्थिक अभाव की ज़िन्दगी में !! ...जहाँ मुझसे अभी भी उम्मीद लगाये मेरे अपने मेरा मुंह ताकते हैं ! ...जिम्मी की इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करानी है, ...बैंक से क़र्ज़ लिया है वो अलग ! ...सन्नी को रांची में उसकी पढ़ाई के खर्चे देने हैं, ...और यहाँ लड्डू की स्कूल के खर्चे के साथ-साथ घर...! ...घर!  जहाँ माँ है, वीणा है, और मेरी अपनी ज़िन्दगी... ... ...मेरा सवास्थ्य ! ...जिम्मी को मेरा भेजा माहवारी-खर्च का पैसा मिल गया है, आज जिम्मी ने फ़ोन पर पूछा की मेरे कमर का दर्द कैसा है ! ...माँ आज रांची चली गई है, वहां कमल के किराये के डेरे की साफ़-सफाई का काम लगने वाला है, वो सभी नवरात्री शुरू हेने से पहले ही लोहरदगा आ जायेंगे. ...दशहरा-दिवाली-छठ...सभी का आगमन है, यहाँ के डेरे की भी साफ़-सफाई करनी है और -लक्ष्य- की भी...
... ... ...
 
थाना रोड, थाना टोली, _लोहरदगा, झारखण्ड.  ०५, अक्टूबर`२०१०

श्री अमित भैया !
सादर प्रणाम,                       [-भोजपुरी-]
"_रोबोट_" के बारे में राउर विचार पढनी हः ! भोर के चार (४) बजे रौउआ हमनी से आपन विचार व्यक्त करे के कष्ट कईनी, ई हमनी पर भारी कृपा भइल ! हमनी के सब परिवार मिल के "_रोबोट_" फिल्म देखे सिनेमा-हॉल जईब जा ! रजनीकांत साहेब के हमनी पूरा परिवार के तरफ से बधाई !! राउर आज 'काल्ह' (कल) से बढ़ियां होखो, इहे आशीर्वाद भगवान् जी से मनावतानी ! राउर अगिला फिल्म "_पॉवर_" वास्ते हार्दिक शुभकामना !!
शुभाकन्छी,
श्रीकन्त तिवारी
थाना रोड, थाना टोली, _लोहरदगा, झारखण्ड.

Monday, October 4, 2010

CommonWealth Games in "_INDIA_"

04/October/2010
CommonWealth Games in "_INDIA_" ! inaugurated lastnight 
अखबारों की सुर्खी : "_शानदार आगाज़, झूमा इंडिया_" !! 
इंडिया सचमुच झूम उठा, लेकिन कहीं "_भारत_" रो रहा था ! 
...जब मेरा संसथान/Institue :
R .P .TIWARY MEMORIAL  
 LAQSHYA  
को हमेशा के लिए बंद कर देने का फैसला लिया जा रहा था !
.....!!!

Saturday, October 2, 2010

Amitabh Bachchan aur Main # 26 se Aage...

