आपको अपना बचपन याद है? यदि हाँ! तो याद करके बताइये कि कभी आपने किसी
को दांत काटा था? मैं दांत काटने में माहिर था। शक्तिहीन-से-शक्तिहीन
प्राणी भी प्रत्युत्तर में हमला कर देता है। मेरे रिश्ते के एक बंदे को
मैंने इतनी जोर से काटा था कि उसके कंधे पर मेरी दांतें गहरी गड़ गयीं थीं,
ज़ख्म मेरे 10वीं कक्षा में जाने तक उसके कंधे पर बने हुए थे, जिन्हें वो कई
बार अपनी आईडेण्टीफिकेशन के लिए भी दर्ज करवया करता था। माईयवा, मुझे जबरन
मेरी मर्ज़ी के खिलाफ -'संसकीरित स्कूल'- ले जा रहा था! _ये तो गुस्से वाली
बात हुई। आप जिससे खूब लाड-प्यार करते हैं, उसके देह पर कूदते हैं, तो कभी घूसा मारते हैं, फिर भी जब अपनी काम में मगन वो (बाबूजी) आपकी तरफ ध्यान नहीं देते, तब खिसिया कर आप उन्हें दांत काट लेते हैं। अब या तो वो आपको पीटेंगे, या '...ओह!' बोल कर गायेंगे -"सात भैंस के सात चभुक्का, सोरह सेर घिउ खाऊं रे! कहाँ बाड़े तोर बाघ मामा एक तकड़ लड़ी जाऊं रे!!" _और वो आपको उठा कर चूम लेंगे?_किस्मत की बात है।
कभी किसी को प्यार से, प्यार में दांत काटा हो, यदि याद है तो बताइये। बाबूजी ("...उफ़!!") को मैंने कई बार दांत काट लिया पर उन्होंने नाराजगी के बदले प्यार ही किया। उनके प्यार करने का ढंग!! वो प्यारी थपकियाँ! ...याद आने पर रोमांच हो आता है...!! मैंने अपने डेढ़ साल के बेटे सन्नी से कुश्ती लड़ते वक़्त उसे दांत काटा था; पर वो ज़ख़्मी नहीं हुआ था, उलटे वो भी मुझे दांत काटना चाहता था, ये अलग बात है कि वो काट न सका। बाबूजी भी हमेशा मुझे यूँ ही दांत काट लिया करते थे। पर मैं कभी ज़ख़्मी नहीं हुआ। सन्नी बचपन में तुतलाते हुए -"ल" को -"द" बोला करता था! 'केला' को 'केदा' बोलता था! एक बार मैंने अपने एक मौसेरे भाई के आमने (बालक) सन्नी से भोजपुरी में कहा -'बेटा! बोल "ले ल, ले ल!' (मतलब ले लो-ले लो!); बालक ने दुहराया 'दे द - दे द!" (मतलब दे दो-दे दो!)
गुस्से की बात को हटा कर प्यार की बात कीजिये। प्यार में दांत काटना किसी अन्य देखने वाले की नज़र में नफरत की वज़ह समझ लेना कोई बड़ी बात नहीं। अगर 'वो' खुद को ख़ास समझता है तो आपको या तो शिक्षा देगा, या आपकी शिकायत करेगा। यूँ ही चिकोटी काटना-(चूंटी काटना)- भी प्रेम प्रकट करने का 'प्यारा-सा वायलेंट' तरीका है। ऊईई,...सी...ई!!! ऐसे ही किसी प्यारे से बचपन की दोनों गाल को उँगलियों से भींचना भी प्यारा-सा वायलेंट तरीका है।उदुदूदु !!!हीहीही !!! सुशील, (मेरे बड़े भांजे मियाँ) को जब शरारत सूझती वो कहता -'हमरा चूंटी काटे के मन करई बा!" ...उसके कहने के ढंग, अंदाजेबयां पर सुनने वाले की बेसाख्ता हंसी छूट जाती थी।
आनंद और सुकून दायक TIME PASS>>>
http://www.youtube.com/watch?v=mO5zcpUCWao
_श्रीकांत तिवारी .
