जितनी मेरी उम्र है उसे मैंने पाकिस्तान की मुखालफत में ही देखा ! कभी किसी व्यक्ति विशेष की मुखालफत के रूप में। तो, कभी किसी राक्नीतिक दल की मुखालफत के रूप में ! तो कभी समूचे देश की मुखालफत के रूप में !!! क्या ये मेरी गलती है ? ..क्या किसी अतिमहत्वपूर्ण व्यक्तिविशेष की गलती है? क्या ये, ...फिर, किसी राजनीतिक दलों की गलती है? या फिर देश की सोच-समझदारी की ही गलती है जो हर कोई पाकिस्तान की मुखालफत ही देखता है? इसके बाद बाकी के दुसरे अमेरिका, इंग्लैंड और बाकी के पूरे विश्व के देश भी पगला गए हैं!? इतने लोग, इनके देश और इनकी जनता क्या पागल और हिंसक हैं!!!!? या .. रे ... रे ... रे पाकिस्तान तेरी ही गलती है? ऐसा ही है, तो फिर भीड़ जा न! दुमुंहें साँप!! दोगली मानसिकता में दीवाने पकिस्तान! आ न !! खुलके आक्रमण की घोषणा कर ! कमीने , कायर ! स्साले !! हमारी एक ''पृथ्वी'' या "अग्नि" ही काफी है तुम्हारे सारे वजूद के लिए..................आ ...!
जय हिन्द !!!
जय हिन्द !!!