#27
लोहरदगा      थाना टोली / थाना रोड     ०२/अक्टूबर/२०१०        शनि०४:२२सायं 

अमिताभ बच्चन !! एक ऐसा नाम जो {१९७३ से २०१०}=३७ वर्षों से मेरे दिलो-दिमाग पर छाया हुआ है, मैं कभी इस नाम और इस नामधारी व्यक्तित्व के प्रभाव से अछूता नहीं रहा, ...बल्कि ऐसा करने की मैंने कोशिश ही नहीं की, ...क्या जरुरत थी !? ...हर आदमी किसी-न-किसी में अपने-आप को ढूंढ़ने की कोशिश करता ही है, ...मैंने अमिताभ बच्चन में खुद को पाने की कोशिश की तो क्या गलत किया? ऐसा कर के मैंने कुच्छ भी गलत नहीं किया, ...हाँ ! इस बात पर कोई बहस कर सकता है की अपनी इस कोशिश में मैं कामयाब रह पाया या नहीं..., लेकिन यहाँ ये बात इस आख्यान का मुद्दा नहीं !! यहाँ ये बात मुद्दा है कि अमिताभ बच्चन मेरे दिलो-दिमाग पर आगे भी छाये हुए रहेंगे या नहीं ? ...और ये अमिताभ बच्चन की नहीं, मेरी समस्या है ! कोई किसी वस्तु से ईतना प्यार करता है कि उसके खो जाने के डर से उसे खुद ही नष्ट कर देता है!, ...कोई भक्त अपने भगवान् से ईतनी भक्ति करता है कि उससे नाराज़ होने का हक रखता है!, ...उस-से रूठने का हक रखता है!, ..उसे डांटने का हक रखता है!, ...उस सर्व-शक्तिमान ईश्वर से तू-तड़ाक की भाषा में उससे बातें करता है!,  और कभी गुस्से में आ कर उसी भगवान् की मूरत को तोड़ भी देता है !!! ...फिर बाद में सर पटक-पटक कर रोता है क़ि ये मैंने क्या कर दिया !?!? ...इसलिए मेरा मानना है की अमिताभ बच्चन जैसी शख्शियत को उन्हें उनकी जगह :'सिनेमा-स्क्रीन': पर ही रहने देना चाहिए और मुझे मेरे अपने एक आम-आदमी :'एक-दर्शक': की जगह पर ही रहना चाहिए, न की एक दुसरे से ऐसे रिश्ते और सम्बन्ध की कल्पना करनी चाहिय जिसका पूरा होना असंभव है, जिससे बाद में मुझे ही दुःख हो. _अमिताभ बच्चन को इस-से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं ! ३७ साल एक युग के बराबर है जिसमे इंसान की कितनी ही पीढ़ियाँ गुजर गयीं, गंगा जी से होते कितना पानी बह गया इसका कोई हिसाब नहीं, ...कितने लोग अपने दिल में अमिताभ बच्चन से -रु-ब-रु साक्षात्- मिलने की कामना लिए बॉम्बे-टू-मुंबई गए और कहाँ खो गए पता नहीं, ...अभी भी रोज़ अमिताभ बच्चन के घर के बाहर उनके चाहने वालों की अनगिनत भीड़ लगी ही रहती हैं, ...कोई उन्हें छूना चाहता है, कोई बात करना तो कोई 'औटोग्राफ' लेना चाहता है, पर कितने लोग कामयाब हो पाते हैं !?? क्या श्रीरामजी की तरह अमिताभ अपने हरेक चाहने वालों से एक बार में ही एक ही वक़्त मिल सकते है ?? कदापि नहीं. इसलिए अच्छा है की हम खुद को समझाएं !! अमिताभ बच्चन से मिलना आसान बात नहीं है _ ये एक सच्चाई है जिसे हमें स्वीकारना ही होगा. जब से "_कौन बनेगा करोडपति_"की शुरुआत हुई है, बहुत से लोग अमिताभ बच्चन से मिलने की कामना से ही प्रतिभागी बनते हैं, ...मैं ये भी नहीं करना चाहता. अब एक नई सुरसुराहट हुई है -अमिताभ बच्चन के ब्लॉग पर कमेन्ट लिखने का !!! कितने लोग ख़ास उस बात पर कमेन्ट लिखते हैं जिसकी चर्चा अमित जी ने अपने ब्लॉग पर की होती है_??? शायद नाम मात्र के लोग जो English Language की अच्छी जानकारी रखते हैं, जिन्हें English नहीं आती वह कामचलाऊ ही कुछ लिख कर स्वयं खुश हो लेते हैं. अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग पर लिखने के लिए English Language को ही क्यों तरजीह दी ?? ...