कभी किसी को प्यार से, प्यार में दांत काटा हो, यदि याद है तो बताइये। बाबूजी ("...उफ़!!") को मैंने कई बार दांत काट लिया पर उन्होंने नाराजगी के बदले प्यार ही किया। उनके प्यार करने का ढंग!! वो प्यारी थपकियाँ! ...याद आने पर रोमांच हो आता है...!! मैंने अपने डेढ़ साल के बेटे सन्नी से कुश्ती लड़ते वक़्त उसे दांत काटा था; पर वो ज़ख़्मी नहीं हुआ था, उलटे वो भी मुझे दांत काटना चाहता था, ये अलग बात है कि वो काट न सका। बाबूजी भी हमेशा मुझे यूँ ही दांत काट लिया करते थे। पर मैं कभी ज़ख़्मी नहीं हुआ। सन्नी बचपन में तुतलाते हुए -"ल" को -"द" बोला करता था! 'केला' को 'केदा' बोलता था! एक बार मैंने अपने एक मौसेरे भाई के आमने (बालक) सन्नी से भोजपुरी में कहा -'बेटा! बोल "ले ल, ले ल!' (मतलब ले लो-ले लो!); बालक ने दुहराया 'दे द - दे द!" (मतलब दे दो-दे दो!)
गुस्से की बात को हटा कर प्यार की बात कीजिये। प्यार में दांत काटना किसी अन्य देखने वाले की नज़र में नफरत की वज़ह समझ लेना कोई बड़ी बात नहीं। अगर 'वो' खुद को ख़ास समझता है तो आपको या तो शिक्षा देगा, या आपकी शिकायत करेगा। यूँ ही चिकोटी काटना-(चूंटी काटना)- भी प्रेम प्रकट करने का 'प्यारा-सा वायलेंट' तरीका है। ऊईई,...सी...ई!!! ऐसे ही किसी प्यारे से बचपन की दोनों गाल को उँगलियों से भींचना भी प्यारा-सा वायलेंट तरीका है।उदुदूदु !!!हीहीही !!! सुशील, (मेरे बड़े भांजे मियाँ) को जब शरारत सूझती वो कहता -'हमरा चूंटी काटे के मन करई बा!" ...उसके कहने के ढंग, अंदाजेबयां पर सुनने वाले की बेसाख्ता हंसी छूट जाती थी।
आनंद और सुकून दायक TIME PASS>>>
http://www.youtube.com/watch?v=mO5zcpUCWao
मनोज कुमार (
दीवानों से ये मत पूछो ............<(यहाँ अकॉर्डियन पियानो बजने वाले कलाकार के पोज़ को देखिये! इनके इस पोज़ के लिए ही मैं इस गाने को बार-बार देखकर खुश हो जाता हूँ, थोड़ी हंसी भी छूटती है!)
दीवानों से ये मत पूछो, दीवानों पे क्या गुजरी है, ...गुजरी है ...(2)
हाँ! उनके दिलों से ये पूछो, परवानों पे क्या गुज़री है, ...गुज़री है ...
दीवानों से ये मत पूछो ............
औरों को पिलाते रहते हैं और खुद प्यासे रह जाते हैं,....
औरों को पिलाते रहते हैं और खुद प्यासे रह जाते हैं,
ये पीने वाले क्या जानें, पैमानों पे क्या गुजरी है,...गुजरी है ...
दीवानों से ये मत पूछो ............
मालिक ने बनाया इन्सां को, इंसान मुहब्बत कर बैठा,...
मालिक ने बनाया इन्सां को, इंसान मुहब्बत कर बैठा,
वो ऊपर बैठा क्या जानें, इंसानों पे क्या गुजरी है,...गुजरी है ...
हाँ! उनके दिलों से ये पूछो, परवानों पे क्या गुज़री है, ...गुज़री है ...
दीवानों से ये मत पूछो ............
_श्रीकांत तिवारी .