शायद इस लिए की यूँ बेकार की भीड़ से वो बचे रहें और पढ़े-लिखे अच्छे विचारों वाले लोगों के ही विचार उन तक पहुंचें !! ...लेकिन अमिताभ बच्चन की फिल्म देखने के लिए ऐसी पाबन्दी नहीं है, एक फकीर भी जो ticket की कीमत भर सकता हो वो उनकी फिल्म देख सकता है, ऐसे ही लोगो की संख्या सबसे ज्यादा है और वो ही हम हैं जो अमिताभ बच्चन के सच्चे प्रसंशक हैं, ...जिन्हें अपनी औकात पता है,  ..."_लावारिस_" की तरह जो अपना कफ़न साथ लिए फिरते हैं और जो जानते हैं की नफरत और हिकारत भरी नज़रों का क्या मतलब होता है, जिसे हम रोज़ झेलते हैं, ...ऐसी नज़र से साहब भी देखता है और साहब का दरवान भी !! ऐसी हिकारत भरी नज़रों के तले हम रोज़ लाखों बार मर-मर कर जीते हैं, ...रोज़ ३००-३५० लोग ऐसा प्रयास अवश्य करते हैं क़ि अमित जी के ब्लॉग पर उनका कमेन्ट flash हो जाये जिसे वो फ़ोन कर के अपने दोस्तों को बताएं क़ि "..अरे देखा! आज का मेरा कमेन्ट जो मैंने अमिताभ को लिखा है!!", ...इस प्रत्याशा से कम क़ि शायद इस पर अमित जी की नज़र पड़ जाये ...और उनका *"_निमंत्रण_"* आ जाय, इस प्रत्याशा से ज्यादा क़ि जानने वालों में उनकी धाक बनी रहेगी !! ये भी मेरे जैसे आम-आदमी के लिए एक दिवा-स्वप्न, एक कपोल-कल्पना, एक मृगतृष्णा-सी ही है, जो इतना भी सोच सकें !!
फिर भी ....... 
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    ...एक अजनबी फिल्म के टीवी-प्रोमोज के देखने दरम्यान मुझे ऐसा लगता था की ये फिल्म भी बस 'यूँ ही _ऐसी-वैसी ' ही होगी, लेकिन फिल्म देखने के बाद यह इस दशक की इकलौती फिल्म है जिससे मैं  दाढ़ी वाले अमिताभ बच्चन का कायल हो गया, और ये फिल्म भी मेरे पसंदीदा फिल्मो की लिस्ट में शुमार हो गई.
२००५ तक अमित जी की लोकप्रियता इस हद तक पहुँच गयी थी की अब उनकी थोड़ी देर की कैसी भी उपस्थिति किसी भी फिल्म को सुपर हिट का दर्ज़ा भले न दिला सकी हो पर अमित जी की उपस्थिति को दर्शकों ने अवश्य underline /mark /रेखांकित/ notice किया और सराहा. अब तक अमिताभ बच्चन एक जीवित किवदंती (...जिसका सत्य या असत्य होना प्रासंगिक नहीं.)=[ A LIVING LEGEND ] बन चुके थे, और अपने फ़िल्मी-करियर के उस मुकाम पर पंहुंच चुके थे जहाँ अब उनको कुछ खोने का डर नहीं था, अत: अमित जी अब किसी भी प्रकार के प्रयोग के लिए किसी भी अच्छी फिल्म में अपना योगदान दे सकते थे, ...लेकिन दर्शक वर्ग भी अपनी ख़ास-पसंद का हक रखता है !! इसलिए अच्छे-बुरे की तमीज कुछ नामचीन फिल्म निर्माता-निर्देशकों को अवश्य होनी चाहिए जब वो ख़ास अमित जी के साथ ख़ास हम दर्शकों के ही फ़िल्में बनाते हैं जो उनसे अपनी उम्मीदें लगा कर रखते हैं !! ...लेकिन ऐसा नहीं हुआ और २००५ में "_सरकार_"और "_विरुद्ध_" के बाद... एक बार फिर से अमित जी की फ्लॉप फिल्मों की श्रृंखला शुरू हो गयी जिसमे सिर्फ दर्शक ही लुटता है !!!
...२००६-२००७ में अमित जी ऐसी कोई फिल्म काफी दिनों तक नहीं आई जो ख़ास मुझे आकर्षित करने वाली कोई घंटी बजा सकी हो. आगे अमित जी की फ़िल्में जिन्हें मैंने नहीं देखा -- '-रामजी लन्दनवाले-' में मेहमान थे, फिर इसीप्रकार '-अमृत्धारे-', "__फॅमिली__" का प्रचार बढ़िया से नहीं किया गया था, फिल्म मैंने देखी नहीं अत: कुछ कहना मुहाल है. आगे--जिन्हें मैंने नहीं देखा-- '-डरना जरुरी है-', '-कभी अलविदा न कहना-'. '-बाबुल'-, '-एकलव्य__the Royal Guard-', '-निशब्द-', '-चीनी कम-', .-Shootout at -लोखंडवाला-', '-झूम बराबर झूम-',  फिर वो फिल्म आई जिसके सम्बन्ध में कुछ कहना "_न_" ही बेहतर होगा क्योंकि ऊपर मैंने अपनी भावना व्यक्त कर दी है इस फिल्म का नाम ही  खुद अपना बुरा हश्र बयां करता है --"_रामगोपाल वर्मा की आग_" !! फिर '-ओम-शांति-ओम-', में मेहमान. २००७ में "_भूतनाथ_" को हमने-बच्चों ने कई बार देखा, फिल्म अच्छी लगने पर ऐसा भी किया जाता है न !! "-सरकार राज-" से कोई विशेष घंटी नहीं बजी. "_The Last Lear _" अंग्रेजी भाषा में बनी अमिताभ बच्चन की पहली फिल्म हैं जो अच्छे-खासे चर्चा का विषय बनी, फिल्म ने वहां घंटी बजाई जहाँ से अवार्ड दिए जाते हैं, अत: अमिताभ बच्चन को इस फिल्म के लिए Stardust Best Actor का अवार्ड मिला. मुझे अंग्रेजी नहीं आती इसलिए मैंने ये फिल्म नहीं देखी. फिर '-गोंड तुस्सी ग्रेट हो...[जिसमे "_मोर्गन फ्रीमन और जिम-कैर्री _" को चिढाने की नाकाम कोशिश की गई_!], '-दिल्ली-6 -[...ससुराल गेंदा फूल]',  और अलादीन-'............से होते
यह फिल्म बच्चन परिवार के लिए खासी भावनात्मक अहमियत रखती है, अमित जी ने साबित कर दिखाया है की अच्छे कथानक के अनुसार निर्देशन भी अच्छा हो तो उनकी उम्र का उनसे बड़ा 'सक्रीय' कलाकार अभी कोई नहीं जो उन्हें उनकी super-stardum के सिंहासन से डिगा सके, जिसके लिए अमित जी को filmfare best Actor Award का सम्मान मिला, [मैं तो हमेशा अपने दिल में अमित जी के लिए best of 'the bests' actor का award  स्थापित कर के हाथ में लिए ही रहता हूँ, पता नहीं कब देने का मौका आ जाय, ...रह-रह कर अमित भैया लेते ही जो रहते हैं !!], ...और इसी फिल्म के लिए अमिताभ बच्चन को को नेशनल बेस्ट फिल्म एक्टर अवार्ड की घोषणा हो चुकी है, अब तो इस फिल्म पर काम किये अमित जी का एक पूरा साल गुजर चुका है,  
... और मेरे अमित भैया के कदम
 POWER … the other look that went wrong yesterday .. a pilot in uniform … looking neat I think
Amitabh Bachchan.
  "_पॉवर_"  
की तरफ बढ़ चले हैं...
...शायद २०११ में... 
फिलहाल तो हमें इंतज़ार है आगामी ११-अक्टूबर का जिस दिन अमित जी फिर से टीवी पर '-कौन बनेगा करोडपति-' की नई श्रृंखला शुरू करेंगे और जिस दिन उनका जन्म-दिन भी है ! 
...जारी... 
Lohardaga     03/october/2010     Sunday 10:07PM 
103 & 110

 

Friday, October 1, 2010

जय हो !!!

लोहरदगा     ३०/सितम्बर/२०१०      ०४:३३सायं  
"जय कन्हैया-लाल की, मदन गोपाल की l
लईकवन के हाथी-घोड़ा बुढ़वन के पालकी  ll "
श्रीकांत